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Gold Alert: सोना अपने करेंट प्राइस से 25% आएगा नीचे? ब्रोकरेज हाउस ने बताई वजह

सोने की कीमतों में मौजूदा तेजी के बाद अब गिरावट के संकेत मिल रहे हैं और सिटीबैंक का अनुमान है कि 2026 की दूसरी छमाही तक सोना 2,500 डॉलर प्रति औंस तक आ सकता है.

सोने की कीमतों में मौजूदा तेजी के बाद अब गिरावट के संकेत मिल रहे हैं और सिटीबैंक का अनुमान है कि 2026 की दूसरी छमाही तक सोना 2,500 डॉलर प्रति औंस तक आ सकता है.

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FE Hindi Desk
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हालांकि कीमतों की आगे की दिशा काफी हद तक मिडिल ईस्ट के हालात, वैश्विक अर्थव्यवस्था और अमेरिकी नीतियों पर निर्भर करेगी. (Image: Reuters)

Could gold fall 25% from current levels? सोने की कीमतों में हाल ही में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है, लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि यह तेजी रुक सकती है और कीमतें घट सकती हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सिटीबैंक का अनुमान है कि आने वाले कुछ महीनों में सोने की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ सकती है.

सिटी रिसर्च का मानना है कि सोने की कीमतें अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुकी हैं और 2025 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर) में इसमें गिरावट आ सकती है. उनके अनुसार, इस दौरान सोना करीब 3,100 से 3,500 डॉलर प्रति औंस के बीच रह सकता है, लेकिन साल के बाकी महीनों और 2026 तक इसमें और नरमी आ सकती है.

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विशेषज्ञों का कहना है कि 2026 की दूसरी छमाही (जुलाई के बाद) तक सोने की कीमत घटकर लगभग 2,500 से 2,700 डॉलर प्रति औंस तक आ सकती है. रिपोर्ट में एनालिस्ट मैक्स लेटन और उनकी टीम ने बताया कि इसकी वजह निवेशकों की कम होती दिलचस्पी, दुनिया भर में आर्थिक हालातों में सुधार और अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती हो सकती है.

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पिछले एक साल में सोने की कीमतों में 45% तक बढ़ोतरी हुई है और 2025 में अब तक यह करीब 30% ऊपर जा चुका है. 22 अप्रैल को सोना अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर यानी 3,500 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया था.

इस समय सोना करीब 3,400 डॉलर प्रति औंस के भाव पर कारोबार कर रहा है, जो पिछले एक महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. लेकिन इतनी ऊंची कीमत पर ज्यादा लोग इसे खरीद नहीं रहे हैं, खासकर तब जब इसराइल और ईरान के बीच बातचीत की संभावनाएं बनी हुई हैं जिससे मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) में तनाव कम हो सकता है.

2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कड़े और अस्थिर व्यापार नीतियों के साथ-साथ मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) में चल रही परेशानियों ने सोने की मांग को काफी बढ़ा दिया. इसके अलावा अमेरिका के बजट घाटे और संपत्तियों को लेकर चिंता, और दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों द्वारा अपनी जमा पूंजी को अलग-अलग जगहों पर लगाने (डाइवर्सिफाई करने) के लिए सोना खरीदने से भी इसकी कीमतों में तेजी आई.

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के आखिर और 2026 में सोने में निवेश की मांग धीरे-धीरे कम हो सकती है. उनका कहना है कि जैसे-जैसे अमेरिका में मिड-टर्म चुनाव करीब आएंगे, ट्रंप की लोकप्रियता और देश की आर्थिक वृद्धि दोबारा बढ़ने की उम्मीद है, जिससे निवेशक सोने से हटकर अन्य विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं. इसके अलावा, उनका मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व अपनी सख्त मौद्रिक नीति को नरम कर सकता है, जिससे सोने की चमक और कम हो सकती है.

सोने की कीमत अभी अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर से सिर्फ 3% दूर है, लेकिन इस स्तर पर भारी दबाव झेल रही है. अगर इसराइल और ईरान के बीच बातचीत से तनाव कम नहीं होता, तो सोने की कीमतों में फिर से तेजी देखी जा सकती है. लेकिन अगर हालात शांत हो जाते हैं, तो सोना और गिर सकता है.

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सिटीबैंक का भी मानना है कि अगर दुनिया भर की अनिश्चित स्थितियों का कोई अचानक समाधान निकलता है, तो सोने की कीमतों में जितनी जल्दी गिरावट आ सकती है, वो उम्मीद से पहले हो सकती है.

सिटीबैंक के मुताबिक, उनके 'बेस केस' (यानी सबसे संभावित स्थिति) में, जिसकी 60% संभावना है, सोना अगले कुछ महीनों में 3,000 डॉलर प्रति औंस से ऊपर टिक सकता है, लेकिन उसके बाद इसमें और गिरावट आ सकती है.
आज भारत में 24 कैरेट सोने का रेट 10 ग्राम के लिए ₹98,990 है. आने वाले समय में सोने की कीमतें इस बात पर काफी हद तक निर्भर करेंगी कि मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) में हालात कैसे आगे बढ़ते हैं.

अगर वहां तनाव और बढ़ता है या ट्रेड (व्यापार) से जुड़े मुद्दों में और गिरावट आती है, तो इससे सोने को और मजबूती मिल सकती है. लेकिन अगर कूटनीतिक मामलों में हल निकलता है या व्यापार नीति को लेकर स्थिति साफ होती है, तो बाजार में सोने जैसी 'सेफ हैवन' संपत्तियों की मांग कम हो सकती है, जिससे सोने की कीमतों में नरमी आ सकती है.

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