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SIP यानी Systematic Investment Plan, निवेश का एक आसान तरीका है जिसमें हर महीने आपके बैंक अकाउंट से तय तारीख को तय राशि अपने आप कटकर म्यूचुअल फंड में लग जाती है (AI Generated Image)
अगर आप म्यूचुअल फंड में एसआईपी (SIP) करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. एसआईपी यानी सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan), निवेश का एक आसान तरीका है जिसमें हर महीने आपके बैंक अकाउंट से तय तारीख को तय राशि अपने आप कटकर म्यूचुअल फंड में लग जाती है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जिस दिन SIP कटनी होती है, उस दिन अकाउंट में बैलेंस नहीं होता. नतीजा SIP फेल हो जाती है. सिर्फ इतना ही नहीं, इससे आपको बैंक चार्ज देना पड़ सकता है, आपकी SIP बंद हो सकती है और लंबी अवधि के निवेश लक्ष्य भी खतरे में पड़ सकते हैं.
आइए समझते हैं कि SIP फेल होने पर क्या-क्या होता है, कितना जुर्माना लगता है और इसका फाइनेंशियल असर कितना गंभीर हो सकता है.
SIP फेल होती है तो इसका मतलब क्या है?
जब तय तारीख को बैंक आपके अकाउंट से SIP अमाउंट काटने की कोशिश करता है और बैलेंस नहीं होता, तो वह ट्रांजैक्शन फेल हो जाता है. इसे मिस्ड एसआईपी इनस्टॉलमेंट (missed SIP installment) कहते हैं. यानी उस महीने आपकी म्यूचुअल फंड में कोई निवेश नहीं हो पाया.
कितना लगता है बैंक चार्ज?
अगर आपने SIP के लिए ECS या NACH सेट किया है और डेबिट फेल हो जाता है, तो बैंक आपको "बाउंस चार्ज" लगा सकता है. यह शुल्क बैंक पर निर्भर करता है और आमतौर पर 150 से 500 रुपये के बीच होता है. कुछ बैंक अतिरिक्त GST भी वसूलते हैं.
SEBI क्या कहता है?
SEBI के नियमों के अनुसार, अगर SIP की लगातार 3 से 5 किस्तें फेल हो जाती हैं, तो म्यूचुअल फंड कंपनी यानी AMC आपकी SIP योजना को बंद कर सकती है. हर फंड हाउस की अपनी अलग सीमा होती है, लेकिन आमतौर पर 3 फेल किस्तों के बाद SIP रोक दी जाती है.
क्या क्रेडिट स्कोर पर असर होता है?
SIP एक निवेश योजना है, न कि कोई कर्ज. इसलिए केवल SIP फेल होने से CIBIL या क्रेडिट स्कोर पर सीधा असर नहीं पड़ता. लेकिन अगर बैंक बार-बार ECS फेल की जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को भेजता है, तो इसका अप्रत्यक्ष असर हो सकता है.
लॉन्ग टर्म निवेश पर क्या असर होगा?
SIP की ताकत होती है नियमित निवेश और कंपाउंडिंग का असर. अगर SIP बार-बार फेल होती है, तो आपकी निवेश की निरंतरता टूट जाती है. इससे न सिर्फ आपका फाइनेंशियल लक्ष्य (जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई या घर खरीदना) समय पर पूरा नहीं हो पाएगा, बल्कि कंपाउंडिंग का लाभ भी घट जाएगा. छोटी-सी चूक आपके पूरे वित्तीय रोडमैप को धीमा कर सकती है.