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भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के एक इंजीनियर समूह, मद्रास सैपर्स की एक इकाई, बचाव कार्यों में सहायता के लिए रविवार को बचाव स्थल पर पहुंची.
Uttarakhand Tunnel Collapse Updates: उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में पिछले 14 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग भी शुरू हो गई है. भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के एक इंजीनियर समूह, मद्रास सैपर्स की एक इकाई, बचाव कार्यों में सहायता के लिए रविवार को बचाव स्थल पर पहुंची. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) ने रविवार को कहा कि सुरंग में ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को निकालने और हाथों से खुदाई शुरू करने के लिए काम जारी है. एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने मीडिया के लोगों से कहा कि सुरग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए सभी प्रयास जारी हैं. एनडीएमए ने बताया कि उत्तरकाशी के सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए छह योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिसमें सबसे कारगर हॉरिजोंटल ड्रिलिंग भी शामिल है.
हसनैन ने कहा कि दूसरा सबसे अच्छा विकल्प माने जाने वाली लम्बवत ड्रिलिंग का काम दोपहर के आसपास शुरू हुआ और 15 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है. उन्होंने बताया कि 86 मीटर की लम्बवत ड्रिलिंग के बाद फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सुरंग की ऊपरी परत को तोड़ना होगा.
एनडीएमए सदस्य ने बताया कि मजदूरों को बचाने के लिए छह योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, लेकिन अब तक का सबसे अच्छा विकल्प क्षैतिज ड्रिलिंग है, जिसके तहत 47 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा, ‘‘छह योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं. अभियान रोका नहीं गया है और मरम्मत कार्य के तहत यह जारी है.’’
हसनैन ने कहा कि ‘साइडवे ड्रिलिंग’ (लंबवत ड्रिलिंग) करने वाली मशीनों के रात के दौरान बचाव स्थल पर पहुंचने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि क्षैतिज ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को सुरंग से बाहर निकालने का काम जारी है. एनडीएमए सदस्य ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए मैग्ना और प्लाज्मा कटर मशीन का उपयोग किया जा रहा है. हसनैन ने कहा, ‘‘47 मीटर लंबे खंड में फंसे ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्से को 34 मीटर तक निकाला जा चुका है और लगभग 13 मीटर अभी बाकी है. हमें उम्मीद है कि इसे आज रात तक निकाल लिया जाएगा.’’
सिलक्यारा सुरंग के अंदर मलबे में फंसी ऑगर मशीन के हिस्सों को काटने और निकालने के लिए रविवार को हैदराबाद से एक प्लाज्मा कटर भेजा गया. उन्होंने कहा कि एक बार टूटे हुए हिस्सों को निकाल लेने के बाद फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिए 15 मीटर की खुदाई हाथों से की जाएगी, हालांकि इसमें समय लग सकता है. एनडीएमए के सदस्य ने कहा, ‘‘...पहले, हम 4-5 मीटर/घंटा की गति से ड्रिलिंग कर पा रहे थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता है. हालांकि, यह एक सुरक्षित और कामयाब तकनीक है.’’ उन्होंने कहा कि बचाव अभियान को सफल बनाने के लिये सभी संबंधित एजेंसियां काम कर रही हैं.
अधिकारियों के लिए बचाव कार्य फिर से शुरू करने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना आवश्यक है, जिसमें मजदूरों को निकालने का रास्ता तैयार करने के लिए मलबे के माध्यम से पाइप को हाथ से धकेलना शामिल है. लंबवत ड्रिल के लिए ड्रिल मशीन का एक हिस्सा भी सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर भेजा गया है.
फंसे हुए मजदूरों को निकालने का रास्ता तैयार करने के लिए सिलक्यारा सुरंग के मलबे में ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन के ब्लेड शुक्रवार की रात मलबे में फंस गए, जिससे अधिकारियों को अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके कारण बचाव अभियान में कई दिन या यहां तक कि हफ्तों का समय लग सकता है.
कई एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे बचाव अभियान के 14वें दिन अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया - मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’. गौरतलब है कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं.