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हेल्थ इंश्योरेंस चिकित्सा खर्चों से बचाता है. यह पॉलिसी के नियमों और शर्तों के आधार पर गंभीर बीमारियों के लिए कवरेज प्रदान करता है. (Image: Financial Express)
परिवार की सुरक्षा के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना मौजूदा वक्त की एक अहम जरूरत है. इस प्लानिंग का एक अहम हिस्सा इंश्योरेंस भी है. ज्यादातर लोग टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस को प्राथमिकता देते हैं. इंश्योरेंस का मकसद सिर्फ टैक्स सेविंग नहीं, उससे भी कहीं अधिक है. सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस खरीदना एक समझदारी भरा फैसला है लेकिन इतना भर काफी नहीं है. टैक्स बचाने के लिए अक्सर लोगों को इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने की सलाह भी दी जाती है. अगर आप भी उनमें शामिल हैं और सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद रहे हैं, तो ऐसा करना सही फैसला है या नहीं यहां जानिए.
क्या है इंश्योरेंस?
इंश्योरेंस लोगों और उनके परिवारों को फाइनेंशियल सिक्योरिटी और मन को शांति दिलाने में अहम भूमिका निभाता है. ये हेल्थ इमरजेंसी, एक्सीडेंट, असामयिक मृत्यु जैसे तमाम जोखिमों भरे स्थितियों से निपटने के लिए कारगर साबित होता है.वक्त पर प्रीमियम का भुगतान करके पॉलिसीहोल्डर जरूरत पड़ने पर इंश्योरेंस कवर का लाभ ले पाते हैं. आज कई तरह के इंश्योरेंस विकल्प मौजूद हैं. इंश्योरेंस की अहमियत आइए एक मिसाल से समझते हैं.
मिसाल के लिए लाइफ इंश्योरेंस, इसमें बीमित व्यक्ति की असमय मृत्यु होने पर परिवार के लोगों को आर्थिक रूप से सुरक्षा मिलती है. ऐसे में नॉमिनी को 'डेथ बनिफिट के रूप मे एकमुश्त राशि मिलती है. यह रकम परिवार की जरूरतें पूरी करने में मददगार साबित हो सकती है. इसी तरह, हेल्थ इंश्योरेंस चिकित्सा खर्चों से बचाता है. यह पॉलिसी के नियमों और शर्तों के आधार पर गंभीर बीमारियों के लिए कवरेज प्रदान करता है.
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पॉलिसी चुनते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने आपको अपने फाइनेंशियल टार्गेट, देनदारियों, आश्रितों और लाइफस्टाइल पर होने वाले खर्चों के बारे में विचार कर लेना चाहिए. ऐसा कर लेने के बाद अपनी जरूरत और क्षमता के हिसाब से इंश्योरेंस पॉलिसी चुनना चाहिए. आप अपनी इनकम और भविष्य में आवश्यक उपचार के आधार पर अपने स्वास्थ्य उपचार की लागत का आकलन कर सकते हैं. आपको कवरेज, प्रीमियम और क्लेम सेटलमेंट रेशियो जैसे कारकों पर विचार करते हुए विभिन्न कंपनियों द्वारा दी जाने वाली बीमा पॉलिसियों की तुलना करनी चाहिए. नियम और शर्तों को समझने के लिए आपको पॉलिसी को भी ध्यान से पढ़ना चाहिए.
एक्सीडेंटल डेथ बेनिफिट, क्रिटिकल इलनेस कवर, प्रीमियम वेवर जैसी स्थितियों में होने वाले अतिरिक्त खर्चों को कवर करने के लिए भी विचार कर लेना चाहिए. संभव हो तो पहले से ही एडिशनल राइडर्स या एड-ऑन बेनिफिट के माध्यम से अपने पॉलिसी कवरेज के दायरे को बढ़ा सकते हैं.
इंश्योरेंस पॉलिसी का मकसद सिर्फ टैक्स बचाना नहीं है
इंश्योरेंस पॉलिसी टैक्स बचाने में मदद करती है. इसमें कोई संदेह नहीं है. खुद की और परिवार की सुरक्षा और फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी को वरीयता देना जरूरी है. बेशक टैक्स बचाने के लिए अक्सर लोगों को इंश्योरेंस खरीदने की सलाह दी जाती है. अगर आप भी उनमें शामिल हैं और सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद रहे हैं, तो यहां पढ़िए सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस पर पैसे खर्च करना क्यों सही फैसला नहीं है.
पर्याप्त कवरेज का न मिल पाना (Inadequate Coverage)
मुख्य रूप से टैक्स बेनिफिट के लिए बीमा पॉलिसियों का चयन करने से अपर्याप्त कवरेज हो सकता है, क्योंकि टैक्सपेयर्स को कम करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा से ध्यान केंद्रित किया जाता है.
गलत पॉलिसी का चयन (Risk of Mis-selling)
ग्राहक की जरूरत को बिना समझे कई बार टैक्स सेविंग इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर ग्राहकों को एजेंट या बीमा कंपनियां बढ़ा-चढ़ाकर बताकर प्लान बेच देती हैं और इस तरह से पॉलिसीहोल्डर को जिस पॉलिसी की जरूरत है वह नहीं मिल पाती है. ऐसे में बिना पॉलिसी को समझे और अपनी जरूरत को पहचाने ग्राहक गलत पॉलिसी पर पैसे लगा बैठते हैं.
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लॉन्ग टर्म कमीटमेंट (Long-term Commitment)
बीमा पॉलिसियां आमतौर पर लंबी लॉक-इन अवधि के साथ आती हैं, और समय से पहले सरेंडर करना या उन्हें बंद करना एक बुरा फाइनेंशियल डिसीजन साबित हो सकता है. लॉन्ग टर्म कमीटमेंट पर विचार किए बिना सिर्फ टैक्स बचाने और निवेश के लिए खरीदना एक अच्छा विचार नहीं हो सकता है.
बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने बताया कि इंश्योरेंस पॉलिसी चुनते समय, पर्याप्त कवरेज को प्राथमिकता देना, नियम और शर्तों को समझना और दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों पर विचार करना महत्वपूर्ण है. सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस खरीदना समझदारी भरा फैसला नहीं हो सकता है.
ज्यादातर लोगों को टैक्स बचाने के लिए सिर्फ तीन विकल्पों की जरूरत पड़ती है. आदिल शेट्टी बताते हैं कि पहला, खुद और परिवार के लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस, दूसरा खुद के लिए टर्म इंश्योरेंस, अगर आपके पास ढेर सारी जिम्मेदारियां हैं और तीसरा विकल्प इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) है, इसे टैक्स-सेविंग म्युचुअल फंड्स भी कहा जाता है. ईएलएसएस पैसे बचाने, संपत्ति बनाने, टैक्स बचाने, लिक्विडिटी और रिटर्न पर बहुत कम टैक्स देने के बेस्ट तरीकों में से एक है. यह कई समस्याओं का एक बेहतरीन समाधान है.
हमें यह समझने की आवश्यकता है कि इंश्योरेंस को सिर्फ टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट के बजाय फाइनेंशियल प्लानिंग के एक अहम घटक के रूप में देखना जरूरी है. यह केवल टैक्स बचाने के लिए नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि आप इमरजेंसी जैसी स्थिति से कैसे आसानी से उबर सकते हैं.
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