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Retirement : 50 लाख रुपये में कैसे बनाएं रिटायरमेंट प्लान? रेगुलर और हर साल बढ़ने वाली इनकम के लिए कहां करें निवेश

Investment for Retirement : रिटायरमेंट के लिए 50 लाख रुपये का कॉर्पस बड़ी रकम नहीं है. लेकिन सही ढंग से निवेश किया जाए, तो इतने फंड से भी रेगुलर और हर साल बढ़ने वाली इनकम का इंतजाम किया जा सकता है.

Investment for Retirement : रिटायरमेंट के लिए 50 लाख रुपये का कॉर्पस बड़ी रकम नहीं है. लेकिन सही ढंग से निवेश किया जाए, तो इतने फंड से भी रेगुलर और हर साल बढ़ने वाली इनकम का इंतजाम किया जा सकता है.

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Viplav Rahi
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Retirement Planning: रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम के लिए सही ढंग से प्लानिंग करना जरूरी है. (Image : Pixabay)

How to Plan for Retirement with Rs 50 Lakh Corpus: रिटायरमेंट के बाद पूरी जिंदगी आराम से गुजारने के लिए 50 लाख रुपये का कॉर्पस कोई बड़ी रकम नहीं है. लेकिन अगर सही ढंग से प्लान करके निवेश किया जाए, तो इतने फंड से भी ठीक-ठाक रेगुलर इनकम का इंतजाम किया जा सकता है. रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि वक्त के साथ कीमतों और आपके हर महीने के खर्च में इजाफा होगा. इसलिए आपकी रिटायरमेंट के बाद की रेगुलर इनकम भी उसी हिसाब से बढ़ती रहनी चाहिए. साथ ही यह भी जरूरी है कि रिटायरमेंट के बाद आप पर कर्ज का कोई बोझ न हो.

सही रणनीति बनाकर करें निवेश

50 लाख रुपये की जमापूंजी से रेगुलर और लगातार बढ़ती हुई आमदनी का इंतजाम करने के लिए आपको अपने फंड को सही ढंग से और बेहतर रणनीति के साथ अलग-अलग एसेट्स में निवेश करना होगा. ऐसा करते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

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अपनी आर्थिक जरूरतों का अनुमान लगाएं 

रिटायरमेंट प्लान बनाने के लिए आपको सबसे पहले तो अपनी आर्थिक जरूरतों का अनुमान लगाना होगा. पहले अपने मंथली एक्सपेंस यानी हर महीने के खर्च को जोड़ लें. इसमें रोजमर्रा के खर्चों, दवाओं-इलाज पर होने वाले खर्चों समेत हर तरह एक्सपेंस को जोड़ना जरूरी है. महीने के खर्चे का अनुमान लग जाए, तो उसे 12 से गुणा करके अपना सालाना व्यय कैलकुलेट कर सकते हैं. इसमें कम से कम 10 फीसदी आकस्मिक खर्च भी जोड़ लें.

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अतिरिक्त आय का हिसाब भी लगा लें 

अगर आपको रिटायरमेंट के बाद किराये से या किसी और माध्यम से कोई एक्स्ट्रा इनकम होने वाली है, तो उसका हिसाब भी लगा लें. इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि रिटायरमेंट के बाद के कितने खर्च का इंतजाम आपको अपने निवेश से करना है.

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निवेश के लिए बनाएं डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो 

आपको अपनी 50 लाख रुपये की जमापूंजी को सही ढंग से निवेश करने के लिए एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाना होगा. इसके लिए आपको इक्विटी और फिक्स्ड इनकम एसेट्स, दोनों में बैलेंस रखते हुए निवेश करना होगा. इसके लिए आप अपने निवेश को इस तरह भी बांट सकते हैं: 

  • अपने फंड का आधा हिस्सा यानी 25 लाख रुपये आप म्यूचुअल फंड्स के जरिए इक्विटी में निवेश करें.
  • आपके डायवर्सिफाइड इक्विटी इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में इंडेक्स फंड को पर्याप्त जगह देनी चाहिए, क्योंकि ये कम लागत वाले होते हैं और लंबी अवधि में स्टेबल रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं.
  • इंडेक्स फंड के अलावा आप लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स में भी निवेश कर सकते हैं.
  • 50 लाख रुपये के फंड का बाकी आधा हिस्सा, यानी 25 लाख रुपये की रकम आपको फिक्स्ड इनकम वाले एसेट्स में निवेश करनी चाहिए.
  • इसके लिए आप सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS), पब्लिक प्रॉविडेंट फंड और बैंकों के सीनियर सिटिजन्स फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर सकते हैं.
  • इनके अलावा कुछ रकम शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में भी लगा सकते हैं, जिससे आपको मॉडरेट रिटर्न के साथ लिक्विडिटी की सुविधा भी मिल जाएगी. 

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एक साल में 6% से ज्यादा रकम न निकालें 

आप अपनी हर महीने के खर्चों की जरूरत पूरी करने के लिए हर साल अपने कॉर्पस का 5 से 6 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं. 50 लाख रुपये के रिटायरमेंट फंड के लिए यह रकम साल में 2.5 से 3 लाख रुपये तक हो सकती है. इस रेट से पैसे निकालने पर आपको रेगुलर इनकम भी मिलती रहेगी और प्रिंसिपल अमाउंट भी बढ़ता रहेगा. इक्विटी में किया गया निवेश आपकी पूंजी को बढ़ाने में काफी मददगार हो सकता है, जिससे आप हर साल बढ़ने वाली महंगाई के असर से भी निपट पाएंगे.

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पोर्टफोलियो को री-बैलैंस करते रहें 

साल में कम से कम एक बार अपने पोर्टफोलियो को री-बैलेंस करते रहें. अगर इक्विटी इनवेस्टमेंट में तेज ग्रोथ के कारण पूरे पोर्टफोलियो में उसका हिस्सा 50 फीसदी से ज्यादा हो जाए, तो कुछ पैसे वहां से निकालकर फिक्स्ड इनकम एसेट्स में लगा दें. इससे न सिर्फ आपके निवेश का बैलेंस बना रहेगा, बल्कि मार्केट में तेजी के दौरान बेचने और निचले स्तरों पर खरीदने का लाभ भी मिलेगा. इसके अलावा ब्याज दरों और बाजार के माहौल में होने वाले बदलावों के हिसाब से जरूरत पड़ने पर भी पोर्टफोलियो को री-बैलेंस किया जा सकता है. इसके लिए आप किसी प्रोफेशनल निवेश सलाहकार की मदद भी ले सकते हैं.

उदाहरण से समझें कैलकुलेशन 

मान लीजिए आपने 2014 में 50 लाख रुपये के अपने रिटायरमेंट फंड को इक्विटी और फिक्स्ड इनकम एसेट्स में 50:50 के रेशियो में बांटकर निवेश किया. अगर आप हर साल 6 फीसदी रकम अपने खर्च के लिए निकालते हैं, तो साल-दर-साल उसका कैलकुलेशन कुछ इस तरह हो सकता है: 

पहला साल : 3 लाख रुपये निकाले (50 लाख रुपये का 6%)

दूसरा साल : पोर्टफोलियो बढ़कर 52 लाख रुपये हुआ. सालाना निकासी 3.12 लाख रुपये 

तीसरा साल : पोर्टफोलियो बढ़कर 55 लाख रुपये हुआ. सालाना निकासी 3.30 लाख रुपये

चौथा साल : पोर्टफोलियो बढ़कर 58 लाख रुपये हुआ. सालाना निकासी 3.48 लाख रुपये 

10 साल बाद : पोर्टफोलियो बढ़कर 75 लाख रुपये हुआ, सालाना निकासी 4.5 लाख रुपये हो गई. 

इस कैलकुलेशन में पोर्टफोलियो की ज्यादातर ग्रोथ इक्विटी में लगाई गई 50 फीसदी रकम से आने का अनुमान लगाया गया है, जो 10 साल बाद 75 लाख रुपये के कुल कॉर्पस में 37.5 लाख रुपये होनी चाहिए. ये उदाहरण बताता है कि एक बैलेंस्ड पोर्टफोलियो किस तरह आपको साल-दर-साल बेहतर रेगुलर इनकम देने के साथ ही साथ मूलधन में इजाफा भी करता रह सकता है, ताकि आप महंगाई को एडजस्ट करने के बाद भी अपने खर्च पूरे कर सकें. यानी अगर आपको 50 लाख रुपये के कॉर्पस से रेगुलर इनकम हासिल करने के लिए अच्छा रिटायरमेंट प्लान बनाना है, तो उसमें डेट और इक्विटी का सही संतुलन होना जरूरी है.

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