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Avoid these mistakes while investing: निवेश करते समय उन आम गलतियों से बचना जरूरी है, जो आपकी पूंजी को खतरे में डाल सकती हैं. (Representational Image)
Avoid these common mistakes for safe and steady return on your investment: निवेशक नए हों या अनुभवी, सभी चाहते हैं कि उन्हें बाजार में लगाई गई अपनी पूंजी पर बेहतर रिटर्न मिले. लेकिन कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की हड़बड़ी में कई बार निवेशकों से ऐसी गलतियां भी हो जाती हैं, जिनसे उन्हें फायदे की जगह नुकसान हो जाता है. अगर अपनी पूंजी को सुरक्षित रखते हुए बाजार से मुनाफा कमाना है, तो इन गलतियों से बचना बेहद जरूरी है.
भावनाओं के आधार पर निवेश
बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशक अगर पुख्ता जानकारी या तथ्यों (Facts) के आधार पर इनवेस्टमेंट करने की जगह भावनाओं या इंट्यूशन (Intuition) के आधार पर पैसे लगाते हैे, तो फायदे की बजाय नुकसान होने का खतरा अधिक रहता है. लालच या डर जैसे इमोशन हों या इंट्यूशन, ये सभी निवेशकों को इंपल्सिव खरीदारी या बिकवाली की तरफ ले जाते हैं, जिसमें काफी जोखिम रहता है. इस ढंग से पैसे लगाने की बजाय निवेशकों को लंबे समय के लिए अनुशासित ढंग से निवेश करना चाहिए. बाजार में होने वाले शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ावों पर जरूरत से ज्यादा फोकस करना या उन पर निर्भर रहना सही रणनीति नहीं है.
डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान न देना
अपनी सारी पूंजी किसी एक ही शेयर, सेक्टर या इंस्ट्रूमेंट में लगा देने में समझदारी नहीं है. ऐसा करने पर निवेश पर उतार-चढ़ाव का ज्यादा असर पड़ता है और जोखिम बढ़ जाता है. निवेशकों को अपने फंड को अलग-अलग तरह के एसेट क्लास में बांटकर लगाना चाहिए. अपने निवेश को इक्विटी, बॉन्ड रियल एस्टेट या कमोडिटी जैसे अलग-अलग तरह के एसेट क्लास में बांट देने से जोखिम भी कम हो जाता है और बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना भी रहती है. नए रिटेल निवेशकों को आमतौर पर शेयरों में सीधे निवेश करने की बजाय इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के जरिए पैसे लगाने की सलाह दी जाती है, जिससे कम पूंजी लगाने पर भी डायवर्सिफिकेशन का लाभ मिलता है. इसके अलावा निवेश अगर सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए किया जाए तो टाइमिंग से जुड़ा रिस्क भी कम हो जाता है और एवरेजिंग का लाभ मिलता है.
फंडामेंटल्स की अनदेखी
कई बार निवेशक निवेश करने से पहले किसी शेयर या एसेट क्लास से जुड़े फंडामेंटल्स पर पूरा ध्यान नहीं देते और सिर्फ मार्केट ट्रेंड्स, टिप्स या अफवाहों के आधार पर जल्दबाजी में पैसे लगा देते हैं. इस तरह से निवेश करना अपनी पूंजी को खतरे में डालना है. फंडामेंटल्स पर ध्यान देने का मतलब ये है कि आप जिस भी कंपनी, फंड या एसेट क्लास में पैसे लगाने जा रहे हैं, उसकी फाइनेंशियल हेल्थ, परफॉर्मेंस और ग्रोथ की संभावनाओं के बारे में ठोस जानकारी हासिल कर लें.
रातों-रात बेहिसाब मुनाफा कमाने की हड़बड़ी
कई निवेशक शेयर बाजार को रातों-रात मालामाल होने की जगह समझ लेते हैं और पूरी जानकारी हासिल किए बिना कहीं से मिले टिप्स पर भरोसा करके निवेश कर देते हैं. वे नहीं समझते कि शेयर बाजार कोई जादू से पैसे दोगुने-तिगुने करने की जगह नहीं है. यहां रिटर्न कंपनियों के फंडामेंटल्स और असली प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं और सही मायने में बेहतर रिटर्न सही शेयरों में लंबे समय तक निवेशित रहने पर ही मिलते हैं. दो-चार महीने में पैसे दोगुने करने की टिप्स आमतौर पर गलत ही होती हैं. इनके चक्कर में पड़ने वाले अक्सर मुनाफा तो दूर अपनी पूंजी तक गंवा बैठते हैं.
झुंड के पीछे चलने की मानसिकता
नए निवेशक कई बार झुंड की मानसिकता (Herd Mentality) के असर में आ जाते हैं. यानी वे सिर्फ इसी आधार पर निवेश करने लगते हैं कि उनके आसपास के ज्यादातर लोग वैसा ही कर रहे हैं. ऐसा करने से पहले वे उसकी वजह जानना भी जरूरी नहीं समझते. मिसाल के तौर पर कई बार लोग किसी आईपीओ का डिटेल जाने बिना सिर्फ इसलिए निवेश करना चाहते हैं, क्योंकि उसकी काफी चर्चा हो रही है और काफी ओवरसब्सक्रिप्शन हो रहा है. जबकि ऐसे मामलों में शेयर की कीमतें वाजिब से काफी ऊपर चले जाने यानी इंफ्लेटेड प्राइस (inflated price) की आशंका काफी रहती है.
रिस्क मैनेजमेंट को महत्व न देना
नए निवेशक कई बार रिस्क मैनेंजमेंट (Risk Management) पर ध्यान नहीं देते या उसकी अहमियत को नहीं समझते. जबकि बाजार में सुरक्षित और लाभदायक निवेश के लिए अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को समझना और उसके हिसाब से रणनीति बनाना जरूरी है. रिस्क मैनेजमेंट के लिए अपने निवेश का डायवर्सिफिकेशन करने के साथ ही साथ निवेश पर स्टॉप लॉस (stop-loss) लगाना और हेजिंग स्ट्रैटेजी (hedging strategy) बनाकर चलना भी बेहद जरूरी है.