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रिकरिंग डिपॉजिट में हर महीने तय रकम जमा कर एक तय समय के बाद ब्याज सहित पूरा पैसा मिलता है. (Image : Freepik)
Best RD Rates:भारत में निवेश के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक बहुत ही लोकप्रिय और सुरक्षित विकल्प है. इसमें निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहता है और रिटर्न की गारंटी भी मिलती है, लेकिन इसके लिए बड़ी रकम की जरूरत होती है. अगर आपके पास बड़ी रकम नहीं है, तो चिंता की बात नहीं! रिकरिंग डिपॉजिट (Recurring Deposit - RD) एक ऐसा विकल्प है जिसमें आप छोटी-छोटी रकम जमा करके बड़ा फंड बना सकते हैं.
RD: रिकरिंग डिपॉजिट क्या है?
RD एक ऐसी बचत योजना है जिसमें आप हर महीने एक निश्चित रकम जमा करते हैं. यह उन लोगों के लिए आदर्श है जिनकी इनकम फिक्स है और वे नियमित रूप से बचत करना चाहते हैं. RD में आप कम अमाउंट से शुरुआत कर सकते हैं और समय के साथ बड़ा रिटर्न पा सकते हैं.
RD कैसे करता है काम?
आरडी में निवेशक हर महीने एक तय अमाउंट जमा करते हैं. यह समय 6 महीने से 10 साल तक हो सकता है. बैंक या पोस्ट ऑफिस इस जमा अमाउंट पर ब्याज देते हैं. यह ब्याज आमतौर पर हर तीन महीने में जोड़ा जाता है यानी क्वॉटर्ली कम्पाउंडेड होता है. जब आरडी मैच्योर होता है, तो निवेशक को कुल जमा रकम के साथ उस पर मिला ब्याज भी मिलता है. यह एक अच्छा तरीका है अपने पैसे को बचाने और बढ़ाने का.
RD के फायदे
छोटी शुरुआत, बड़ा फंड
हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम जमा कर आप बड़ी रकम जुटा सकते हैं. और छोटी अवधि वाले वित्तीय लक्ष्यों जैसे बच्चों की फीस, छुट्टियों की प्लानिंग या नया मोबाइल फोन खरीद सकते हैं.
सेविंग की आदत
जो लोग बचत के मामले में थोड़े आलसी हैं, उनके लिए RD एक बढ़िया तरीका है डिसिप्लिन लाने का. एक बार सेट कर दिया, फिर हर महीने रकम अपने आप कटती रहेगी.
रिस्क फ्री इन्वेस्टमेंट
स्टॉक मार्केट की तरह उतार-चढ़ाव नहीं, RD पूरी तरह सेफ है. आपका पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहता है और आपको गारंटीड रिटर्न मिलता है.
फिक्स्ड रिटर्न्स और कंपाउंडिंग का कमाल
RD पर मिलने वाला ब्याज फिक्स होता है, और उस पर कंपाउंडिंग लागू होती है. यानी ब्याज पर ब्याज, जिससे आपकी कमाई और बढ़ती है.
आसान शुरूआत
RD खोलना बेहद आसान है – बैंक की ऐप या वेबसाइट से बस कुछ क्लिक में अकाउंट खुल जाता है. और अगर आप पोस्ट ऑफिस स्कीम चुनते हैं, तो वहाँ भी प्रोसेस सिंपल है.
RD के नुकसान
समय से पहले निकासी पर नुकसान
RD को अगर मैच्योरिटी से पहले तोड़ते हैं तो उस पर पेनाल्टी लगती है और ब्याज भी कम मिल सकता है. यानी ‘जल्दबाज़ी में नुकसान हो सकता है.
फ्लेक्सिबिलिटी नहीं होती
आप एक बार जितना अमाउंट सेट कर देते हैं, वही हर महीने जमा करना होता है. बीच में ज्यादा पैसा डालना है? तो नए RD खोलना पड़ेगा.
ब्याज दर फिक्स रहती है
अगर RD की शुरुआत के बाद मार्केट में ब्याज दरें बढ़ जाएं, तो आपको फायदा नहीं मिलेगा. आपकी RD पुरानी दर पर ही चलती रहेगी.
टैक्स भी लगता है
RD पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल है. अगर सालाना ब्याज 40,000 रुपये (या सीनियर सिटीजन के लिए 50,000) से ज्यादा होता है, तो TDS कटता है.
किन लोगों के लिए बेहतर है RD?
RD उन लोगों के लिए बेहतर है जिनकी इनकम फिक्स है और वे नियमित रूप से बचत करना चाहते हैं. यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो बड़ी रकम एकमुश्त जमा नहीं कर सकते हैं. RD आपको छोटी-छोटी बचत से बड़ा फंड बनाने में मदद करता है.
छोटे सेविंग्स करने वालों के लिए जैसे स्टूडेंट्स, हाउसवाइफ्स, न्यू इन्वेस्टर्स.
जो रिस्क नहीं लेना चाहते और जिनका फोकस ‘सुरक्षित बचत’ पर है.
जो डिसिप्लिन से सेविंग करना चाहते हैं ताकि एक फिक्स्ड गोल अचीव किया जा सके.