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Tahawwur Rana Extradition: मुंबई हमले का गुनहगार तहव्वुर हुसैन राणा. Photograph: (IE)
Tahawwur Hussain Rana:मुंबई हमले के गुनहगार तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा के भारत प्रत्यर्पण (Extradition) को मंजूरी दे दी है, और सजा के खिलाफ उसकी याचिका को खारिज कर दिया है. यह फैसला राणा को भारत लाने के रास्ते में आने वाली आखिरी बाधा को खत्म कर देता है. बता दें कि प्रत्यर्पण (Extradition) एक कानूनी प्रक्रिया है. इसके तहत, किसी अपराधी को उस देश में वापस भेजा जाता है जहां से उसने अपराध किया था. प्रत्यर्पण का मकसद, अपराधियों को उनके अपराधों के लिए सज़ा दिलाना होता है.
कौन है तहव्वुर हुसैन राणा?
63 साल का तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है. वह पाकिस्तान आर्मी में एक पूर्व डॉक्टर रह चुका है. 1990 के दशक में कनाडा राणा चला गया था और उसने वहां की नागरिकता हासिल कर ली थी. इसके बाद, वह अमेरिका चला गया और शिकागो में एक इमीग्रेशन कंसल्टेंसी खोली, जिसका नाम "फर्स्ट वर्ल्ड इमीग्रेशन सर्विसेज" है.
राणा का दोस्त डेविड हेडली (जिसे पहले दाऊद गिलानी के नाम से जाना जाता था) उनके अपराध की दुनिया में कदम रखने का एक मुख्य कारण था. हेडली को अमेरिका में साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जो लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba-LeT) नामक पाकिस्तान बेस्ड आतंकी ग्रुप द्वारा आयोजित किए गए थे. हेडली ने अमेरिकी प्रोसेक्यूटर (US prosecutors) के साथ सहयोग करते हुए राणा को इस मामले में शामिल किया, यह आरोप लगाते हुए कि राणा ने उसे मुंबई में संभावित हमले स्थलों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए अपनी इमीग्रेशन कंसल्टेंसी का सहारा दिया. साल 2009 में, राणा को अमेरिका में हेडली और लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
राणा के खिलाफ क्या हैं आरोप
साल 2008 के मुंबई हमलों में राणा की संलिप्तता डेविड हेडली को सहायता देने से जुड़ी है, जो लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा था. हेडली ने मुंबई के प्रमुख स्थलों जैसे ताज महल होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की रेकी की थी और उसने राणा की इमीग्रेशन कंसल्टेंसी के कर्मचारी होने का ढोंग करके इन स्थानों का दौरा किया. इस तरह वह बिना किसी संदेह के.हमलावरों द्वारा लक्षित स्थलों की जांच कर सका. इसके अलावा, राणा ने 2005 में एक डानिश न्यूजपेपर (Danish newspaper) पर हमले की योजना बनाने में भी भाग लिया था, दरअसल डानिश न्यूजपेपर में पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक विवादास्पद कार्टून छपा था.
साल 2011 में, राणा का अमेरिका में मुकदमा चला और उसे लश्कर-ए-तैयबा को सामग्री सहायता देने का दोषी ठहराया गया. हालांकि, अमेरिकी न्यायिक व्यवस्था ने उसे मुंबई हमलों में सीधे संलिप्तता से बरी कर दिया. उसे 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई, उसके बाद उसे फिर से 5 साल के लिए नजरबंद किया गया था. उसके वकील ने दावा किया कि राणा को हेडली ने धोखे से आतंकवादी योजनाओं में मदद करने के लिए मजबूर किया था. हालांकि, हेडली ने राणा के खिलाफ गवाही दी, जिससे उसे मौत की सजा से बचने में मदद मिली