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बदलते हुए आर्थिक हालात के बावजूद सोने की कीमत हर साल लगातार अच्छी रफ्तार से बढ़ती रही है. (Image: Reuters)
सोने के निवेशक एक मजबूत तेजी के दौर का अनुभव कर रहे हैं, जो पीली धातु में उनके मजबूत विश्वास को सही ठहराता है. पिछले दस वर्षों में सोने का प्रदर्शन चौंकाने वाला रहा है, और सोने में दीर्घकालिक निवेशकों ने अच्छा लाभ कमाया है. लेकिन, ठहरिए सोना कभी भी ज्यादातर रिटेल निवेशकों के लिए लोकप्रिय निवेश विकल्प नहीं रहा है. किसी के पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा इक्विटी और तय आय वाले निवेशों से बना होता है. वास्तव में, आमतौर पर यही सिफारिश की जाती है कि निवेशक अपने पोर्टफोलियो का अधिकतम 5 से 10% हिस्सा ही सोने में लगाएं.
लंबी अवधि में सोने की कीमतें
इसके पीछे एक कारण है. सोने की कीमतें अक्सर लंबे समय तक स्थिर रहती हैं. कीमतों में सालों तक मुश्किल से कोई हलचल होती है.
लेकिन फिर, सोने में निवेश कभी भी अल्पकालिक नहीं था. 10 जुलाई 2025 तक, पिछले 10 वर्षों में सोने का रिटर्न 12.16% CAGR है. कुल मिलाकर, पिछले 10 वर्षों में सोना 200% से अधिक बढ़ा है.
सोने का यह शानदार दीर्घकालिक प्रदर्शन सिर्फ पिछले दस वर्षों तक सीमित नहीं है. जिसने जुलाई 2005 में निवेश किया, उसे जुलाई 2015 तक 10 वर्षों में 16% से अधिक CAGR रिटर्न मिला.
हां, यह सच है कि सोने की कीमतें अक्सर लंबे समय तक एक सीमित दायरे में अटकी रहती हैं. लेकिन जब कीमत बढ़ती है, तो तेजी बहुत तेज़ होती है और धैर्य रखने वालों को अच्छा इनाम देती है.
जुलाई 2000, 2005, 2010, 2015, 2020 और 2025 में सोने की अनुमानित कीमत क्रमशः 200 यूएस डॉलर, 377 डॉलर, 1,200 डॉलर, 1,057 डॉलर, 1,777 डॉलर और 3,330 डॉलर रही है.
इसका मतलब है कि पिछले 25, 20, 15, 10 और 5 वर्षों में सोने का CAGR रिटर्न क्रमशः 11.91%, 11.51%, 7.04%, 12.16% और 13.38% रहा है.
जब हम शेयर्स की बात करते हैं, तो क्या हम एक सालाना 12% CAGR ग्रोथ रेट को एक रूढ़िवादी अनुमान नहीं मानते?
अब सोने के प्रदर्शन को देखिए – ज़्यादातर मामलों में यह 12% के बहुत करीब रहा है.
यह दिखाता है कि अलग-अलग आर्थिक चक्रों के बावजूद सोने ने लगातार मजबूत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) दिखाई है.
एक अपवाद रहा है: सोने के लिए सबसे खराब अवधि 2011 से 2020 के बीच की थी, जब रिटर्न नकारात्मक थे.
सोने का लेटेस्ट परफार्मेंस
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत आज करीब 3,340 डॉलर है. अक्टूबर 2009 से जनवरी 2024 तक सोने को 1,000 डॉलर से 2,000 डॉलर तक पहुंचने में करीब 12 साल लगे, लेकिन इसके बाद सिर्फ 14 महीनों में सोना और 1,000डॉलर बढ़कर 3,000 डॉलर का स्तर पार कर गया.
हालिया प्रदर्शन और भी चौंकाने वाला रहा है. इस साल की शुरुआत से अब तक सोना 27% से ज्यादा चढ़ चुका है, और पिछले 12 महीनों में इसमें 40% से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.
अक्टूबर 2022 में प्रति औंस 1,630 डॉलर के निचले स्तर से लेकर वर्तमान 3,260 डॉलर तक, सोने ने सिर्फ लगभग 28 महीनों में 100% का रिटर्न दिया है.
सोने में तेजी की वजह
सोने की कीमतों में जारी तेजी के पीछे कई कारण हैं, और ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं. भू-राजनीतिक तनाव, केंद्रीय बैंकों की सोने में बढ़ती रुचि, अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना, और अमेरिका में ट्रंप के राष्ट्रपति रहते निर्णय—इन सभी ने मिलकर सोने की कीमतों को लगातार ऊपर की ओर धकेला है.
गोल्ड का फ्यूचर
बैंक ऑफ अमेरिका ने हाल ही में अनुमान लगाया है कि अगले साल तक सोने की कीमतें 4,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं, जो वर्तमान स्तर से 20% की बढ़ोतरी होगी.
वहीं, गोल्डमैन सैक्स ने एक उच्च जोखिम वाले परिदृश्य में अनुमान लगाया है कि 2025 के अंत तक सोना 4,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है. इसका मतलब होगा कि 2025 के अंत तक सोने में लगभग 71.5% का शानदार रिटर्न देखने को मिल सकता है.
हालांकि, हर कोई सोने को लेकर इतना उत्साहित नहीं है. सिटी रिसर्च का मानना है कि सोने की कीमतें अब शायद अपने शिखर पर पहुंच चुकी हैं. उनके अनुसार, 2025 की तीसरी तिमाही में कीमतें घट सकती हैं और 3,100 से 3,500 डॉलर प्रति औंस के बीच स्थिर हो सकती हैं, जो 2026 तक धीरे-धीरे और नरम पड़ेंगी.
भारत में सोने की कीमत
भारत में आज सोने की कीमत 97,580 रुपये प्रति 10 ग्राम है, और यह पिछले दो महीनों से एक सीमित दायरे में बनी हुई है.
सोना ज़्यादातर धैर्य रखने वाले निवेशकों को ही फायदा देता आया है. इसका प्रदर्शन किसी एक समय की चमक नहीं रहा, बल्कि अलग-अलग समयावधियों में यह लगातार अच्छा रिटर्न देता रहा है.
इतिहास बताता है कि सोने में धैर्यपूर्वक निवेश करने वालों को समय के साथ अच्छा इनाम मिला है.
जिस तरह आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक घटनाएं हर दिन घट रही हैं, ऐसे में सोने में निकट और दीर्घकालिक दोनों ही समय के लिए मजबूत रिटर्न की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
फिर भी, किसी भी निवेश में – चाहे वह सोना हो या कुछ और – एक साफ़ योजना पर टिके रहना ज़रूरी है. जरूरत से ज्यादा निवेश कभी न करें.
(Credit : Sunil Dhawan)