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बच्चे अपने परिवार का टैक्स बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे बच्चे बचा सकते हैं टैक्स.
माता-पिता यानी पेरेंट्स बनने के बाद तमाम जिम्मेदारियों और खुशियों के बीच अक्सर इस पहलू को नजरअंदाज कर दिया जाता है कि बच्चों के कारण परिवार को टैक्स में छूट मिलता हैं. परिवार में बच्चों की मौजूदगी और उनकी परवरिश से मिल रही खुशी के इतर सरकार द्वारा भी पैरेंट्स को वित्तीय सपोर्ट मिलती है ताकि माता-पिता को बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल, शिक्षा पर होने खर्चों और उनकी जरूरतों को पूरा करने में कम परेशानी हो.
छोटे बच्चों के कारण पेरेंट्स को मिलने वाले टैक्स बेनिफिट के बारे में समझकर और उनका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाकर परिवार के वित्तीय बोझ को काफी हद तक कम किया सकता हैं. इसके साथ ही बच्चों को बेहतर भविष्य दिया जा सकत हैं. परिवार का टैक्स बचाने में आपके बच्चे भी अहम भूमिका निभा सकते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे आप पैरेंट्स बनने के बाद ज्यादा से ज्यादा टैक्स में छूट का लाभ पा सकते हैं.
बच्चों की फीस: नर्सरी से पोस्टग्रेजुएशन तक
नौकरी पेशा वाले टैक्सपेयर्स अपने बच्चों की शिक्षा लागत में मदद करने के लिए कॉस्ट ऑफ कंपनी (सीटीसी) स्ट्रक्चर के हिस्से के रूप में आयकर अधिनियम की धारा 10(14) के तहत कुछ भत्ते के हकदार हैं. इनमें भत्तों में शिक्षा और हॉस्टल खर्च शामिल है.
बच्चों की शिक्षा भत्ता: हर एक बच्चे के लिए प्रति माह 100 रुपये की कटौती, दो बच्चों के लिए अधिकतम 2,400 रुपये सालाना तक.
बच्चों की हॉस्टल भत्ता: हर एक बच्चे के लिए प्रति माह 300 रुपये की कटौती, दो बच्चों के लिए अधिकतम 2,600 रुपये सालाना.
ट्यूशन फीस पर भी मिलती है टैक्स छूट
इसके अलावा बच्चों की शिक्षा के लिए भुगतान की गई ट्यूशन फीस इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत कटौती योग्य है. माता-पिता अलग से सालाना 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. यह टैक्स डिडक्शन भारत में स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों या अन्य शैक्षणिक संस्थानों में दो बच्चों तक के लिए भुगतान की जाने वाली ट्यूशन फीस को कवर करती है. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह कटौती ट्यूशन फीस के लिए विशिष्ट है और इसमें अन्य शुल्क शामिल नहीं हैं, जैसे कि पार्ट-टाइम या इंटरनेशनल कोर्स पाठ्यक्रमों के लिए.
सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana-SSY) भी एक अच्छा टैक्स-सेविंग विकल्प है. धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स बेनिफिट्स के साथ-साथ टैक्स फ्री रिटर्न भी देती है. यह मुख्य रूप से बालिका शिक्षा और विवाह के लिए है क्योंकि राशि का निवेश केवल 21 वर्ष की आयु तक किया जा सकता है. सुकन्या समृद्धि अकाउंट किसी भी पोस्ट ऑफिस या बैंक शाखा में खुलवाया जा सकता है. बेटी के जन्म के समय या फिर 10 साल की उम्र तक यह खाता खुलवाया जा सकता है. खाता खुलवाने के समय कम से कम 1000 रूपये और एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रूपये जमा करवाने होते हैं.
बच्चों की शैक्षणिक भविष्य को वित्तीय सुरक्षा देने के लिए, माता-पिता को बच्चों के नाम पर बीमा योजनाओं (children’s insurance plans) और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (Unit Linked Insurance Plans-ULIPs) जैसे निवेश स्कीम पर विचार करने की सलाह दी जाती है. ये उपकरण न सिर्फ टैक्स बेनिफिट देते हैं बल्कि योगदान देने वाले माता-पिता की मृत्यु जैसी अप्रत्याशित परिस्थितियों के मामले में वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करते हैं. यानी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आप पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि खाता, म्यूचु्अल फंड्स खाता, ट्रेडिशनल इंश्योरेंस पॉलिसी जैसे स्कीम की मदद ले सकते हैं. इसमें आप जो निवेश करेंगे, उस पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन मिलता है.
एडुकेशन लोन पर ब्याज भी बिना किसी ऊपरी सीमा के धारा 80E के तहत टैक्स डिडक्शन के लिए पात्र है. यह प्रावधान विशेष रूप से हायर इनकम वाले परिवारों के लिए फायदेमंद है और यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय बाधाओं के बावजूद हायर एजुकेशन का सपना पहुंच के भीतर बना रहे. बच्चे की पढ़ाई के लिए आप एजुकेशन लोन लेकर सेक्शन 80E के तहत टैक्स बचा सकते हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस पर भी मिलती है टैक्स में छूट
इनकम टैक्स की धारा 80D बच्चों के लिए भुगतान किए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का लाभ देती है. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बच्चे, पत्नी और खुद यानी परिवार के लिए टैक्स डिडक्शन की ऊपरी लिमिट 25,000 रुपये है. इनकम टैक्स की धारा 80D के तहत बच्चे वाला परिवार 25,000 रुपये तक के टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकता है. इसके अलावा कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस कवर अतिरिक्त 5,000 रुपये तक का क्लेम सुनिश्चित करता है. यह कवरेज होने पर परिवार बच्चों के प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप के लिए 5,000 तक की सब-लिमिट का दावा भी कर सकते हैं.
इसके अलावा, सेक्शन 80DD और 80DDB विकलांग या विशिष्ट बीमारियों वाले बच्चों के मेडिकल ट्रीटमेंट पर होने वाले खर्चों के लिए टैक्स डिडक्शन मिलते हैं. धारा 80DD के तहत, विकलांग बच्चों के चिकित्सा उपचार और रखरखाव से संबंधित खर्चों के लिए टैक्स डिडक्शन का दावा किया जा सकता है, जबकि धारा 80DDB विशिष्ट बीमारियों जैसे एड्स, न्यूरोलॉजिकल रोगों और घातक कैंसर के इलाज के लिए डिडक्शन की अनुमति देता है. धारा 80DD के तहत कटौती की राशि विकलांगता की सीमा पर निर्भर करती है, जिसमें 40% से अधिक विकलांगों के लिए 75,000 रुपये की अधिकतम डिडक्शन और गंभीर विकलांगता के लिए 1,25,000 रुपये की अधिकतम डिडक्शन होती है.
बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ज्यादा से ज्यादा बचाएं टैक्स
छोटे बच्चों वाले परिवारों के लिए टैक्स सेविंग के दायरे को अधिकतम करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट के तहत उपलब्ध धाराओं का समझदारी के साथ इस्तेमाल करनी होती है. शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल खर्चों के लिए डिडक्शन का लाभ उठाकर, माता-पिता न केवल अपनी टैक्स देनदारियों को कम कर सकते हैं बल्कि अपने बच्चों के समग्र विकास को भी सुनिश्चित कर सकते हैं.
इंश्योरेंस, म्युचुअल फंड और एजुकेशन लोन जैसे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर बच्चों के बेहतर भविष्य और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड का इंतजाम कर सकते हैं. इसके अलावा, टैक्स नियमों में बदलाव के बारे में अपडेटेड रहकर और वित्तीय सलाहकारों की मदद से परिवारों को अपनी टैक्स प्लानिंग में मदद मिल सकती है. ज्यादा से ज्यादा टैक्स लाभ लेकर फाइनेंशियल गोल को पाने के लिए सही कदम उठाए जा सकते हैं.
18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चे टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं अगर पेरेंट्स उन्हें पैसा या एसेट्स देते हैं. ब्याज या किराये की आय को बच्चों की प्रमुख आय के रूप में माना जाएगा और ऐसा करके पेरेंट्स हायर स्लैब रेट से टैक्स देने से बच सकते हैं. यह रणनीति उन माता-पिता के लिए अधिक उपयोगी है जिन्होंने पहले से ही बच्चे की हायर एजुकेशन और विवाह के लिए पैसे बचाए रखा है.
कुल मिलाकर छोटे बच्चों वाले परिवारों के लिए टैक्स बेनिफिट का प्रावधान भावी पीढ़ियों के समग्र विकास में मदद करता है. बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए किया गए ये फैसले सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं. इन प्रोत्साहनों का सही तरीके से लाभ लेकर, पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुरक्षित करते हुए उनके परवरिश में आने वाली वित्तीय चुनौतियों का सामना कर सकते हैं.
(Article by Sudhir Kaushik, CEO, Tax Spanner. Views are personal)