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भविष्य में किसी तरह की परेशानी से जूझना न पड़े और No-Cost EMI विकल्प का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए इस पर आगे बढ़ने से पहले विकल्प से जुड़ी बारिकियों को समझ लेना जरूरी है. आइए जानते हैं. (Image: Freepik)
Demystifying No-Cost EMIs; 10 things to know before you opt for it : अपने पसंदीदा स्मार्टफोन, रेफ्रिजरेटर, टीवी, वाशिंग मशीन जैसे अन्य महंगे सामान की खरीदारी कभी इतनी आसान नहीं थी जितनी आज है. इसे नो-कॉस्ट EMI (No-Cost EMI) विकल्प ने आसान बनाया है. इस विकल्प में ग्राहकों को एक साथ बड़ी राशि का भुगतान करने की जरूरत नहीं होती है. नो-कॉस्ट EMI यानी इक्वेटेड मंथली इंस्टालमेंट (Equated Monthly Instalment) विकल्प के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म से महंगे सामान की खरीदारी एकमुश्त भुगतान की बजाय किस्तों में पेमेंट करने का सुविधा मिलती है.
यह विकल्प उपयोगी हो सकता है खासकर तब जब आप कोई महंगा सामान खरीद रहे हों और आपके पास कीमत चुकाने के पर्याप्त फंड का इंतजाम न हो पाए या फिर आप एक बार में मोबाइल फोन, टीवी या कोई अन्य कीमती सामान की पूरी कीमत चुकाना नहीं चाहते हैं. ऐसे में नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प मददगार साबित हो सकता है. ग्राहकों के बीच नो-कॉस्ट EMI एक लोकप्रिय और आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है. नाम से ही पता चल रहा है कि यह विकल्प बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के आते हैं और लोग इसके इस्तेमाल से महंगे सामान को आसानी से खरीद सकते हैं. इस विकल्प पर आगे बढ़ने से पहले नो-कॉस्ट EMI की प्रकिया और इसकी बारीकियों के बारे में समझना बेहद जरूरी है. यहां नो-कॉस्ट EMI से जुड़ी कुछ अहम जानकारी दी गई है. सही और समझदारी भरा फैसला करने के लिए नो-कॉस्ट EMI विकल्प से जुड़ी 10 अहम बातें यहां पढ़िए.
क्या है No-Cost EMI?
नो-कॉस्ट EMI खरीदारों को बिना किसी ब्याज शुल्क (interest charges) के कई महीनों तक सामान की कीमत कोछोटे-छोटे किस्तों में चुकाने की अनुमति देती है. हालांकि ये ध्यान रखना जरूरी है कि इस विकल्प में खरीदार से सीधे तौर पर ब्याज नहीं लिया जाता है, लेकिन समग्र लागत गणना में अन्य शुल्क या समायोजन शामिल हो सकते हैं.
हिडेन चार्जेज के बारे में जान लें
'नो-कॉस्ट' शब्द के उलट इस EMI विकल्प में कई छिपे हुए शुल्क यानी हिडेन चार्ज (Hidden Charges) शामिल हो सकते हैं. इस विकल्प में भले ही ब्याज माफ करने का दावा किया जा सकता है लेकिन डाउन पेमेंट, प्री-पेमेंट पेनल्टी, लेट पेमेंट, प्रोसेसिंग चार्ज जैसे तमाम चार्ज लागू होते हैं. ग्राहकों को नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प की सुविधा का लाभ उठाने से पहले ऐसे तमाम अतिरिक्त चार्ज के बारे में जान लेना चाहिए. समझदारी इसी में है कि महंगे सामान को खरीदने के लिए नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प का इस्तेमाल करते समय उससे जुड़े सभी नियमों और शर्तों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ा जाए.
किस सामान या रिटेलर्स के पास है इस विकल्प की सुविधा
नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प आमतौर पर कुछ विशेष सामानों पर लागू होती है या गिने चुनें रिटेलर द्वारा ग्राहकों को मोबाइल फोन, रेफ्रिजरेटर, टीवी, वाशिंग मशीन जैसे तमाम महंगे सामानों पर ऑफर की जाती है. नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प सभी सामानों की खरीदारी पर लागू नहीं हो सकती है.
इसके चलते अलग-अलग हो सकती हैं शर्तें
नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प की पेशकश करने वाले रिटेलर्स अक्सर इस सेवा को देने के लिए बैंक या वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी करते हैं. विभिन्न रिटेलर और फाइनेंसिंग संस्थान के बीच साझेदारी के आधार पर नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प की शर्तें, अवधि और पात्रता मानदंड समेत अन्य लागू कंडीशन्स अलग-अलग हो सकती हैं.
क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है असर
नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकता है, हालांकि ये असर मामूली हो सकता है. अगर भुगतान में चूक या देरी हो जाती है, तो ये आपके क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर डाल सकता है. वक्त पर भुगतान करने पर क्रेडिट स्कोर में सुधार भी हो सकता है.
बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं कि हर बार रिपेमेंट में देरी से क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ सकता है, ऐसा होने के कारण भविष्य के लोन या क्रेडिट कार्ड पर अनुकूल शर्तों को सुरक्षित करने की आपकी क्षमता प्रभावित हो सकती है. नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प में वक्त पर पेमेंट को प्राथमिकता देना जरूरी है, क्योंकि एक भी देर से भुगतान के स्थायी नतीजे हो सकते हैं. लगातार और समय पर रिपेमेंट न सिर्फ आपके क्रेडिट स्कोर को संरक्षित करता है बल्कि आपकी समग्र वित्तीय स्थिति में भी सकारात्मक योगदान देता है.
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सामान लागात का कितना हिस्सा करना होगा जमा
ईएमआई स्वयं इंटरेस्ट-फ्री हो सकती है, फिर भी डाउन पेमेंट की जरूर पड़ सकती है. हालांक ये शुरूआती भुगतान यानी डाउन पेमेंट सामान का मूल लागत को कम करती है. डाउन पेमेंट के लिए पैसे की जरूरत होती है. खरीदारी के वक्त डाउन पेमेंट करने से खरीद की समग्र लागत पर असर पड़ता है.
कितने समय का होगा रिपेमेंट टेन्योर?
नो-कॉस्ट ईएमआई में पहले से तय टेन्योर हो सकती है. ऐसे में ये ग्राहकों के लिए रिपेमेंट टेन्योर चुनने की सुविधा को सीमित कर देती है. नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प में टेन्योर पहले से तय के कारण ग्राहकों का काम और भी आसान हो सकता है इसे ध्यान में रखकर वे अपनी सहूलियत के हिसाब से सही वित्तीय फैसले आसानी से कर पाते हैं.
इन विकल्पों पर भी कर लें विचार
नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प पर आगे बढ़ने से पहले, वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मददगार अन्य विकल्प के बारे में पता कर लें. नो-कॉस्ट ईएमआई की तुलना में तमाम बैंक या वित्तीय संस्थानों द्वारा के लोन या क्रेडिट कार्ड आपके पैसा बचा सकते हैं. ऐसे तमाम विकल्पों की आपस में तुलना करके के सही फैसला लें.
डिस्काउंट और कैशबैक ऑफर की जान लें शर्तें
कुछ रिटेलर्स डिस्काउंट या कैशबैक ऑफर के साथ नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प की पेशकश कर सकते हैं. हालांकि, इन प्रोत्साहनों और ईएमआई की शर्तों के बीच परस्पर क्रिया को समझना जरूरी है, क्योंकि कुछ डिस्काउंट विशिष्ट भुगतान शर्तों के साथ आ सकते हैं.
टेन्योर से पहले पूरी राशि जमा करने की क्या है शर्त?
नो-कॉस्ट ईएमआई में प्री-पेमेंट से जुड़े प्रतिबंध या शुल्क हो सकते हैं. अगर तय टेन्योर से पहले पूरी राशि का भुगतान करना चाहते हैं, तो ऐसे में लागू पेनाल्टी या अन्य चार्जेंस से जुड़े नियमों के बारे में विकल्प चुनने से पहले पता कर लें.
ग्राहकों के लिए No-Cost EMI एक बेहतर और आसान विकल्प साबित हो सकता है. विकल्प ग्राहकों के लिए ये विकल्प लागत प्रभावी तरीकों में से एक हो सकती है. भविष्य में किसी तरह की परेशानी से जूझना न पड़े और No-Cost EMI विकल्प का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए इस पर आगे बढ़ने से पहले विकल्प के नियमों और शर्तों के बारे में अच्छी तरीके से जान लेना चाहिए.
(Article by Sanjeev Sinha)