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गोल्ड से जुड़े एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स निवेशकों को पारदर्शिता, आसानी से लिक्विडिटी और सेफ्टी देते हैं, जिससे वे सोने की तेजी का फायदा उठा सकते हैं बिना भारी मेकिंग चार्ज चुकाए. (Image : Reuters)
सोने का प्रदर्शन हाल के समय में निवेशकों के लिए चौंकाने वाला रहा है. पिछले 24 महीनों में सोने की कीमतों में 100% की तेजी और 2020 से अब तक 200% की उछाल ने कई निवेशकों का ध्यान इस बुल रन की ओर खींचा है. अक्टूबर 2023 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 1,900 डॉलर थी, जो आज 3,860 डॉलर पर पहुंच चुकी है. भारत में भी अक्टूबर 2023 में दस ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 61,000 रुपए थी, जो अब बढ़कर 1,17,290 रुपए हो गई है. पिछले एक साल में सोने की कीमत में 45% से अधिक की तेजी आई है, और इस साल अब तक यह 47% से ऊपर कूद चुका है.
इस तेजी के बीच “FOMO” यानी मौका हाथ से न निकल जाने का डर धीरे-धीरे निवेशकों में दिखने लगा है, और लेट आने वाले निवेशक भी इस तेजी का लाभ उठाना चाहते हैं.
सोने के आभूषण: महंगे लेकिन सुरक्षित
जो निवेशक भौतिक सोने के आभूषण रखते हैं, वे इस रैली से संतुष्ट हैं. लेकिन ध्यान रहे, आभूषण खरीदने पर 5-25% तक का मेकिंग चार्ज लगता है, और इसे नकद में बदलने पर भी अतिरिक्त खर्च होता है. साथ ही, अलग-अलग शहरों में कीमतों में अंतर भी देखने को मिलता है. यानी, भौतिक सोने के जरिए अपनी बचत को सुरक्षित रखना महंगा पड़ सकता है.
Gold ETFs: कम लागत, अधिक पारदर्शिता
सोने का एक बेहतर विकल्प है – पेपर गोल्ड यानी गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs). ये फंड स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं और भौतिक सोने की तुलना में इनकी लागत काफी कम होती है. आभूषणों के मेकिंग चार्ज की तुलना में, गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) का एक्सपेंस रेशियो केवल 0.8% है. डिमैट चार्ज और ट्रैकिंग एरर कुछ अतिरिक्त खर्च जोड़ते हैं, लेकिन यह फिर भी भौतिक सोने की तुलना में कम है.
एक और बड़ा फायदा यह है कि गोल्ड ETFs का मूल्य पूरी तरह पारदर्शी और मानक होता है. एक यूनिट की कीमत वास्तविक सोने की कीमत के काफी करीब होती है. इसके अलावा, शुद्धता, सुरक्षा और भंडारण की चिंता नहीं होती. अगर आपके पास डिमैट अकाउंट नहीं है, तो म्यूचुअल फंड हाउस के गोल्ड FoFs (Fund of Funds) के जरिए भी आप सोने में निवेश कर सकते हैं.
Gold ETFs में निवेश का बढ़ता रुझान
भारतीय निवेशक गोल्ड ETFs की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले 2 साल में भारतीय गोल्ड ETFs में शुद्ध निवेश 108% बढ़ा (Invest in Gold ETF) है. अगस्त 2023 में शुद्ध निवेश 1,050.28 करोड़ रुपए था, जो अगस्त 2025 में बढ़कर 2,189.5 करोड़ रुपए हो गया. आज बाजार में 21 गोल्ड ETFs उपलब्ध हैं, जिनका कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट 72,495 करोड़ रुपए है.
गोल्ड ETFs खरीदना बेहद आसान है. यदि आप शेयरों की खरीद-बिक्री से परिचित हैं, तो आप केवल 1 ग्राम से ही निवेश शुरू कर सकते हैं. छोटी राशि से व्यवस्थित निवेश के लिए गोल्ड ETFs की यूनिट्स 500 रुपए में भी खरीदी जा सकती हैं.
कितना सोना रखें, योजना बनाना जरूरी
सोने की कीमतें इतिहास में कभी इतनी ऊँची नहीं रही. इसलिए निवेशकों को सलाह है कि अपने पोर्टफोलियो का केवल 5-10% ही सोने में निवेश करें. कीमतों में गिरावट आने पर निवेश बढ़ा सकते हैं, और जब सोने का हिस्सा अधिक हो जाए, तो कुछ बेच सकते हैं.
ध्यान रहे, गोल्ड ETFs में कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता. जरूरत पड़ने पर इन्हें जल्दी बेचा जा सकता है, बशर्ते टैक्स और एग्ज़िट चार्ज लागू हों. फिर भी, हिस्से-हिस्से निवेश निकालने या जल्दी बाहर निकलने से बचें और इन्हें लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों के लिए रखें. गोल्ड ETFs समय-परीक्षित निवेश विकल्प हैं, जो लंबे समय में आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed for accuracy.
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