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Financial Planning: अर्ली रिटायरमेंट का फैसला करने के लिए किस तरह की तैयारियां करने की जरूरत है आइए इसके बारे में समझते हैं.
Retirement Planning: अर्ली रिटायरमेंट यानी 60 साल की उम्र से पहले रिटायर हो जाना. धीरे-धीरे लोगों के बीच अर्ली रिटायरमेंट के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है. अर्ली रिटायरमेंट के लिए नौकरी के दौरान सेविंग करने की जरूरत होती है और इस दौरान कुछ ज्यादा निवेश करना भी जरूरी हो जाता है.
अर्ली रिटायरमेंट का फैसला कभी भी जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए. समय से पहले नौकरी छोड़ने से पहले अपनी मौजूदा वित्तीय हालत, वित्तीय लक्ष्यों और रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों का आकलन अच्छी तरीके से कर लेनी चाहिए. नौकरी के दौरान इन पहलुओं पर विचार करके जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए. सेविंग करने के साथ-साथ उपलब्ध बेहतर विकल्पों में निवेश करनी चाहिए.
अर्ली रिटायरमेंट तभी संभव है जब आप वित्तीय आजादी हासिल कर लेते हैं, जहां आपको अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबे समय तक फुलटाइम जॉब पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. अगर आप अर्ली रिटायरमेंट यानी 50 साल की उम्र में रिटायर होने का विचार कर रहे हैं, तो इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए करियर के शुरूआती दिनों से प्लानिंग करनी पड़ेगी. अर्ली रिटायरमेंट का फैसला करने के लिए किस तरह की तैयारियां करने की जरूरत है आइए इसके बारे में समझते हैं.
वित्तीय स्थिति का करें आकलन
अर्ली रिटायरमेंट के लिए सबसे पहला कदम अपनी मौजूदा वित्तीय हालत को समझना जरूरी है. इसमें आपकी बचत, निवेश, और देनदारियों का आकलन शामिल है. अपनी सभी एसेट्स और कर्जों की एक लिस्ट बनाएं ताकि आपके पास कितनी संपत्ति है उसकी तस्वीर साफ हो सकें. ऐसा कर लेने से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आपको अपने रिटायरमेंट लक्ष्य तक पहुंचने के लिए और कितनी बचत और निवेश करने की जरूरत है.
बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं कि रिटायरमेंट कॉर्पस की गणना करना बहुत जरूरी है. यह वह राशि है जिसकी आपको रिटारमेंट के बाद अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यकता होगी. वह कहते हैं कि ऐसे में महंगाई दर, मेडिकल जैसे तमाम खर्चों को ध्यान में रखना जरूरी है. रिटायरमेंट कॉर्पस को लेकर एक बड़ा ही प्रचलित नियम है जिसके बारे लोगों को जानना चाहिए. वह ये है कि अर्ली रिटायरमेंट का फैसला लेते वक्त आपके पास मौजूदा सालाना खर्चों से 25-30 गुना फंड रिटायरमेंट कॉर्पस के रूप में होनी चाहिए इसके लिए प्लानिंग पहली नौकरी से कर के चलना होगा.
नौकरी के दौरान करें निवेश
यह तभी संभव है जब आपके पास अच्छी सैलरी वाली नौकरी हो. अगर नहीं है तो सैलरी बढ़ाने पर ध्यान देना होगा. उसके लिए बेहतर सैलरी वाली नौकरी की तलाश करनी होगी. नौकरी नहीं मिल पा रही है तो अतिरिक्त इनकम के लिए पार्ट-टाइम या फ्रीलांसिंग करनी होगी. इस अतिरिक्त इनकम से आप अधिक से अधिक पैसों को निवेश कर सकेंगे. जितना ज्यादा आप निवेश करेंगे, आपको उतनी ही जल्दी रिटायर होने में मदद मिलेगी और रिटायरमेंट पर पेंशन भी अधिक बन सकेगी.
पैसे निवेश करते समय आपको कुछ हद तक रिस्क भी लेना पड़ सकता है. किसी एक स्कीम में पैसे लगाने की बजाय कई निवेश विकल्पों में पैसे लगाएं. मिसाल के लिए आप कुछ पैसे पीपीएफ, एफडी जैसे सुरक्षित निवेश विकल्प में लगा सकते हैं. एनपीएस में भी पैसे लगा सकते हैं. हालांकि यह एक मार्केट लिंक्ड स्कीम है. बाजार में निवेश करने की वजह से इसमें थोड़ा मार्केट रिस्क भी रहता है हालांकि इसमें हायर रिटर्न की संभावना होती है
बाकी में से कुछ हिस्से से रेंट वाली कोई प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं, जिससे सालों साल आपको इनकम होता रहे. जमीन खरीद कर भी आप उस पर तगड़ा रिटर्न पा सकते हैं. इसके अलावा अपनी रिस्क लेने की क्षमता को ध्यान में रख कर अच्छी कमाई के लिए शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं.
मेडिकल खर्च से बचने के लिए खरीदे हेल्थ इंश्योरेंस
मेडिकल खर्च तेजी से आपकी बचत को खत्म कर सकते हैं. ऐसे में खुद और परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज होना बेहद अहम है. यह हेल्थ कवरेज मेडिकल खर्चों को कम करने में मदद करता है. लोगों को हेल्थ कवरेज के लिए कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी (comprehensive health insurance policy) को वरीयता देनी चाहिए ताकि उस पर गंभीर बीमारियों, अस्पताल में भर्ती और ओपीडी खर्चों का कवरेज मिल सके.
टैक्स बचाने के लिए करें प्लान
खास तरह की निवेश प्लानिंग अधिकतम टैक्स बचाने में मदद कर सकती है. इसके लिए आप पीपीएफ, एनपीएस, ईएलएसएस (इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम) जैसे टैक्स सेविंग स्कीम में पैसा लगाएं ताकि आपकी आपको टैक्स में छूट का लाभ मिल सके. निकासी और निवेश के समय भी टैक्स नियमों को ध्यान में रखकर प्लान करें.
गैर जरूरी खर्चों पर लगाएं लगाम
अर्ली रिटायरमेंट के लिए अधिक से अधिक बचत और निवेश के साथ वित्तीय हालत समझना जरूरी है. साथ ही खर्चों पर भी ध्यान देना जरूरी है. अर्ली रिटायरमेंट के लिए अपनी वित्तीय हालत को ध्यान में रखते हुए खर्च करना चाहिए. इसके लिए अपने खर्चों का आकलन जरूरी है और गैर-जरूरी खर्चों से बचना चाहिए. वित्तीय हालत के अनुसार जीवनशैली अपनाएं ताकि आपके पैसे उन चीजों पर खर्च हो जो वास्तव में आपके लिए जरूरी हैं. याद रहे आप जितना ज्यादा निवेश करेंगे, आपको उतनी ही जल्दी रिटायर होने में मदद मिलेगी और रिटायरमेंट पर पेंशन भी अधिक बन सकेगी.
फाइनेंशियल प्लानिंग पर रखें नजर
अर्ली रिटायरमेंट के लिए नियमित फाइनेंशियल प्लानिंग पर नजर रखना जरूरी है. अगर आपने निवेश किया है तो उसकी निगरानी करें, अपने खर्चों पर नज़र रखें और सही दिशा में बने रहने के लिए समय-समय पर जरूरी कदम उठाएं. फाइनेंशियल मार्केट और व्यक्तिगत परिस्थितियां बदल सकती हैं, ऐसे में अपडेटेड रहना जरूरी है.
उपयुक्त फाइनेंशियल प्लानिंग के साथ 60 साल की उम्र से पहले रिटायर होने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. नौकरी के दौरान अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार सेविंग और बेहतर निवेश विकल्प चुनकर, आप वित्तीय आजादी हासिल कर सकते हैं. यह सुनिश्चित होने के बाद अर्ली रिटायरमेंट का फैसला ले सकते हैं.