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सरकार की सभी पक्षों, विशेषकर मीडिया से अपील है कि वे किसी भी खबर के पब्लिश करने से पहले तथ्यों की अच्छी तरह पुष्टि करें, क्योंकि भ्रामक जानकारी किसानों के बीच अनावश्यक घबराहट और असमंजस की स्थिति पैदा कर सकती है. (AI Image)
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार एक नई योजना के तहत किसानों से खेती के लिए पानी इस्तेमाल करने पर टैक्स वसूलने की तैयारी कर रही है. वायरल खबर ने किसानों में चिंता बढ़ा दी है. इस वायरल मैसेज के सामने आने के बाद भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने एक बयान जारी की. सरकार खेती के लिए पानी इस्तेमाल करने पर सरकार टैक्स वसूलेगी या नहीं आइए जानते हैं.
क्या है सच्चाई?
किसानों को खेती के लिए पानी इस्तेमाल करने पर टैक्स देना होगा. इस खबर के सामने आने के बाद सरकार ने हाल ही में एक बयान जारी किया. पीआईबी प्रेस रिलीज के मुताबिक भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ वॉटर रिसोर्सेज, रिवर डेवेलपमेंट एंड गंगा रीजुविनेशन के संज्ञान में आया है कि मीडिया के कुछ सेक्शन ने गलत और भ्रामक रूप से रिपोर्ट दी है कि सरकार द्वारा शुरू की जा रही एक नई योजना के तहत किसानों को अब खेती के लिए पानी इस्तेमाल करने पर टैक्स देना होगा.
Several social media posts claim that the Union Government is planning to impose a tax on water usage for agricultural purposes #PIBFactCheck:
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) June 27, 2025
❌ This Claim is #Fake
✅ Union Jal Shakti Minister @CRPaatil has clarified in a press conference that water usage for farming falls… pic.twitter.com/FqyT0VWAKd
जल शक्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत चल रही "कमांड एरिया डेवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट (M-CADWM)" स्कीम का पायलट प्रोजेक्ट किसानों से पानी पर टैक्स वसूलने के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना, पानी का समान वितरण सुनिश्चित करना, और आधुनिक तकनीक (जैसे IoT डिवाइस, SCADA सिस्टम और प्रेशराइज्ड पाइपलाइन नेटवर्क) के माध्यम से जल प्रबंधन को पारदर्शी बनाना है.
क्या किसानों से पानी का टैक्स लिया जाएगा?
सरकार ने साफ किया है कि इस पायलट प्रोजेक्ट में किसानों पर पानी इस्तेमाल के लिए किसी भी प्रकार का टैक्स लगाने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही केंद्र सरकार ने ऐसा कोई निर्देश दिया है. हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब मीडिया ने यह मुद्दा उठाया, तो जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने खुद यह स्पष्ट किया.
इसके अलावा, मंत्रालय ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारत के संविधान के तहत 'कृषि' और 'जल' दोनों ही राज्य के विषय हैं. ऐसे में अगर कहीं भी वॉटर यूज़र एसोसिएशन (WUA) या लाभार्थियों से शुल्क वसूलने का निर्णय लिया जाता है, तो वह संबंधित राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र होगा. यानी अगर किसी राज्य की सरकार अपने स्तर पर वॉटर यूज़र एसोसिएशन (WUA) या लाभार्थियों से कोई शुल्क लेने का निर्णय लेती है, तो वह सिर्फ उस राज्य का फैसला होगा, न कि केंद्र सरकार का.
मंत्रालय ने मीडिया सहित सभी पक्षों से अपील की है कि बिना पुष्टि के भ्रामक खबरें प्रकाशित न करें, क्योंकि इससे किसानों में अनावश्यक भ्रम और घबराहट फैल सकती है. जल शक्त मंत्रालय की ओर से ये स्पष्टीकरण पारदर्शिता सुनिश्चित करने और गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए जारी किया गया है.