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अगले 10 सालों के लिए टॉप म्यूचुअल फंड्स, जो बना सकते हैं करोड़पति

लंबे समय के लिए निवेश करने का सोच रहे हैं? तो जानिए ऐसे म्यूचुअल फंड स्ट्रैटेजी और भरोसेमंद स्कीमें जो भारत की ग्रोथ स्टोरी के साथ अगले दशक तक जुड़ी हुई हैं.

लंबे समय के लिए निवेश करने का सोच रहे हैं? तो जानिए ऐसे म्यूचुअल फंड स्ट्रैटेजी और भरोसेमंद स्कीमें जो भारत की ग्रोथ स्टोरी के साथ अगले दशक तक जुड़ी हुई हैं.

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FE Hindi Desk
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भले ही पुराने रिटर्न आपकी नजर खींच लें, लेकिन असली कमाई हमेशा भविष्य को ध्यान में रखकर की गई समझदारी भरी निवेश रणनीति से होती है. Photograph: (AI Image)

by Equitymaster

पिछले एक साल में, भारतीय शेयर बाजार मजबूत घरेलू आय, रिटेल इन्वेस्टरों की बढ़ती भागीदारी और लगातार SIP इनफ्लो से रिकॉर्ड स्तरों के करीब पहुंच गया है.

लेकिन इस तेजी के पीछे निवेशक कुछ अहम सवाल पूछ रहे हैं: क्या बाजार बहुत ऊँचे स्तर पर है? क्या अभी निवेश करना सही समय है? लंबी अवधि के निवेशकों के लिए सबसे सही रणनीति क्या है?

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हम मानते हैं कि भारत की संरचनात्मक विकास कहानी अब भी मजबूत लगती है. चाहे छोटी अवधि में उतार‑चढ़ाव हों, भारतीय शेयर अगले दशक के लिए अच्छी स्थिति में बने हुए हैं.

इस परिस्थित में समय से बाजार में उतरना (market timing) मुश्किल हो जाता है. जिन निवेशकों की जोखिम सहने की क्षमता मध्यम से उच्च है और समय सीमा 10 साल की है, उनके लिए इक्विटी म्युचूअल फंड्स (equity mutual funds) के जरिए निवेश करना बेहतर विकल्प है.

इस एडिटोरियल में हम बताते हैं कि क्यों 10 साल की समय सीमा इक्विटी म्युचूअल फंड्स का पक्ष मजबूत करती है.

साथ ही हम 4 गहन रिसर्च किए गए फंड कैटेगरीज (fund categories) (और उनके कुछ स्पेसिफिक फंड्स) प्रस्तुत करेंगे, ताकि आप एक संतुलित और भरोसेमंद equity portfolio बना सकें टिकाऊ धन निर्माण के लिए.

आगे पढ़िए…

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लार्ज कैप म्यूचुअल फंड्स

साल 2025 में लार्ज कैप फंड्स पर निवेशकों का ध्यान बढ़ा, जहां इनका रिटर्न लगभग 18% से 21% के बीच रहा. मिड और स्मॉल कैप फंड्स की वैल्यूएशन ऊंची दिखने लगी, जिससे इंस्टीट्यूशनल निवेशक फिर से क्वालिटी लार्ज कैप्स की ओर लौटने लगे हैं.

फंड मैनेजर अब स्टॉक्स को और सावधानी से चुन रहे हैं — ऐसे कंपनियों में निवेश कर रहे हैं जिनका रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) हाई है, जो कैश-समृद्ध हैं और लगातार डिविडेंड देती हैं.

इतने सारे विकल्पों के बीच, ऐसा फंड ढूंढना जरूरी है जो लंबे समय तक लगातार अच्छा प्रदर्शन करता आया हो.

अगर आप मजबूत हिस्टोरिकल डेटा से सपोर्टेड स्थिरता (consistency) की तलाश में हैं, तो Nippon India Large Cap Fund एक बेहतर विकल्प बनकर उभरता है.

इस फंड की खासियत इसका 10 साल का रोलिंग CAGR है, जो 15.25% से ज्यादा है — जो इस कैटेगरी में सबसे बेहतरीन है.

ये परफॉर्मेंस ये दिखाता है कि फंड सिर्फ बुल रन में फायदा उठाने में ही नहीं, बल्कि मार्केट में गिरावट के वक्त आपके निवेश को संभालने में भी माहिर है — और यही बैलेंस एक लॉन्ग टर्म निवेशक चाहता है.

इस फंड का AUM यानी एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 43,829 करोड़ रुपये है. इसका पोर्टफोलियो भारत की ग्रोथ स्टोरी पर मजबूत विश्वास दिखाता है.

इसके सबसे बड़े स्टॉक्स हैं HDFC Bank (8.46%), Reliance Industries (7.2%) और ICICI Bank (5.44%). सेक्टर के हिसाब से इसकी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी फाइनेंशियल सर्विसेज (30.25%), IT (7.35%) और क्रूड ऑयल (7.2%) में है.

मिड कैप म्यूचुअल फंड्स

मजबूत कमाई (earnings growth) की वजह से 2025 में मिड कैप फंड्स ने निवेशकों का काफी ध्यान खींचा. Nifty Midcap 150 Index ने इस साल 20% से ज़्यादा का रिटर्न दिया है, जो बड़े लार्ज कैप बेंचमार्क्स से काफी बेहतर है.

लेकिन जहां रिटर्न की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, वहीं मिड कैप्स में उतार-चढ़ाव (volatility) भी ज्यादा होता है.

इसलिए निवेशकों को ऐसे मिड कैप फंड्स चुनने चाहिए जिनकी रणनीति अनुशासित हो और जिनका जोखिम को संतुलित करने (risk-adjusted return) का ट्रैक रिकॉर्ड साबित हो चुका हो.

Motilal Oswal Midcap Fundऐसा ही एक फंड है. इसका AUM यानी कुल प्रबंधित संपत्ति ₹33,053 करोड़ है और इसका पोर्टफोलियो कम टर्नओवर रेश्यो के साथ हाई-कन्विक्शन यानी मजबूत विश्वास वाले निवेशों पर फोकस करता है.

इस फंड की हालिया होल्डिंग्स में Coforge (10.48%), Persistent Systems (9.59%) और Trent (9.39%) प्रमुख कंपनियां हैं.

इस फंड ने 10 साल में 20.58% का CAGR रिटर्न दिया है और अलग-अलग बाजार चक्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है.

इसका सेक्टर एक्सपोजर IT (24.63%), इलेक्ट्रिकल्स (12.01%) और रिटेल (9.39%) में है, जो भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और घरेलू मांग के साथ जुड़ी निवेश रणनीति को दर्शाता है.

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फ्लेक्सी कैप म्यूचुअल फंड्स

जब मार्केट में लार्ज, मिड और स्मॉल कैप सभी सेगमेंट्स में वैल्यूएशन ऊंचा हो, तो Flexi Cap फंड्स ने खुद को साबित किया है.

इन फंड्स की खासियत होती है कि ये बाजार के अलग-अलग हिस्सों (कैप्स) में आसानी से अपना निवेश अलोकेशन बदल सकते हैं. यानी जब मार्केट में उतार-चढ़ाव या ज़्यादा वैल्यूएशन हो, तब भी ये खुद को अच्छी तरह संभाल सकते हैं.

इनका सबसे बड़ा फायदा यही है कि इनकी कोई सीमित बाध्यता नहीं होती — जब स्थिरता चाहिए तो ये लार्ज कैप में निवेश कर सकते हैं, और जब वैल्यूएशन अनुकूल हो तो मिड/स्मॉल कैप में जा सकते हैं.

Parag Parikh Flexi Cap Fund इस कैटेगरी की सबसे मजबूत स्कीमों में से एक है. इसका AUM करीब ₹1.1 लाख करोड़ है. ये फंड लंबे समय से एक मजबूत स्ट्रैटजी फॉलो कर रहा है — मल्टी कैप डाइवर्सिफिकेशन और क्वालिटी स्टॉक्स पर फोकस.

ये फंड वैल्यू इन्वेस्टिंग के सिद्धांत पर चलता है और खास बात यह है कि इसका 30% तक हिस्सा विदेशी कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करता है. इससे घरेलू मार्केट रिस्क से सुरक्षा मिलती है और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई भी होता है.

इसका 10 साल का CAGR रिटर्न 18.58% है, जो मजबूत रिस्क मैनेजमेंट को दिखाता है.

इस फंड की टॉप होल्डिंग्स में HDFC Bank (8.06%), Bajaj Holdings (6.92%) और Power Grid Corp (6.09%) हैं. सेक्टर वाइज एक्सपोजर बैंक्स (29.32%), IT (9.85%) और ऑटोमोबाइल व एंसिलरीज़ (7.98%) में है.

वैल्यू म्यूचुअल फंड्स

वैल्यू म्यूचुअल फंड्स ऐसे मजबूत और टिकाऊ बिजनेस ढूंढते हैं जो अपनी असली कीमत से कम दाम पर मिल रहे हों. ये फंड ऐसे मौकों का फायदा उठाते हैं जब मार्केट में लीडरशिप शिफ्ट हो रहा हो — खासतौर पर करेक्शन के समय.

आज के समय में जब ज़्यादातर मिड और स्मॉल कैप्स में तेज़ी से वैल्यूएशन बढ़ चुका है, ऐसे में वैल्यू स्ट्रैटेजी एक अलग और सतर्क रास्ता देती है.

JM Value Fund एक ऐसा वैल्यू फंड है जो सभी मार्केट साइज में गहराई से वैल्यू स्टॉक्स खोजता है और डाइवर्सिफाइड अप्रोच अपनाता है.

इस फंड का AUM ₹1110 करोड़ है और यह बॉटम-अप अप्रोच अपनाता है, यानी कंपनी के बेसिक फ़ंडामेंटल्स और वैल्यूएशन पर ध्यान देता है. यह फंड उन स्टॉक्स में निवेश नहीं करता जो पहले से बहुत महंगे हैं, बल्कि ऐसे सेक्टर्स या कंपनियों में पैसा लगाता है जो सुधार के रास्ते पर हैं और अभी वाजिब कीमत पर मिल रहे हैं.

इस फंड ने पिछले 10 साल में 18.27% CAGR रिटर्न दिया है और यह उन लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए आकर्षक है जो थोड़े समय के कमजोर प्रदर्शन को सह सकते हैं.

हाल की टॉप होल्डिंग्स में Godfrey Phillips India (3.94%), HDFC Bank (3.24%), और Larsen & Toubro (3.23%) हैं. सेक्टर एक्सपोजर में फाइनेंस (12.67%), कैपिटल गुड्स (11.55%) और बैंकिंग (10.79%) का ज़्यादा हिस्सा है.

बीते 10 सालों में शेयर बाजार का कैसा रहा परफार्मेंस?

Market performance
डेटा 22 जुलाई 2025 तक का है. बीते समय का परफार्मेंस भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं होता. यह लिस्ट पूरी नहीं है. यहां जिन सिक्योरिटीज का जिक्र किया गया है, वो सिर्फ उदाहरण के लिए हैं - कोई निवेश सलाह नहीं. Photograph: (Source: ACE MF)

पिछले 10 सालों में Nifty 100, Nifty Midcap 150 और Nifty 500 के प्रदर्शन का ट्रेंड साफ दिखाता है कि 2020 के बाद से मिड कैप स्पेस ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है.

लेकिन इस शानदार प्रदर्शन के साथ ज़्यादा उतार-चढ़ाव और वैल्यूएशन रिस्क भी जुड़ा रहा है, जैसा कि 2023 के बाद के तेज़ सुधार और गिरावटों से साफ है.

लार्ज कैप्स, यानी Nifty 100, ने तुलनात्मक रूप से ज्यादा स्थिर और लगातार रिटर्न दिए हैं, जो गिरते बाजार में एक तरह का बफर बनते हैं.

Nifty 500 ने बैलेंस्ड प्रदर्शन दिया है, जो सभी सेगमेंट्स में मौजूद निवेश के मौकों को दर्शाता है.

ये ट्रेंड दिखाता है कि पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करना कितना ज़रूरी है. सिर्फ मिड कैप जैसे बीते समय के चैंपियंस को फॉलो करना, भविष्य में ज़्यादा नुकसान की आशंका बढ़ा सकता है.

इसके बजाय, लार्ज, मिड, फ्लेक्सी कैप और वैल्यू फंड्स को मिलाकर एक ब्लेंडेड स्ट्रैटेजी अपनाना आने वाले दशक के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.

अंत में  - 2025 तक के लिए निवेश

जैसे-जैसे भारतीय शेयर बाजार परिपक्व हो रहा है और निवेशकों की भागीदारी बढ़ रही है, फंड का सोच-समझकर चुनाव करना और भी ज़रूरी हो गया है.

भले ही पुराने रिटर्न ध्यान खींचें, लेकिन असली लंबी अवधि की दौलत तब बनती है जब आपके पोर्टफोलियो की रणनीति बाजार के बदलते माहौल और आपके निवेश लक्ष्यों के साथ मेल खाती हो.

सिर्फ हाल के विजेताओं के पीछे भागना या बाजार की हलचल पर प्रतिक्रिया देना हमेशा सही नहीं होता — इससे बेहतर है ऐसी रणनीति अपनाना जो ग्रोथ की संभावना को लंबे नजरिए के साथ संतुलित करे.

अंत में, लंबी अवधि का असरदार निवेश ‘सबसे बढ़िया’ फंड चुनने से कम और बाजार के पूरे चक्र में बने रहने, उम्मीदों को संभालने और कंपाउंडिंग को काम करने देने से ज़्यादा होता है.

आने वाले 10 साल पिछले जैसे नहीं दिख सकते, लेकिन अगर आपने सोच-समझकर फंड चुने, संयम से अलोकेशन किया और धैर्य बनाए रखा — तो जो मौके आगे हैं, उनसे आप फायदा ज़रूर कमा सकते हैं.

शुभ निवेश.

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है. यह किसी स्टॉक की सिफारिश नहीं है और इसे ऐसा नहीं समझा जाना चाहिए. हमारे रेकमेंडेशन सर्विसेज के बारे में और जानें…

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Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed for accuracy. 

To read this article in English, click here.

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