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यूएन में बदली तस्वीर! अमेरिका ने यूक्रेन मसले पर रूस का दिया साथ, भारत और चीन का क्या है रुख

US joins Russia on Ukraine war: तीन साल से जारी युद्ध को समाप्त करने की मांग करते हुए यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किए. जिस पर अमेरिका ने रूस का पक्ष लिया. यूक्रेन मसले पर भारत और चीन का क्या रुख रहा, यहां जानिए.

US joins Russia on Ukraine war: तीन साल से जारी युद्ध को समाप्त करने की मांग करते हुए यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किए. जिस पर अमेरिका ने रूस का पक्ष लिया. यूक्रेन मसले पर भारत और चीन का क्या रुख रहा, यहां जानिए.

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FE Hindi Desk
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यूक्रेन में तीन साल से जारी युद्ध को समाप्त करने की मांग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में ये प्रस्ताव पेश किए गए थे. Photograph: (Reuters)

US joins Russia to vote against UN resolution on Ukraine war; India and China abstain: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अंतर अटलांटिक संबंधों में एक नाटकीय बदलाव देखने को मिला है क्योंकि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की मांग से संबंधी संयुक्त राष्ट्र के तीन प्रस्तावों पर सोमवार को मतदान में अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया और इस मुद्दे पर अपने यूरोपीय सहयोगियों से अलग रुख अपनाया. यूक्रेन में तीन साल से जारी युद्ध को समाप्त करने की मांग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में ये प्रस्ताव पेश किए गए थे.

यूक्रेन मसले पर अमेरिका रूस के साथ

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिका और रूस ने यूरोप समर्थित यूक्रेन के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. प्रस्ताव में रूस की आक्रामकता की निंदा की गई है और रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग की गई है. इसके बाद अमेरिका ने अपने प्रतिस्पर्धी प्रस्ताव पर मतदान से खुद को अलग कर लिया, क्योंकि फ्रांस के नेतृत्व में यूरोपीय देशों ने इसमें संशोधन करके यह स्पष्ट कर दिया कि रूस ही हमलावर है.

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यह मतदान उस समय हुआ जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वाशिंगटन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मेजबानी कर रहे थे. इसके बाद अमेरिका ने 193 सदस्यीय विश्व संस्था की शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने मूल मसौदे पर मतदान के लिए दबाव डाला. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के पास वीटो की शक्ति है. 15 सदस्यीय परिषद में शून्य के मुकाबले 10 वोट से मतदान हुआ और पांच देश मतदान से दूर रहे. ये सभी यूरोपीय देश थे.

अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने संघर्ष के जल्द से जल्द समाधान के लिए रूस के साथ अचानक बातचीत शुरू की जिससे यूक्रेन के साथ अमेरिका के रिश्ते में तल्खी आई है और यूरोपीय नेता भी इस बात से निराश हैं कि पिछले सप्ताह उन्हें और यूक्रेन को रूस के साथ प्रारंभिक वार्ता से बाहर रखा गया. सोमवार को पहले मतदान में महासभा ने यूक्रेन संबंधी प्रस्ताव को 18 के मुकाबले 93 मतों से मंजूरी दी, जबकि 65 सदस्यों ने मतदान का बहिष्कार किया.

इस परिणाम से यूक्रेन के लिए समर्थन कम होता दिख रहा है, क्योंकि पिछले मतदान में 140 से अधिक देशों ने रूस की आक्रामकता की निंदा की थी और तत्काल रूसी सैनिकों की वापसी की मांग की थी. इसके बाद सभा ने ‘‘रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान हुई दुखद जनहानि’’ से संबंधी अमेरिका के प्रस्ताव को मंजूरी दी. प्रस्ताव में ‘‘संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने तथा यूक्रेन एवं रूस के बीच स्थायी शांति की अपील की गई है’’, हालांकि इसमें रूस की आक्रामकता का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है.

एक आश्चर्यजनक कदम में फ्रांस ने तीन संशोधनों का प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन 100 से अधिक यूरोपीय देशों ने किया. प्रस्ताव में कहा गया कि संघर्ष ‘‘रूसी संघ द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण’’ का परिणाम था. रूस ने संघर्ष के ‘‘मूल कारणों’’ को संबोधित करने के लिए एक संशोधन भी प्रस्तावित किया. सभी संशोधनों को मंजूरी दे दी गई और प्रस्ताव आठ के मुकाबले 93 मतों से पारित हो गया. कुल 73 सदस्य मतदान में शामिल नहीं हुए. यूक्रेन ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, अमेरिका ने मतदान में भाग नहीं लिया तथा रूस ने इसके विरोध में मतदान किया.

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