/financial-express-hindi/media/media_files/hhob2CkROTfMZx8qU49y.jpg)
SC in Bilkis Bano case: गैंगरेप और सामूहिक नरसंहार के सजायाफ्ता अपराधियों की यह तस्वीर 15 अगस्त 2022 को गुजरात के गोधरा की जेल से बाहर उनकी रिहाई के बाद ली गई थी. 8 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को अवैध बताते हुए खारिज कर दिया है. (File Photo: PTI)
Supreme Court overrules decision to grant remission to 11 convicts in Bilkis Bano case: गैंगरेप और सामूहिक नरसंहार के दोषी 11 गुनाहगारों को सजामाफी देने वाले गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से इस घृणित अपराध के गुनाहगारों को माफी देने वाली गुजरात सरकार को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने कहा है कि इस केस में सजामाफी का फैसला गुजरात सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किया था, लिहाजा यह फैसला अमान्य है. कोर्ट का कहना है कि बिलकीस बानो केस में अपराध भले ही गुजरात में हुआ हो, लेकिन गुनाहगारों को सजा महाराष्ट्र की अदालत ने सुनाई थी, लिहाजा इस मामले में सजामाफी का अधिकार भी महाराष्ट्र सरकार को ही है.
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने सजामाफी को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य करार देते हुए कहा कि गुजरात सरकार को इस मामले में गुनाहगारों के सजामाफी के एप्लीकेशन पर विचार करने या उस पर आदेश जारी करने का कोई अधिकार ही नहीं था. लिहाजा वह फैसला रद्द किया जाता है.
तथ्यों को छिपाकर, कोर्ट से फ्रॉड करके हासिल किया गया मई 2022 का आदेश
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दोषियों की सजा माफी पर सर्वोच्च न्यायालय की दूसरी बेंच के 13 मई, 2022 के आदेश को भी रद्द कर दिया है. बेंच ने अपने ताजा आदेश में कहा है, "सुप्रीम कोर्ट का 13 मई 2022 का वह आदेश, जिसमें गुजरात सरकार को 1992 की पॉलिसी के तहत सजामाफी पर फैसला करने का निर्देश दिया गया था, रद्द किया जाता है. उस आदेश से जुड़ी तमाम कार्यवाही को भी खारिज किया जाता है." कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को सजामाफी के बारे में फैसला करने का निर्देश देने वाला वह आदेश ‘अदालत को गुमराह’ करके हासिल किया गया था. बेंच ने कहा कि इसके लिए न सिर्फ अदालत से तथ्यों को छिपाया गया, बल्कि कोर्ट के साथ फ्रॉड किया गया था.
महाराष्ट्र सरकार के अधिकार को 'छीनकर' आदेश दिया गया
कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार ने सजामाफी की आदेश महाराष्ट्र सरकार के अधिकार को 'छीनते हुए' जारी किया था. कोर्ट ने अपराधियों की तरफ से दायर उस आवेदन को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने की अपील की थी. कोर्ट ने आदेश दिया कि वे दो हफ्ते के भीतर जेल अधिकारियों के सामने हाजिर हों.
2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुई थी भयानक वारदात
2002 में गुजरात दंगों के दौरान हुई वारदात के वक्त बिलकीस बानो (Bilkis Bano) 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं. उनके साथ गोधरा ट्रेन में आग लगाए जाने की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान गैंगरेप किया गया था. इसके अलावा उनकी 3 साल की बेटी समेत परिवार के 7 का सामूहिक नरसंहार भी हुआ था. 2008 में मुंबई की ट्रायल कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. मई 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था. गुजरात सरकार ने इस मामले के सभी 11 गुनाहगारों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट देकर रिहा कर दिया था. बिलकीस बानो ने गुजरात सरकार (Gujarat Government) के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उनकी याचिका में कहा गया था कि सभी गुनाहगारों को एक साथ इस तरह जेल से रिहा करने के फैसले से वे हतप्रभ और सन्न रह गई हैं. और इस भयानक अपराध के गुनाहगारों को इस तरह छोड़े जाने की घटना ने समाज की अंतररात्मा को झकझोरकर रख दिया है.