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SBI submits electoral bonds details: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इलेक्टोरल बॉन्ड का ब्योरा चुनाव आयोग को सौंप दिया है. बैंक को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार शाम तक ऐसा करने का आदेश दिया था. (Photo : ANI)
SBI submits electoral bonds details to ECI: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड का ब्योरा मंगलवार को चुनाव आयोग को सौंप दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एसबीआई (SBI) को आदेश दिया था कि वह 12 मार्च की शाम तक चुनावी बॉन्ड का विवरण चुनाव आयोग (Election Commission) को सौंप दे. स्टेट बैंक पहले इसके लिए 30 जून तक का समय मांग रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने और समय देने से इनकार करते हुए अपने 15 फरवरी के आदेश का पालन करने को कहा था और ऐसा न करने पर SBI के आला अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी थी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस कड़े रुख के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने आखिरकार मंगलवार को चुनावी बॉन्ड से जुड़े विवरण चुनाव को सौंप ही दिए.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि उसे अदालत के आदेश के मुताबिक तमाम आंकड़े मुहैया कराने के लिए 30 जून तक का वक्त चाहिए, क्योंकि इन आंकड़ों को जुटाना और सही ढंग पेश करना काफी लंबा और जटिल काम है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बैंक की तमाम दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि जब उसने 15 फरवरी को ही अपना आदेश दे दिया था, तो बैंक ने पिछले 26 दिनों में क्या किया? कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि उसके पिछले आदेश में दी गई 6 मार्च की डेडलाइन खत्म होने से दो दिन पहले बैंक ने वक्त देने की मांग रख दी, लेकिन यह नहीं बताया कि उसने अब तक आदेश का पालन करने के लिए क्या कदम उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने स्टेट बैंक की तमाम दलीलों को खारिज करते हुए यह चेतावनी भी दी कि अगर उसने इस बार अदालत के आदेश का पालन नहीं किया तो बैंक के आला अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के इस कड़े तेवर का नतीजा फौरन देखने को मिला और एसबीआई ने अगले ही दिन आदेश का पालन कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी के फैसले में चुनावी बॉन्ड को बताया था अवैध
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में गोपनीय ढंग से राजनीतिक फंडिंग की छूट देने वाली इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की इस पसंदीदा स्कीम को "असंवैधानिक" और मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए आदेश दिया था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और चुनाव आयोग इस बॉन्ड के जरिए राजनीतिक चंदा देने वालों और पाने वालों के नामों और चंदे के ब्योरे का खुलासा करें. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि उनका वोट मांगने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को कहां से और कितनी फंडिंग मिलती है. एसबीआई ने 2018 में योजना की शुरुआत किए जाने के बाद से अब तक 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बांड जारी किए हैं.