scorecardresearch

Warren Buffett: वॉरेन बफेट की मास्टरक्लास, मार्केट क्रैश में भी दौलत बढ़ाने के 7 कारगर राज

दुनिया के सबसे सफल निवेशक वॉरेन बफेट ने भी दुनिया के सबसे बड़े बाजार गिरावट देखे हैं. लेकिन बाकी लोगों की तरह उनका पैसा उन मुश्किल समय में खत्म नहीं हुआ.

दुनिया के सबसे सफल निवेशक वॉरेन बफेट ने भी दुनिया के सबसे बड़े बाजार गिरावट देखे हैं. लेकिन बाकी लोगों की तरह उनका पैसा उन मुश्किल समय में खत्म नहीं हुआ.

author-image
FE Hindi Desk
New Update
Warren Buffett, Warren Buffett Advice, Warren Buffett on Market Crash

Buffett on Market Crash: बाजार में भारी गिरावट के दौरान निवेशकों को क्या करना चाहिए, इस पर वॉरेन बफेट की सलाह काफी समझदारी भरी मानी जाती है. (File Photo : Reuters)

दुनिया के सबसे सफल निवेशक वॉरेन बफेट ने भी दुनिया के सबसे बड़े बाजार गिरावट देखे हैं. लेकिन बाकी लोगों की तरह उनका पैसा उन मुश्किल समय में खत्म नहीं हुआ. असल में, उन्होंने इन बाजार गिरावटों को अपने पैसे बढ़ाने का मौका बनाया. अगर हम देखें कि बफेट ने इन कठिन समय में क्या किया, तो युवा भारतीय निवेशकों के लिए इससे बहुत सीखने को मिलता है.

डर और लालच, दोनों का इस्तेमाल करें, लेकिन सही समय पर

साल 2008 में जब दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई और लोग घबराकर अपने शेयर बेचने लगे, तब वॉरेन बफेट ने उल्टा किया. उन्होंने उस समय गोल्डमैन सैक्स में 5 अरब डॉलर (करीब 40 हजार करोड़ रुपये) लगाए. बाद में इसी सौदे से उनकी कंपनी बर्कशर हैथवे को 3 अरब डॉलर से ज्यादा का मुनाफा हुआ.

Advertisment

बफेट ने तब कहा था, "चाहे बात मोजे की हो या शेयर की, मुझे अच्छी चीजें छूट में खरीदना पसंद है." ऐसा ही मौका मार्च 2020 में कोरोना के समय आया, जब सेंसेक्स 42,000 से गिरकर 25,000 तक आ गया. जिन्होंने बफेट की सलाह मानी और उस समय HDFC बैंक, TCS, एशियन पेंट्स जैसी मजबूत कंपनियों के शेयर खरीदे, उन्होंने 18 महीने में अपना पैसा दोगुना कर लिया. और अगर शेयर होल्ड किए रहते, तो मुनाफा और भी बढ़ सकता था. इसलिए हर बड़ी गिरावट आखिरी झटका नहीं होती, बल्कि समझदारी से देखो तो यह कमाई का मौका भी बन सकती है.

Also read : Buffett Investment Rule: बफेट का सर्कल ऑफ कॉम्पिटेंस क्या है, स्टार्टअप दौर में कैसे ये फार्मूला निवेश फैसलों के लिए है कारगर?

कीमत नहीं, असली वैल्यू पर ध्यान दें

वॉरेन बफेट अक्सर कहते हैं, "कीमत वो होती है जो आप चुकाते हैं, लेकिन वैल्यू वो होती है जो आपको मिलती है." इसका मतलब ये है कि सिर्फ सस्ता या महंगा देखकर शेयर मत खरीदिए, बल्कि ये देखिए कि उसमें असल में दम कितना है. साल 2000 से 2002 के बीच जब डॉट-कॉम बबल फूटा और टेक कंपनियों के शेयर बुरी तरह गिरे, तब बफेट ने घाटा नहीं उठाया क्योंकि उन्होंने ऐसी कंपनियों में पैसा नहीं लगाया था जिनकी कीमत तो ज्यादा थी लेकिन असली वैल्यू कम.

ऐसा ही भारत में 2008 में हुआ, जब बहुत से लोगों ने इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट कंपनियों के महंगे शेयर खरीद लिए और नुकसान झेला. लेकिन जिन लोगों ने बफेट की सोच अपनाई और मजबूत कंपनियों जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर या नेस्ले इंडिया में निवेश किया, उन्हें न सिर्फ पैसा सुरक्षित रहा बल्कि आने वाले सालों में अच्छा मुनाफा भी हुआ — वो भी बिना ज्यादा जोखिम लिए. इसलिए समझदारी इसी में है कि आप सिर्फ कीमत नहीं, बल्कि उस चीज की असली वैल्यू को पहचानें.

बड़ी कमाई के मौके का इंतजार करें

वॉरेन बफेट अक्सर एक बात कहते हैं – "फैट पिच" का इंतजार करो. ये बेसबॉल की एक टर्म है, जिसका मतलब है – ऐसा मौका जो कम ही आता है, लेकिन सही हो तो बड़ा फायदा देता है. इसके लिए दो चीजें जरूरी हैं – धैर्य और कैश (नकदी) तैयार रखना. साल 2008 की मंदी में बफेट के पास करीब 20 अरब डॉलर की नकदी थी. इसी पैसे से उन्होंने गोल्डमैन सैक्स और जनरल इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियों में बड़ा निवेश किया और शानदार कमाई की. आज भी उनके पास 300 अरब डॉलर से ज्यादा कैश जमा है, ताकि अगली बड़ी गिरावट पर फिर से सही मौका पकड़ सकें.

अगर आप भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं, तो यही फॉर्मूला अपनाना चाहिए. जैसे 2018 में IL&FS संकट के दौरान बाजार गिरा था, और जिन लोगों के पास कैश तैयार था, उन्होंने बजाज फाइनेंस जैसे शानदार शेयर सस्ते में खरीद लिए. अब ये निवेश कई गुना बढ़ चुके हैं. ऐसे मौके हर कुछ साल में आते हैं. इसलिए जरूरी है कि थोड़ा पैसा हमेशा अलग रखो – ताकि जब अगली "फैट पिच" आए, तो आप छक्का मार सको.

Also read : Warren Buffet: ना रील्स, ना शॉर्टकट, निवेश में सफलता के लिए चाहिए बफेट जैसी सोच

शेयर नहीं, बिज़नेस को समझें

वॉरेन बफेट हमेशा कहते हैं – "हम तब डरते हैं जब लोग लालची होते हैं, और तब खरीदते हैं जब लोग डरते हैं." 1987 में जब एक ही दिन में बाजार 22% गिरा था (जिसे ब्लैक मंडे कहा गया), तब बफेट ने ये बात अपने शेयरधारकों से कही थी. उन्होंने ये भी साफ कहा कि वो शेयर के भाव नहीं, बल्कि उस कंपनी के बिज़नेस पर ध्यान देते हैं.

भारतीय निवेशकों को भी इससे सीख लेनी चाहिए. कई बार लोग बाजार की हलचल में उलझ जाते हैं, और अच्छे बिज़नेस को नजरअंदाज कर देते हैं. 2020 की गिरावट इसका बड़ा उदाहरण है. उस समय D-Mart जैसे अच्छे बिज़नेस वाले शेयर गिरे जरूर, लेकिन जिन्होंने उसे सिर्फ एक "गिरता शेयर" नहीं बल्कि एक मजबूत कंपनी माना—जिसका कर्ज कम था, माल स्टॉक पर जबरदस्त पकड़ थी, और बिज़नेस मॉडल मजबूत था—तो उन्हें शानदार रिटर्न मिला. D-Mart ना सिर्फ वापसी की, बल्कि पहले से ज्यादा ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. इसलिए निवेश करते समय सिर्फ शेयर का भाव मत देखो, ये सोचो कि कंपनी का बिज़नेस कितना मजबूत है. यही नजरिया लंबी दौड़ में जीत दिलाता है.

उधार लेकर ट्रेडिंग करने से बचें

वॉरेन बफेट ने कई बार चेतावनी दी है कि ज़्यादा कर्ज लेना कितना खतरनाक हो सकता है. 2010 में उन्होंने कहा था, "जब कर्ज फायदा देता है तो वो मुनाफा बढ़ा देता है… लेकिन कर्ज की लत लग जाती है, और एक बार फायदा हो जाए तो लोग संभल नहीं पाते." बाजार में गिरावट अक्सर उन्हीं को डुबोती है, जिन पर कर्ज का बोझ ज्यादा होता है.

भारतीय निवेशकों ने भी यह कड़वा सबक भुगता है. Jet Airways और DHFL जैसी कंपनियां ज़्यादा कर्ज के चलते बुरी तरह डूब गईं. वहीं, Asian Paints और Nestle जैसी कंपनियां, जिनकी वित्तीय स्थिति मजबूत रही, कई बार बाजार की गिरावट झेलने के बाद भी तरक्की करती रहीं. व्यक्तिगत निवेशकों के लिए भी यही सीख है—शेयर बाजार में निवेश के लिए उधार लेकर ट्रेडिंग करने से बचें. गिरते बाजार में कर्ज बोझ बन जाता है, जबकि मजबूत और बिना कर्ज वाली कंपनियां भविष्य में अच्छा रिटर्न देती हैं.

लंबे समय तक निवेश करें, बाजार की हलचल से घबराएं नहीं

वॉरेन बफेट की सबसे बड़ी सीख है—धैर्य रखो और लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करो. 1973-74 की बड़ी मंदी के दौरान, जब शेयर बाजार करीब 45% गिर गया था, तब भी बफेट अपने फैसले पर टिके रहे और निवेश करते रहे. उन्होंने कहा था कि "बाजार तो बस एक ऐसा पैमाना है जिससे आप यह देख सकते हैं कि कोई मूर्खता कर रहा है या नहीं."

भारतीय निवेशकों को भी रोज़-रोज़ की खबरों और टीवी चैनलों की हलचल में फंसने के बजाय अपने निवेश को टिकाकर रखना चाहिए. जो लोग 2008, 2013 या 2020 जैसी गिरावटों में घबराए नहीं और निवेश बनाए रखा, उन्होंने देखा कि सेंसेक्स 2008 के 8,000 अंक से बढ़कर 2023 में 65,000 अंक के पार चला गया. जो लोग बार-बार शेयर खरीदने-बेचने में लगे रहते हैं, वे ऐसे मजबूत रिटर्न हासिल नहीं कर पाते. इसलिए, समझदारी इसी में है कि अच्छी कंपनियों में निवेश करें और लंबे समय तक टिके रहें.

भारतीय निवेशकों के लिए मास्टरक्लास

वॉरेन बफेट की सलाह पूरी दुनिया में काम आती है, लेकिन भारतीय निवेशकों को कुछ अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. हमारे बाजार कई बार ऐसे विदेशी कारणों से गिरते हैं जिन पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं होता. गिरता हुआ रुपया एक और बड़ी परेशानी है. लेकिन इन सबके बीच भी बफेट की बुनियादी बातें आज भी पूरी तरह सही साबित होती हैं.

उदाहरण के तौर पर, 2013 में जब "टेपर टैंट्रम" हुआ था, तब विदेशी निवेशकों ने भारत जैसे देशों से पैसा निकाल लिया था. सेंसेक्स में भारी गिरावट आई थी और रुपये की कीमत भी बहुत घट गई थी. ऐसे समय में जिन्होंने डरने के बजाय बफेट की सलाह मानी और मजबूत कंपनियों जैसे एशियन पेंट्स, ब्रिटानिया और मैरिको में निवेश किया, उन्होंने न केवल अपना पैसा बचाया, बल्कि आने वाले कुछ सालों में अच्छा मुनाफा भी कमाया.

बफेट के तरीके से बनाएं दौलत

वॉरेन बफेट का तरीका हमें सिखाता है कि बाजार जब गिरता है, तब घबराने की बजाय समझदारी से काम लेकर पैसा बनाया जा सकता है. उनकी रणनीति कहती है – जब बाकी लोग डर रहे हों, तब हिम्मत दिखाओ. शेयर का दाम नहीं, उस कंपनी की असली कीमत पर ध्यान दो. कुछ पैसा हमेशा बचाकर रखो ताकि मौके का फायदा उठा सको. लंबी अवधि की सोच रखो और कर्ज से बचो.

बफेट ने एक बार कहा था, “शेयर बाजार एक ऐसी जगह है, जहां अधीर लोग अपना पैसा धैर्य रखने वालों को दे देते हैं.” यानी जो लोग जल्दबाज़ी नहीं करते, वे लंबे समय में ज्यादा कमाते हैं. भारतीय निवेशकों के लिए भी यही सबसे बड़ा फाइनेंशियल फायदा बन सकता है.

बाजार में गिरावट आना तय है – सवाल ये नहीं है कि आएगी या नहीं, सवाल ये है कि कब आएगी. जो लोग बफेट की सलाह मानते हैं, वे ऐसे वक्त में घबराते नहीं, बल्कि उसे एक मौके की तरह देखते हैं.

(नोट: इस लेख का उद्देश्य केवल दिलचस्प डेटा, चार्ट्स और विचार साझा करना है. यह निवेश की कोई सलाह नहीं है. अगर आप निवेश के बारे में सोच रहे हैं, तो किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें. यह लेख केवल शिक्षा के मकसद से तैयार किया गया है.)

(Article by Suhel Khan)

Warren Buffett