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चांदी में क्या है रेजिस्टेंस का लेवल? यहां डिटेल चेक करें. (Image: Reuters)
Silver Soars to All Time High, 12 Key Reasons Behind the Rs 1,12,416 MCX Surge: चांदी ने घरेलू वायदा बाजार MCX पर 1,12,416 रुपये प्रति किलो का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर छू लिया है, जिसने निवेशकों और ट्रेडर्स को चौंका दिया है. इस रिकॉर्ड हाई ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुपक्षीय आर्थिक बदलावों का नतीजा है, बल्कि घरेलू मांग, डॉलर की कमजोरी और निवेश सुरक्षा की भावना से भी प्रेरित है. चांदी की कीमतों में देखी जा रही लगातार तेजी के लिए कौन-कौन से फैक्टर जिम्मेदार हैं? आने वाले दिनों में इसका कैसा रूझान रहने का अनुमान है. आइए जानते हैं.
चांदी में जोरदार तेजी के पीछे की 12 बड़ी वजहें
भारत के कमोडिटी बाजार MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर चांदी की कीमतों ने नया इतिहास रच दिया है. हाल ही में चांदी अपने रिकॉर्ड हाई 1,12,416 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गई. केडिया एडवाइजरी के अनुसार, यह तेजी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया भर में चांदी की मांग और कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. अमेरिका के COMEX बाजार में भी चांदी 38.12 यूएस डॉलर प्रति औंस के करीब ट्रेड कर रही है. इस जोरदार बढ़त के पीछे कौन-कौन से संभावित वैश्विक और घरेलू कारक काम कर रहे हैं. नीचे डिटेल देखें
वैश्विक तेजी का असर
दुनिया भर में निवेशकों के पॉजिटिव मूड और आर्थिक अनिश्चितता के चलते कीमती धातुओं में तेजी आ रही है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार का सपोर्ट
COMEX में चांदी की कीमत 38.12 यूएस डॉलर प्रति औंस तक पहुंचना, वैश्विक मांग की मजबूती का संकेत है.
सुरक्षित निवेश की ओर रुख
भू-राजनीतिक तनाव और मंदी की आशंका के बीच चांदी को सुरक्षित निवेश विकल्प माना जा रहा है.
कमजोर अमेरिकी डॉलर
डॉलर में कमजोरी आने से चांदी की कीमतें अन्य मुद्राओं में मजबूत हो रही हैं, जिससे ग्लोबल डिमांड बढ़ी है.
औद्योगिक मांग में उछाल
सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV), इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रीन टेक्नोलॉजी में चांदी की खपत लगातार बढ़ रही है.
गिरता उत्पादन और कम रीसाइक्लिंग
वैश्विक स्तर पर चांदी का खनन घटा है, और रीसाइक्लिंग की दर भी कम है, जिससे सप्लाई पर दबाव है.
गोल्ड-सिल्वर रेशियो में गिरावट
सोने की तुलना में चांदी सस्ती हो गई है, जिससे इसमें निवेश की रुचि बढ़ी है.
निवेशकों का रुझान
कई निवेशक अब सोने से हटकर ज्यादा मुनाफे की उम्मीद में चांदी की ओर झुक रहे हैं.
ETF में निवेश का इजाफा
सिल्वर आधारित एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) में संस्थागत निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ी है.
टेक्निकल ब्रेकआउट
कीमतों ने चार्ट्स पर महत्वपूर्ण रेसिस्टेंस तोड़ा है, जिससे नए खरीदार तेजी से बाजार में दाखिल हो रहे हैं.
सेंट्रल बैंक की नीति
कुछ देशों के केंद्रीय बैंक अब अपने रिजर्व में चांदी को भी शामिल कर रहे हैं, जिससे इसकी वैल्यू बढ़ रही है.
फिजिकल चांदी की कमी
अमेरिका के बाजारों में चांदी की वास्तविक डिलीवरी में कमी देखी गई है, जिससे कीमतों में तेजी और मजबूती आई है.
वैश्विक बाजारों में तेजी, सुरक्षित निवेश की मांग, कमजोर अमेरिकी डॉलर और औद्योगिक जरूरतों में उछाल ने चांदी को मजबूती दी है। साथ ही, चांदी की खपत तो बढ़ रही है लेकिन उत्पादन और रीसाइक्लिंग घट रही है, जिससे सप्लाई पर दबाव बना है। निवेशकों का रुझान सोने से हटकर चांदी की ओर बढ़ा है, ETF में निवेश और तकनीकी ब्रेकआउट ने भी तेजी को बल दिया है. कई देशों के सेंट्रल बैंकों द्वारा चांदी को रिजर्व में शामिल करना और फिजिकल मार्केट में डिलीवरी की कमी ने कीमतों को और ऊंचा धकेला है.
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चांदी का क्या है रजिस्टेंस लेवल?
केडिया एडवाइजरी का मानना है कि चांदी का अगला रेजिस्टेंस 1,18,600 रुपये हो सकता है. अगर यही रुझान बना रहा, तो साल के अंत तक चांदी 1,30,000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है. ऐसे में निवेशकों और उद्योगों को इस तेजी के पीछे की बुनियादी वजहों को समझते हुए सतर्कता और रणनीति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है.
(Credit : Kedia advisory)