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Bank FD vs Corp FD vs Debt Funds: बैंकों की जगह कॉरपोरेट एफडी में पैसे लगाने चाहिए या डेट फंड बेहतर हैं? (Image : Pixabay)
Bank FD vs Corporate FD vs Debt Funds: बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट या एफडी आम लोगों के बीच निवेश का सबसे लोकप्रिय जरिया हैं. फिक्स्ड रिटर्न के साथ ही साथ पैसों की सुरक्षा इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जाती है. लेकिन बैंक एफडी में जमा पैसों पर औसत रिटर्न ही मिलता है. आमतौर पर बैंक एफडी की तुलना में कंपनियों के फिक्स्ड डिपॉजिट यानी कॉरपोरेट एफडी ज्यादा रिटर्न देते हैं. तो क्या निवेशकों को बैंकों की जगह कॉरपोरेट एफडी में पैसे लगाने चाहिए? या फिर तीसरे विकल्प के तौर पर उन्हें डेट म्यूचुअल फंड में निवेश पर भी विचार करना चाहिए?
कॉरपोरेट एफडी का फायदा : 1 से 1.5% तक ज्यादा रिटर्न
ज्यादा रिटर्न ही ऐसा अहम पैरामीटर है, जिसमें कॉरपोरेट एफडी को बैंक एफडी के मुकाबले बेहतर कहा जा सकता है. कई अच्छी यानी AA+, AAA या FAAA रेटिंग वाली कंपनियां निवेशकों को बैंक एफडी की तुलना में 1 से 1.50 फीसदी तक ज्यादा ब्याज देती हैं. कमजोर रेटिंग वाली कंपनियों से तुलना करने पर यह अंतर और ज्यादा आएगा, लेकिन कम सुरक्षित होने की वजह से हम यहां उनका जिक्र नहीं कर रहे. तो क्या बेहतर रेटिंग वाली कंपनियों के एफडी में निवेश करना बैंक एफडी में पैसे जमा करने से बेहतर है? ऐसा मानने से पहले कुछ और तथ्यों पर विचार करना जरूरी है.
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क्या बैंक एफडी जितने ही सुरक्षित हैं कॉरपोरेट एफडी?
रिटर्न के मामले में भले ही कॉरपोरेट एफडी बेहतर हों, लेकिन क्या पूंजी की सुरक्षा के मामले में भी ऐसा कहा जा सकता है? एक शब्द में इसका जवाब है - नहीं. ऐसा इसलिए, क्योंकि बैंक एफडी में रखी 5 लाख रुपये तक की रकम का इंश्योरेंस होता है. अगर आप अलग-अलग बैंकों में 5-5 लाख रुपये के एफडी कराते हैं, तो हर बैंक में आपकी 5-5 लाख की रकम पर अलग-अलग बीमा का लाभ मिलता है. यह इंश्योरेंस सरकार की तरफ से स्थापित डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के जरिये दिया जाता है. जबकि कॉरपोरेट एफडी में जमा पैसों के लिए सुरक्षा का ऐसा कोई इंतजाम नहीं होता है.
कॉरपोरेट एफडी में कैसे कम करें जोखिम
कॉरपोरेट एफडी में जमा पैसों का इंश्योरेंस भले ही नहीं होता हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उनमें निवेश नहीं किया जा सकता है. हां, यह ख्याल जरूर रखना चाहिए कि निवेश सिर्फ मजबूत आर्थिक स्थिति वाली कंपनियों में ही किया जाए. ऐसी कंपनी चुनने के लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
एफडी में पैसे लगाने से पहले कंपनी की रेटिंग जांचें। ICRA, Crisil जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा की गई रेटिंग की जानकारी आपको उस कंपनी के प्रॉस्पेक्टस में मिल जाएगी.
यह भी ध्यान में रखें कि सिर्फ ऊंची रेटिंग के आधार पर ही किसी कंपनी को सौ फीसदी सुरक्षित नहीं माना जा सकता है. मिसाल के तौर पर DHFL एक AAA रेटेड कंपनी थी, फिर भी पहले डिफॉल्टर बनी और आखिरकार दिवालिया हो गई।
सबसे अच्छा तरीका तो यही है कि आप कंपनी के मैनेजमेंट और बिजनेस मॉडल के बारे में खुद रिसर्च करें और उससे जुड़ी खबरों पर भी नजर रखें, ताकि कोई निगेटिव पहलू आपकी नजरों से छूट न जाए.
आप जिस कंपनी में एफडी करने की सोच रहे हैं, उसके फाइनेंशियल डिटेल की जांच भी खुद से करें। पिछले वर्षों के दौरान उसके सेल्स और प्रॉफिट में हुई ग्रोथ के साथ-साथ कंपनी के कर्ज की स्थिति बताने वाले डेट/इक्विटी रेशियो और डेट कवरेज रेशियो पर भी गौर करें. ये आंकड़े आपको कंपनी के प्रॉस्पेक्टस या कंपनियों के बारे में भरोसेमंद जानकारी देने वाली दूसरी वेबसाइट्स पर भी मिल जाएंगे.
कंपनी की री-पेमेंट हिस्ट्री चेक करें, अगर एक बार भी डिफॉल्ट हुआ है, तो उसे नजरअंदाज न करें.
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क्या डेट फंड बेहतर विकल्प है?
अगर आप उन निवेशकों में हैं, जो बैंक एफडी से बेहतर रिटर्न के विकल्प तलाश रहे हैं, लेकिन बेहतर कॉरपोरेट एफडी का चुनाव करने के लिए कंपनी की रेटिंग देखना, उसके डेट रेशियो या सेल्स और प्रॉफिट के आंकड़ों की जांच करना, उससे जुड़ी खबरों पर नजर रखना मुश्किल है, तो आपके पास एक और ऑप्शन मौजूद है. यह विकल्प है डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश का, जो इन वजहों से कॉरपोरेट एफडी की तुलना में बेहतर साबित हो सकते हैं:
सही डेट सिक्योरिटी के चुनाव का काम डेट म्यूचुअल फंड के मैनेजर का है, आपको इसमें सिर नहीं खपाना पड़ता.
आमतौर पर किसी डेट म्यूचुअल फंड के जरिए 45-50 या उससे भी अधिक डेट सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है. इतनी सारी डेट सिक्योरिटीज में निवेश का मतलब ये है कि अगर किसी एक में डिफॉल्ट हो भी गया, तो भी आपके पूरे पोर्टफोलियो में उसका हिस्सा बहुत कम होगा. यानी डेट फंड में निवेश करने पर आपको डायवर्सिफिकेशन का लाभ मिलता है और निवेश पर रिस्क घट जाता है.
पिछले 1 साल में टॉप 5 शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड्स का रिटर्न 7.79% से 8.14% के बीच रहा है, जबकि ज्यादातर बड़े बैंकों में 1 साल के एफडी पर मिलने वाली ब्याज दरें 6.5 फीसदी के आसपास हैं. यानी डेट फंड्स के रिटर्न की तुलना कॉरपोरेट एफडी से की जा सकती है.
डेट फंड में रिटर्न की गारंटी तो नहीं होती, लेकिन पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन और प्रोफेशनल फंड मैनेजर की देखरेख के कारण उन्हें कॉरपोरेट एफडी से ज्यादा सुरक्षित माना जा सकता है. और डेट एसेट्स में निवेश करने वाले की पहली प्राथमिकता तो सुरक्षा ही होती है. वरना सिर्फ रिटर्न पर फोकस करना हो, तो लंबी अवधि में इक्विटी में पैसे लगाना ही बेहतर रहता है.