/financial-express-hindi/media/media_files/sQHVIExsTAITXvt8Ge20.jpg)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. (Image: Facebook)
सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी. इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी ईडी के मामले में जमानत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि सेट्रल ब्येरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (सीबीआई) ने कथित शराब नीति मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ईडी मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी की वैधता से जुड़े सवालों को बड़ी बेंच को रेफर कर दिया है. अब मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों वाली बेंच करेगी. देश की सबसे बड़ी अदालत ने ईडी की गिरफ्तारी की शक्ति और नीति से जुड़े 3 सवाल तय किए और कहा कि केजरीवाल को 10 मई के आदेश की शर्तों के अनुसार अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा. ईडी ने धनशोधन मामले में केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. केजरीवाल को 26 जून को सीबीआई ने कथित शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था. ये मामले दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 से जुड़े हैं जो बाद में रद्द कर दी गई थी.
केजरीवाल की किस मामले में हुई गिरफ्तारी ?
दिल्ली के सीएम केजरीवाल को कथित शराब नीति मामले में पकड़ा गया है. बता दें कि दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति 17 नवंबर 2021 को लागू की. इसके लिए राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं. कुल मिलाकर राष्ट्रीय राजधानी में 849 दुकानें खुलनी थीं. नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया. नई नीति लागू होने के बाद 100 फीसदी दुकानें प्राइवेट हो गईं. इसके बाद दिल्ली सरकार ने इसको लेकर भी एक नया तक तर्क दिया. इसको लेकर तर्क दिया गया कि दिल्ली सरकार को इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है.
एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपये चुकाने पड़ते थे और नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को 5 करोड़ रुपये चुकाने पड़े. इसके बाद सीधे तौर पर जनता और सरकार दोनों को नुकसान होने के आरोप लगे हैं. वहीं बड़े शराब कारोबारियों को इसमें फायदा होने की बात कही जा रही है कि दिल्ली सरकार ने बड़े शराब कारोबारियों के साथ मिलकर उन्हें फायदा पहुंचाया. कथित शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें भी आईं. साथ ही इस पूरे मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की भी सिफारिश की. इस प्रकार दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई. हालांकि बाद में नई शराब नीति को रद्द कर दिया गया था. जब कई सारे सवाल इस नीति पर उठने लगे तो इसे रद्द कर दिया गया.