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अगर नॉमिनी को निवेश की समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में कुछ कंपनियों की उन पॉलिसीज को खरीद सकते हैं जिसके तहत बीमाधारक के असमय मौत पर एकमुश्त सम एश्योर्ड का भुगतान नहीं किया जाता.
Term Insurance: अपनी अनुपस्थिति में परिवार को आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का टर्म इंश्योरेंस बहुत आसान और सस्ता तरीका है. महज 7441 रुपये के न्यूनतम सालाना प्रीमियम में भी 1 करोड़ रुपये तक का कवर हासिल कर सकते हैं. टर्म इंश्योरेंस प्लान के तहत बीमाधारक की पॉलिसी अवधि के दौरान असमय मौत के बाद नॉमिनी को सम एश्योर्ड राशि का भुगतान होता है. हालांकि दिक्कत तब खड़ी होती है जब नॉमिनी को निवेश की समझ न हो यानी कि सम एश्योर्ड राशि मिलने के बाद नॉमिनी उस राशि को उचित तरीके से उपयोग न कर सके.
ऐसे में आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पाती है. हालांकि कुछ बीमा कंपनियां इसका भी विकल्प अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराती हैं ताकि अगर नॉमिनी को निवेश की पर्याप्त समझ न हो तो उन्हें सम एश्योर्ड की राशि एकमुश्त की बजाय किश्तों में दी जाए. कोरोना महामारी के बाद का दौर अधिक अनिश्चित हुआ है तो ऐसे में टर्म इंश्योरेंस प्लान का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. महामारी के दौरान स्वास्थ्य से जुड़े नए खतरे सामने आए जिससे चलते ये प्लान खरीदने में लोगों का रूझान बढ़ा.
एकमुश्त की बजाय 10-15 वर्षों में भुगतान का विकल्प
अगर नॉमिनी को निवेश की समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में कुछ कंपनियों की उन पॉलिसीज को खरीद सकते हैं जिसके तहत बीमाधारक के असमय मौत पर एकमुश्त सम एश्योर्ड का भुगतान नहीं किया जाता. इस प्रकार की पॉलिसी के तहत पूरी राशि 10-15 वर्षों की अवधि में नॉमिनी को दी जाती है. यह राशि हर महीने नॉमिनी को दी जाती है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि कुछ बीमा कंपनियां सम एश्योर्ड का करीब 10 फीसदी यानी अगर एक करोड़ का टर्म इंश्योरेंस है तो 10 लाख रुपये बीमाधारक की असमय मौत पर नॉमिनी को देगी. इसके बाद हर साल 6-6 फीसदी राशि अगले 15 वर्षों में नॉमिनी को देगी.
दो विकल्प हैं उपलब्ध
एकमुश्त की बजाय ऐसी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी चुनते हैं जिसके तहत एकमुश्त की बजाय किश्तों में नॉमिनी को भुगतान किए जाने का प्रावधान हो तो अधिक प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है. इसके अलावा बीमाधारक के पास एक और विकल्प होते हैं कि वह चाहे तो ऐसा प्रावधान कर सकते हैं कि हर महीने एक निश्चित राशि की बजाय हर साल मासिक किश्त में बढ़ोतरी होती जाए. हालांकि इसका प्रीमियम और अधिक महंगा हो जाएगा. हर साल मासिक किश्त बढ़ने का विकल्प चुनने का फायदा यह है कि इससे इंफ्लेशन से निपटने में मदद मिलेगी.
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