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Warren Buffett: बफेट की वसीयत से सीखिए, अगली पीढ़ी को सिर्फ अमीर नहीं, जिम्मेदार कैसे बनाएं

Warren Buffett’s will: वॉरेन बफेट की वसीयत महज संपत्ति बांटने का दस्तावेज नहीं, बल्कि अगली पीढ़ी को जिम्मेदार, मेहनती और मूल्य आधारित बनाने की एक गहरी सोच है. इसमें हर इंसान के लिए सीख छिपी है - चाहे वो अरबपति हो या आम आदमी.

Warren Buffett’s will: वॉरेन बफेट की वसीयत महज संपत्ति बांटने का दस्तावेज नहीं, बल्कि अगली पीढ़ी को जिम्मेदार, मेहनती और मूल्य आधारित बनाने की एक गहरी सोच है. इसमें हर इंसान के लिए सीख छिपी है - चाहे वो अरबपति हो या आम आदमी.

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FE Hindi Desk
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Warrenn Buffett: जानिए वॉरेन बफेट की वसीयत से 5 खास बातें, जो सिखाती हैं बच्चों को मेहनती बनाना, परिवार को मजबूत रखना और सही तरीके से दौलत सौंपना. (Bloomberg)

वॉरेन बफेट, जिन्हें ओरेकल ऑफ ओमाहा के नाम से जाना जाता है, सिर्फ निवेश के माहिर ही नहीं, बल्कि परिवार और विरासत की गहरी समझ रखने वाले दूरदर्शी व्यक्ति भी हैं. नवंबर 2024 में उन्होंने अपने शेयरधारकों के लिए एक साफ़गो और दिल से लिखा हुआ पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने खुलकर बताया कि वे अपनी अरबों की संपत्ति अगली पीढ़ी को किस सोच और जिम्मेदारी के साथ सौंपना चाहते हैं.

यह केवल दौलत के हस्तांतरण तक सीमित बात नहीं है, बल्कि बच्चों की परवरिश, परिवार को एकजुट रखना और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की गहरी सोच से जुड़ा है. चाहे आप अमीर हों, अपनी संपत्ति बना रहे हों या रोज़मर्रा की जिंदगी की चुनौतियों से जूझ रहे हों. बफेट का यह पत्र एक ऐसी राह दिखाता है जो विरासत को केवल पैसे तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे जीवन के मूल्यों और संस्कारों से जोड़ती है.

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नीचे वॉरेन बफेट की 5 अहम सबक दी गई हैं, जिन्हें हम सभी को समझना और अपनाना चाहिए.

इतना दें कि बच्चों के सपने पूरे हों, लेकिन मेहनत करने का हौसला कम न हो

वॉरेन बफेट की विरासत को लेकर सोच बहुत बैलेंस है. वे चाहते हैं कि बच्चों को शुरुआत में मदद जरूर मिले, लेकिन वे इस मदद के सहारे आराम से बैठकर बिना मेहनत किए आगे न बढ़ें. जब उनकी पहली पत्नी सूजी का 2004 में निधन हुआ, तब उन्होंने अपने तीनों बच्चों को 10 मिलियन डॉलर दिए थे. यह रकम निश्चित रूप से बड़ी थी, लेकिन यह बिना शर्त या अनियंत्रित नहीं थी.

बफेट इस बारे में लिखते हैं कि अमीर माता-पिता को अपने बच्चों को इतनी संपत्ति छोड़नी चाहिए कि वे कुछ भी कर सकें, लेकिन इतनी नहीं कि वे कुछ भी न करें. वे अपने बच्चों की जिम्मेदारी और मेहनत पर गर्व महसूस करते हैं और कहते हैं कि मेरे बच्चे हमारी उम्मीदों से बढ़कर साबित हुए हैं, और मेरी मृत्यु के बाद वे मेरी Berkshire Hathaway की संपत्ति का सही तरीके से प्रबंधन करेंगे.”

एक माता-पिता के रूप में यह समझना जरूरी है कि आपके परिवार के लिए ‘काफी’ का मतलब क्या है. यह हो सकता है कॉलेज की पढ़ाई की फीस या किसी व्यवसाय की शुरुआत के लिए शुरुआती धनराशि, लेकिन इतना नहीं कि वे पूरी जिंदगी आराम से बिताएं. इसलिए बच्चों से खुलकर बात करें कि आप ये सीमाएं क्यों तय कर रहे हैं. इससे उनका भरोसा बढ़ेगा और वे जमीन से जुड़े रहेंगे.

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अपने बच्चों को वसीयत की बातचीत में जल्द शामिल करें

किसी भी बड़े फैसले को अचानक स्वीकार करना आसान नहीं होता, खासकर जब बात वसीयत की हो. वॉरेन बफेट इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि उनके बच्चे उनके निर्णयों से अचानक चौंकें नहीं. इसलिए वे अपनी संपत्ति और योजनाओं को पहले ही अपने बच्चों के साथ साझा कर लेते हैं, जिनके नाम वे प्यार से सूजी जूनियर, होवी और पीटर रखते हैं.

वे सलाह देते हैं कि जब आपके बच्चे समझदार और जिम्मेदार हो जाएं, तो वसीयत पर हस्ताक्षर करने से पहले उन्हें इसे पढ़ने दें.” बफेट बच्चों की राय को गहराई से सुनते हैं और इसे महत्व देते हैं. वे बताते हैं कि सालों में मेरे तीनों बच्चों ने मुझसे सवाल पूछे और कई सुझाव दिए, जिनमें से कई मैंने अपनाए भी हैं.” यह बात केवल अमीर परिवारों तक सीमित नहीं है.

चाहे आप परिवार का घर छोड़ रहे हों या थोड़ी बचत, अपने बच्चों के साथ खुलकर अपनी इच्छाओं और फैसलों पर बातचीत करना बहुत जरूरी है. ऐसा करने से भविष्य में गलतफहमियां और झगड़े टल सकते हैं. अगर किसी बच्चे को ज्यादा देने की जरूरत हो क्योंकि उसकी कोई खास परिस्थिति है, तो इसे स्पष्ट रूप से बताना चाहिए. यह किसी तरह का नियंत्रण नहीं, बल्कि पारदर्शिता और परिवार की मजबूती बनाए रखने का तरीका है.

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बच्चों को सिखाएं कि चाहे बैंक बैलेंस कितना भी हो, हमेशा दूसरों की मदद करें

वॉरेन बफेट अपने जीवनभर की कमाई का लगभग 99.5% हिस्सा अपने बच्चों के चैरिटी फाउंडेशन के ज़रिए दान कर रहे हैं. इसका कारण सिर्फ उदारता नहीं है. उनके भीतर यह गहरी समझ है कि पैसा केवल जमा करने की चीज़ नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का एक ज़रिया होना चाहिए. दिलचस्प बात यह है कि उनके बच्चे शुरुआत से ही बड़े दानी नहीं थे; उन्होंने यह भावना धीरे-धीरे, अपने माता-पिता से सीखी.

बफेट याद करते हैं कि मैं और मेरी पत्नी सूजी हमेशा अपने बच्चों को छोटे-छोटे दान और सामाजिक कामों के लिए प्रोत्साहित करते थे. हमें उनके उत्साह, समर्पण और इन कार्यों के असर पर गर्व है.”

समय के साथ, यह आदत आदर्श में बदल गई. मेरे बच्चे अब वर्षों से 20-30 लोगों की टीमों का नेतृत्व कर रहे हैं,” वे बताते हैं, “और उन्हें चैरिटी संगठनों की जमीनी चुनौतियों की गहरी समझ है.” लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि ऐसी सोच केवल अरबपतियों के लिए है.

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे भी दूसरों के लिए सोचें, तो शुरुआत छोटी हो सकती है. उन्हें किसी दिन भोजन वितरण में साथ ले जाएं, पड़ोसी की मदद करने के लिए कहें, या उन्हें बताएं कि किसी ज़रूरतमंद की सहायता कैसे की जा सकती है.

ये छोटे कदम धीरे-धीरे एक बड़ी सोच में बदलते हैं. सेवा की भावना कोई एक बार में नहीं आती, लेकिन जब बच्चे देखेंगे कि दूसरों की मदद करने से अंदरूनी संतोष मिलता है, तो यह आदत उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाएगी.

आख़िरकार, असली खुशी केवल पाने में नहीं, देने में है और यही बफेट की सबसे गहरी सीखों में से एक है.

अपने बच्चों को पैसों के नुकसान से बचाएं

जहां बड़ी दौलत होती है, वहां अक्सर बड़े तनाव भी साथ आते हैं. और इस सच्चाई को वॉरेन बफेट से बेहतर शायद ही कोई समझता हो. यही कारण है कि उन्होंने अपनी वसीयत में एक बहुत ही समझदारी भरा नियम जोड़ा है: उनके बच्चे किसी भी चैरिटी या फाउंडेशन से जुड़े फैसले तभी ले सकेंगे जब वे सर्वसम्मति से हों. यह नियम सिर्फ प्रक्रिया को पारदर्शी नहीं बनाता, बल्कि उन्हें अनचाहे दबावों और संभावित झंझटों से भी बचाता है.

बफेट इस बारे में साफ़ कहते हैं कि जो लोग बड़ी रकम वितरित करते हैं, उन्हें हमेशा ‘लाभ उठाने वालों’ का निशाना बनाया जाता है. यह एक कड़वी लेकिन जरूरी सच्चाई है.”

इसका समाधान उन्होंने बेहद सरल लेकिन प्रभावी तरीके से सुझाया. उन्होंने बताया - इसीलिए मैंने 'सर्वसम्मति' का नियम रखा है. इसका मतलब है कि जब कोई मदद मांगने आएगा, तो जवाब हो सकता है. ‘यह ऐसा मामला नहीं है जिस पर मेरे भाई की सहमति मिल सके.’”

यह तरीका केवल अरबपतियों के लिए नहीं, बल्कि हर उस परिवार के लिए उपयोगी है जहां भावनात्मक दबाव और पारिवारिक रिश्ते एक-दूसरे से उलझ सकते हैं. जरूरी नहीं कि आप बड़ी दौलत छोड़ रहे हों. आपके बच्चे फिर भी ऐसे हालात में आ सकते हैं जहाँ दोस्त उधार मांगें या रिश्तेदार मदद की उम्मीद रखें.

ऐसे में बच्चों को बिना अपराधबोध के ‘ना’ कहना सिखाना बेहद जरूरी है. उन्हें एक ठोस वजह और एक सुरक्षित “ढाल” दीजिए, जैसे- “मां ने कहा है कि हम यह नहीं कर सकते.” यह सीधा, स्पष्ट और सम्मानजनक तरीका रिश्तों को भी बचाता है और मानसिक शांति को भी. और यही वह समझदारी है जो विरासत को केवल पैसों तक सीमित नहीं रहने देती.

भविष्य को नियंत्रित करने की कोशिश न करें, अपने बच्चों पर भरोसा रखें

वॉरेन बफेट डायनेस्टिक वेल्थ (Dynastic Wealth) के पक्षधर नहीं हैं. यानी ऐसी दौलत जो पीढ़ी दर पीढ़ी कड़े नियमों में जकड़ी रहे और जिसे भविष्य की पीढ़ियों पर थोप दिया जाए. वे मानते हैं कि विरासत का मकसद केवल संपत्ति आगे बढ़ाना नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारियों के साथ भरोसे की भावना भी देना होना चाहिए. यही वजह है कि वे अपनी संपत्ति सीधे अपने बच्चों और उनके चुने हुए उत्तराधिकारियों को सौंप रहे हैं. न कि किसी ऐसे दूर-दराज़ के वारिस को जिसे वे जानते तक नहीं.

अपने विचार को साफ़ करते हुए वे लिखते हैं, “मैंने कभी ऐसी विरासत बनाने की इच्छा नहीं जताई जो बच्चों के बाद भी आगे बढ़े.” उनके मुताबिक, भविष्य की पीढ़ियों की प्राथमिकताएं क्या होंगी, उनकी समझदारी और निष्ठा कैसी होगी. यह कहना आज के समय में लगभग असंभव है, खासकर तब जब समाज और परोपकार की दुनिया लगातार बदल रही हो.

एक माता-पिता के रूप में यह सोच हमें भी झकझोरती है. सच्चाई यह है कि हम नहीं जानते कि हमारे पोते-पोतियों की दुनिया कैसी होगी. उनके सामने क्या चुनौतियाँ होंगी, क्या ज़रूरतें होंगी. ऐसे में सबसे बुद्धिमानी इसी में है कि हम अपने बच्चों को सही संस्कार, ज़िम्मेदारी और आज़ादी के साथ तैयार करें. अपनी वसीयत या ट्रस्ट को इस तरह बनाएं कि वे अपनी परिस्थितियों के अनुसार फैसले ले सकें. चाहे वो शिक्षा से जुड़ा कोई विकल्प हो या स्वास्थ्य से संबंधित कोई ज़रूरी निर्णय.

जब आप अपने बच्चों पर भरोसा करते हैं और उन्हें निर्णय लेने की छूट देते हैं, तो आपकी विरासत केवल दौलत तक सीमित नहीं रहती. वह एक जीवंत मूल्य बन जाती है, जो समय के साथ ढलती है और किसी के हाथ बंधी नहीं रहती.

आपकी विरासत, बफेट के अंदाज में

वॉरेन बफेट की जीवन से मिली सीखें सिर्फ बेहद अमीर लोगों के लिए नहीं हैं. ये उन सभी के लिए मार्गदर्शक हैं जो इस दुनिया में सिर्फ पैसा छोड़ना नहीं चाहते, बल्कि एक ऐसा असर छोड़ना चाहते हैं जो टिकाऊ हो. सोच-समझकर देना, खुलकर बातचीत करना, उदारता सिखाना, अपने बच्चों की रक्षा करना और उन पर भरोसा रखना. इन सब से आप ऐसी विरासत बना सकते हैं जो समय के साथ बनी रहे.

बफेट खुद कहते हैं कि मैंने अपने 20 के आखिरी दशक से वैसे ही जिया है जैसा मैं चाहता था, और अब मैंने देखा है कि मेरे बच्चे अच्छे और जिम्मेदार नागरिक बने हैं. उन्होंने खुले दिल से योजना बनाने की ताकत पर भी जोर दिया. वह बताते हैं कि चार्ली (Munger) और मैंने कई ऐसे मामले देखे हैं जहां अमीर माता-पिता की वसीयत, जिसे मौत से पहले पूरी तरह परिवार के साथ चर्चा कर तैयार किया गया था, ने परिवार को और मजबूत बनाया.. चाहे आपकी संपत्ति करोड़ों की हो या मामूली बचत, ये सीखें आपको ऐसे बच्चे पालने में मदद करेंगी जो सफल हों और एक सार्थक छाप छोड़ें.

इस वसीयत में और भी कई महत्वपूर्ण बातें हैं, जिन्हें आप हमारी आने वाली ‘ब्रेकफास्ट विद बफेट’ सीरीज ( breakfast with buffett) में जान सकेंगे. यह लेख केवल जानकारी और विचार साझा करने के लिए है, इसे निवेश सलाह न समझें. निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें. यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है.

(Article by Suhel Khan)

Warren Buffett breakfast with buffett