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Father’s Day: पिता बनने की योजना बनाने से पहले कर लें ये इंतजाम, बच्चे की परवरिश में नहीं होगी परेशानी

पिता बनने की योजना करने से पहले घर में आने वाले बच्चे के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करके चलना बेहद जरूरी है. यहां आपको बच्चे की बेहतर परवरिश के लिए जरूरी तैयारियों के बारे में बताया गया है.

पिता बनने की योजना करने से पहले घर में आने वाले बच्चे के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करके चलना बेहद जरूरी है. यहां आपको बच्चे की बेहतर परवरिश के लिए जरूरी तैयारियों के बारे में बताया गया है.

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FE Hindi Desk
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Financial Planning

फादर्स डे (Father’s Day) हर साल 18 जून को सेलिब्रेट किया जाता है.

फादर्स डे (Father’s Day) नजदीक है. यह खास दिन उन सुपरहीरो के सम्मान करने में मनाया जाता है जो अपने बच्चे के भविष्य को बेहतर रूप देने, उनकी हर एक इच्छा और आकांक्षा को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं. पिता बनना जीवन के अहम पड़ाव में से एक है और इस जिम्मेदारी को हासिल करने से पहले कई तरह की तैयारी करने की जरूरत होती है. जिसमें में से एक और बेहद जरूरी है वित्तीय तैयारी करना. ऐसा करके बच्चों की परवरिश से जुड़े एजुकेशन, हेल्थकेयर, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज समेत तमाम खर्चे आसानी से उठाया जा सकता है. गुजरते वक्त के साथ जैसे-जैसे जीवन यापन की लागत बढ़ रही है, वैसे-वैसे इन पर खर्च भी बढ़ते जा रहे हैं. अगर आप जीवन के इस नए पड़ाव में एंट्री करने की योजना बना रहे हैं, तो अपने बच्चे की बेहतर परवरिश और फ्यूचर देने के लिए यहां बताए गए वित्तीय योजना पर विचार कर सकते हैं.

बच्चे की परवरिश पर खर्च

बच्चे को पालना आसान काम नहीं है. जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है, उनके पालन-पोषण से जुड़े तमाम खर्चे भी बढ़ाते जाते हैं. इन खर्चों को दो कैटेगरी में बांटा जा सकता है.

शॉर्ट-टर्म खर्च

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इनमें बुनियादी चाइल्डकेयर के अलावा प्रसव पूर्व और प्रेगनेंसी के दौरान का खर्च, बच्चे के जन् लेने के दौरान अस्पताल में भर्ती होने और बाद के खर्च, अन्य खर्च जैसे शिशु और मातृ देखभाल सेवाओं और उत्पादों से जुड़े खर्च शामिल हैं. यह ऐसे खर्चे हैं जिनकी आप उम्मीद तब तक कर सकते हैं जब तक आपका नवजात शिशु बच्चा नहीं बन जाता.

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मीडियम से लेकर लॉन्ग टर्म खर्च

इसमें बच्चे के हर एक दिन का खर्च यानी प्रीस्कूल में नामांकन, प्राइमरी और हायर एजुकेशन लागत, ट्यूशन फीस, एक्स्ट्राकरिकुलर या एंटरटेनमेंट एक्टिविटी, हेल्थकेयर जैसे तमाम खर्चें शामिल है. अगर आप पिता बनने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो बच्चे के हायर एजुकेशन जैसे लॉन्ग टर्म कैटेगरी के खर्चों को पूरा करने की योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय आपको मिल जाते हैं. हालांकि, शॉर्ट टर्म के खर्चों के लिए आपको पहले से ही इंतजाम करने की जरूरत होती है. ये खर्च प्राथमिकता और भौगोलिक स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, यानी मेट्रो या टियर-1 शहरों में, चाइल्डकेयर खर्च और अस्पताल में भर्ती होने की लागत टियर-2 शहरों या छोटे शहरों की तुलना में अधिक होने की संभावना है. आपकी सहूलियत के लिए यहां टियर-1 और टियर-2 शहरों में बच्चे की परवरिश पर होने वाले अनुमानित खर्च का ब्योरा दिया गया है.

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बच्चे की परवरिश में होने वाले संभावित खर्च का ब्योरा शहरों की कैटेगरी के आधार पर.

उपरोक्त कैटेगरी के खर्चों के लिए एक पिता के पास कितने फंड होने चाहिए उसका एक संभावित ब्योरा यहां नीचे लिस्ट में देख सकते हैं.

Summing up these expenses

कुल खर्च तय करने में बच्चे की परवरिश का स्थान सबसे ज्यादा मायने रखता है. टियर-1 शहरों या महानगरों की तुलना में टियर-2 शहरों, छोटे शहरों और गांवों के लिए यह रेंज कम होने की संभावना है. मिसाल के तौर पर भोपाल की तुलना में मुंबई में बच्चे की परवरिश के लिए ज्यादा खर्च उठाना पड़ेगा. इसके साथ ही कुल लागत अलग-अलग प्राथमिकताओं और विकल्पों के आधार पर भिन्न भी हो सकती है. हालांकि ये सभी खर्चें एक पिता को भारी लग सकते हैं, लेकिन बचत को प्राथमिकता देकर और पहले से निवेश की प्लानिंग करके कुशलतापूर्वक फंड का इंतजाम कर सकते हैं. इसके लिए आप आय-बचत = व्यय के बजाय आय-व्यय = बचत का दृष्टिकोण भी अपना सकते हैं.

बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए सही समय पर करें निवेश

आप अपने बच्चे की अच्छी तरीके से परवरिश करने के लिए इनवेस्टमेंट टार्गेट को विभाजित करके फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत कर सकते हैं. ऐसे में सलाह है कि अपनी प्राथमिकताओं और रिस्क प्रोफाइल के आधार पर कदम उठाएं.

शॉर्ट टर्म में बचत करने के लिए आप रिकरिंग डिपॉजिट, बैंक एफडी, पोस्ट ऑफिस योजनाओं, बॉन्ड आदि जैसे निश्चित आय वाले इंस्टूमेंट में मंथली निश्चित एमाउंट अलग रख कर शुरुआत कर सकते हैं. आप महिला सम्मान सेविंग सर्टिफिकेट जैसे सरकारी निवेश का भी लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए आप अपनी पत्नी के नाम से निवेश कर सकते हैं.

मीडियम से लेकर लॉन्ग टर्म में आप स्टॉक, म्युचुअल फंड, ईटीएफ और अन्य सहित इक्विटी-वेटिंग इंस्टूमेंट्स में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, इस तरह के निवेश के लिए एक्सपर्ट से राय-मशविरा की जरूरत पड़ती है. आमतौर पर आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विभिन्न एसेट क्लासेस के बीच आपके निवेश पोर्टफोलियो में पर्याप्त डावर्सिफिकेशन होना जरूरी है. इसके अलावा डेट इंस्ट्रूमेंट और अन्य निवेश आपके निवेश पोर्टफोलियो में रिस्क को कम करने में सहायक साबिक हो सकते हैं.

इसके अतिरिक्त मीडियम से लॉन्ग टर्म में अधिकांश निवेश निश्चित अवधि के लिए हो सकते हैं ऐसे में आपको इस तरह से निवेश की योजना बनाने की जरूरत है जो आपको जुर्माना के बिना जरूरत पड़ने पर लिक्विडिटी या निकासी की सुविधा प्रदान कर सके. मिसाल के तौर कुछ फंड निश्चित इनवेस्ट टेन्योर पूरा होने के बाद यानी हर 3 साल में मनी-बैक प्लान पेश करते हैं.

अंत में बच्चों के हेल्थकेयर संबंधी खर्चों पर विचार करना भी अत्यंत आवश्यक है. अधिकांश बच्चे गैर-संचारी रोगों से ग्रस्त नहीं होते हैं, वे अक्सर लापरवाह होते हैं और चोट लगने का खतरा होता है. इस तरह के अप्रत्याशित रूप घटित होने वाली स्वास्थ्य संबंधी गड़बड़िया आपके मंथली बजट को प्रभावित कर सकती है. इससे बचने के लिए अपने बच्चे का हेल्थ इंश्योरेंस कवर करवाएं. या उसे फैमिली फ्लोटर प्लान में शामिल करें.

(Article by Devanshee Dave, Personal Finance Content Specialist)

(Disclaimer: The views and suggestions mentioned here are those of the respective commentators. The facts and opinions expressed here do not reflect the views of financialexpress dot com. Please consult your financial advisor before investing.)

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