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निवेशक अलर्ट! डेट म्यूचुअल फंड पर लगेगा ज्यादा टैक्स, 1 अप्रैल से LTCG पर बड़ा बदलाव, क्या होगा असर?

Taxation on MF: फाइनेंस बिल के संशोधन के अनुसार डेट म्यूचुअल फंड पर 1 अप्रैल 2023 से लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) का बेनेफिट नहीं मिलेगा.

Taxation on MF: फाइनेंस बिल के संशोधन के अनुसार डेट म्यूचुअल फंड पर 1 अप्रैल 2023 से लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) का बेनेफिट नहीं मिलेगा.

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Sushil Tripathi
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Mutual Funds Alert

Rules Change on Tax: म्यूचुअल फंड निवेशक हैं तो आपके लिए बहुत बड़ी खबर है.

New Tax rule on Debt mutual funds, 1 April, 2023: म्यूचुअल फंड निवेशक हैं तो आपके लिए बहुत बड़ी खबर है. नए फाइनेंशियल ईयर यानी 1 अप्रैल से म्यूचुअल फंड में टैक्स के नियमों को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है. असल में केंद्र सरकार ने वित्‍त वर्ष 2024 के लिए बजट में अहम संसोधन किया है. इसके अंतर्गत फाइनेंस बिल के सशोधन में डेट म्यूचुअल फंड पर 1 अप्रैल 2023 से लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) का बेनेफिट नहीं मिलेगा. इस पर सिर्फ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) देना होगा. हालांकि 31 मार्च 2023 तक किए गए सभी निवेश पर LTCG और इंडेक्‍सेशन बेनेफिट मिलता रहेगा. एक्सपर्ट का कहना है कि यह नियम लागू होने पर डेट फंड, एफडी या एनएससी जैसे फिक्स्ड इनकम विकल्प और हाइब्रिड फंड, सभी एक जैसे हो जाएंगे. आगे डेट से निवेशक दूसरे विकल्पों की ओर ट्रांसफर हो सकते हैं.

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तो एफडी, डेट फंड, हाइब्रिड फंड सब एक जैसे होंगे

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बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि सरकार ने म्युचुअल फंड से किसी भी पूंजीगत लाभ (100% डेट सिक्योरिटीज जैसे सभी डेट फंड या 35% इक्विटी तक हाइब्रिड फंड) को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के रूप में मानने के लिए बजट में एक नया संशोधन पेश किया, जिस पर निवेशक की स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगाया जाता है. इसका मतलब यह होगा कि डेट और हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के लिए व्यावहारिक रूप से शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म के बीच कोई अंतर नहीं होगा. डेट म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट और मार्केट लिंक्ड डिबेंचर (एमएलडी) के लिए टैक्सेशन अब बराबर होगा. आम तौर पर, सरकार बजट प्रस्तावों में बदलाव संसद द्वारा बजट पारित होने से पहले प्रतिक्रिया/सुझाव प्राप्त होने के बाद करती है. संसद के मौजूदा सत्र के शुक्रवार, 24 मार्च 2023 को फाइनेंस बिल पारित होने की उम्मीद है.

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शॉर्ट टर्म में दिख सकता है कुछ पैनिक

उनका कहना है कि नियम लागू होने से हो सकता है कि शॉर्ट टर्म में कुछ पैनिक दिखे और कुछ निवेशक फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों मसलन एफडी की ओर ट्रांसफर हो जाएं. लेकिन अभी भी डेट का एक बड़ा फायदा यह है कि इस पर एग्जिट लोड नहीं होता है और आप इन योजनाओं से कभी भी बाहर आ सकते हैं.

निवेशकों पर और क्या होगा असर

अभी डेट फंड में लंबी अवधि में इंडेक्सेशेन का लाभ लेने पर 20 फीसदी एलटीसीजी है, जबकि बिना इंडेक्सेशन के 10 फीसदी टैक्स लगता है. बदलाव हुआ तो टैक्स बनेफिट हट जाएंगे और निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. ऐसे में टैक्स बेनेफिट चाहने वाले निवेशकों को इससे नुकसान होगा. लेकिन ऐसा नहीं है कि यह रिस्की हो जाएगा. जो लोग सेफ्टी के लिए इसमें पैसा लगाते हैं, उन्हें नुकसान नहीं होने वाला है. वे इन योजनाओं में बने रह सकते हैं. इसके चलते नए फाइनेंशियल से पहले बहुत से लोग यूनिट बेच सकते हैं, क्योंकि नया नियम 1 अप्रैल 2023 से लागू होने जा रहा है.

क्या है मार्केट लिंक्ड डिबेंचर?

मार्केट लिंक्ड डिबेंचर एक नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर होते हैं. मार्केट लिंक्ड डिबेंचर में फिक्स्ड रिटर्न नहीं होता है. रिटर्न अंडरलाइंग इंडेक्स जैसे इक्विटी,सरकारी यील्ड, गोल्ड इंडेक्स के प्रदर्शन पर आधारित होता है. मार्केट लिंक्ड डिबेंचर को SEBI रेगुलेट करता है. बजट 2023 में लिस्टेड मार्केट लिंक्ड डिबेंचर के टैक्स नियमों में बदलाव हुए थे. MLD पर मौजूदा समय में 10% LTCG + सरचार्ज लगता है. नए प्रावधान में इसके ब्याज से आय पर 10 फीसदी TDS कटेगा.

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