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तेल की कीमतों में पहले ही काफी बढ़ोतरी हो चुकी है और अब संकेत हैं कि लोन लेना भी महंगा हो जाएगा.
MCLR: बढ़ती महंगाई, कोविड -19 महामारी और यूक्रेन में युद्ध ने दुनिया भर के फाइनेंशियल मार्केट के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है. तेल की कीमतों में पहले ही काफी बढ़ोतरी हो चुकी है और अब संकेत हैं कि लोन लेना भी महंगा हो जाएगा. हाल ही में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एक्सिस बैंक (Axis Bank), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) और कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) समेत कई बैंकों ने अपने MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट) में बढ़ोतरी की है. ऐसे में अगर आप नया घर या नई कार खरीदने जैसी जरूरतों के लिए लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो आपको यह महंगा पड़ेगा. और अब ऐसे संकेत हैं कि फ्लोटिंग रेट पर लोन महंगा होने वाला है.
बैंक क्यों बढ़ा रहे हैं लोन की दरें? MCLR में इस बढ़ोतरी का क्या होगा असर, जानिए एक्सपर्ट्स की राय
अगर आप लोन लेने का मन बना रहे हैं, तो यहां हमने MCLR से जुड़ी 7 ऐसी जरूरी बातें बताई हैं, जिनके बारे में आपको जानना चाहिए.
- अगर आपने फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लोन लिया है, तो इस बात की काफी संभावना है कि लोन या तो MCLR से जुड़ा होगा, या एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड सिस्टम से जुड़ा होगा.
- MCLR केवल लोन के फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट्स पर लागू होता है.
- 1 अक्टूबर 2019 से, RBI ने रिटेल और MSME लोन्स के लिए एक एक्सटर्नल बेंचमार्किंग सिस्टम को लिंक करना अनिवार्य कर दिया है. हालांकि, इसे कॉर्पोरेट और अन्य तरह के लोन्स के लिए ऑप्शनल रखा गया है.
- एमसीएलआर केवल उन लोन्स को प्रभावित करता है, जो फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट्स पर हैं. यह फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट्स पर लागू नहीं होता है.
- कस्टमर्स संबंधित बैंक की वेबसाइट पर MCLR चेक कर सकते हैं.
- आरबीआई की अनुमति के बिना बैंक MCLR से नीचे कर्ज नहीं दे सकते.
- अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है, तो यह बैंकों के लिए कॉस्ट ऑफ फंड्स को प्रभावित करता है, और इसलिए फ्लोटिंग रेट्स पर एमसीएलआर लिंक्ड लोन्स के लिए ब्याज दरें बढ़ जाती हैं.
Bankbazaar.com के CEO आदिल शेट्टी कहते हैं, “MCLR को पहली बार 1 अप्रैल 2016 को बेस रेट व्यवस्था से जुड़ी जटिलताओं को दूर करने के लिए पेश किया गया था. इसे आरबीआई की दर में कटौती से लोन लेने वालों के फायदे में मदद करने के मकसद से लाया गया था. इसलिए, MCLR को अधिक पारदर्शिता लाने और बॉरोअर्स व बैंकों दोनों के फायदे के लिए पेश किया गया था.” हाल ही में कुछ प्रमुख बैंकों ने MCLR में इजाफा किया है. इसका मतलब है कि फ्लोटिंग रेट्स से लिंक्ड होम लोन और ऑटो लोन के महंगा होने की संभावना है.
(Article: Sanjeev Sinha)