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Demat Insurance Policies: बीमा पॉलिसी के डिजिटल होने के फायदे, बैंक से कर्ज लेना होगा आसान

बीमा रेगुलेटर ने दिसंबर 2022 से सभी नई इंश्योरेंस पॉलिसी का डिमैटेरियलाइजेशन (dematerialisation) अनिवार्य कर दिया है.

बीमा रेगुलेटर ने दिसंबर 2022 से सभी नई इंश्योरेंस पॉलिसी का डिमैटेरियलाइजेशन (dematerialisation) अनिवार्य कर दिया है.

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FE Hindi Desk
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insurance policy dematerialization

Demat Insurance Policies: इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलेंपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी इरडा (IRDAI) ने दिसंबर 2022 से सभी नई इंश्योरेंस पॉलिसी डीमैट फॉर्मेट में अनिवार्य कर दिया है. डीमैट फॉर्मेट का मतलब है ओरिजनल दस्तावेजों को डिजिटल फार्मेट में तब्दील करना. इसके अलावा, इरडा (IRDA) ने सभी इंश्योरेंस कंपनियों को मौजूदा और पुरानी पॉलिसियों को अगले साल दिसंबर तक यानी दिसंबर 2023 तक डिजिटल फार्मेट में बदलने को कहा है. इंश्योरेंस कंपनियां इस बदलाव पर होने वाले खर्च वहन करेंगी. इसके तहत सभी पुराने और हालिया पेपर-बेस्ड इंश्योरेंस पॉलिसी धारकों के दस्तावेजों को डिजिटल फार्मेट में किया जाएगा. इंश्योरेंस पॉलिसी धारकों को इसके लिए किसी तरह का फीस नहीं देना होगा. इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा चाहती है कि जिस तरह से किसी शख्स के ट्रेडिंग अकाउंट को डीमैट फार्मेट में शेयरों को रखा जाता है. ठीक उसी तर्ज पर इंश्योरेंस पॉलिसी धारकों के दस्तावेजों को डीमैट फार्मेट में रखा जाएगा.

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कैसे होगा डीमैट फॉर्मेट

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डीमैट फॉर्मेट सभी इंश्योरेंस पॉलिसी को डिजिटल बनाने की एक पहल है. इस डीमैट फार्मेट के तहत इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों को अपनी बीमा का एक पोर्टफोलियो बनाने की इजाजत होगी. साथ ही ये बीमा पॉलिसीधारकों को सुरक्षित इंश्योरेंस रिपॉजिटरी डिजिटल फार्मेंट में रखने की अनुमति देता है. ऐसे में अब पॉलिसीधारकों के पास केवल एक ई-इंश्योरेंस अकाउंट (eIA) होगा. जिसमें वह अपने सभी इंश्योरेंस पॉलिसियों को अपनी पसंद के इंश्योरेंस रिपॉजिटरी में एक साथ रख सकते हैं. 

मौजूदा वक्त में चार इंश्योरेंस रिपॉजिटरीज डीमैट फॉर्मेट की सर्विस मुहैया करा रहे हैं-1 नेशनल सिक्योरिटीज रिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL), 2 सेन्ट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL), 3 कार्वी इंश्योरेंस रिपॉजिटरी लिमिटेड (Karvy Insurance Repository Ltd) और 4 सीएएमएस इंश्योरेंस रिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CAMS Insurance Repository Services Ltd) हैं. ये सभी पॉलिसीधारकों को ई-इंश्योरेंस अकाउंट (eIA) देने का काम करते हैं. बीमा धारक इसमें अपने सभी हेल्थ इंश्योरेंस, व्हीकल इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस सुरक्षित रख सकता है. इस सुविधा के जरिए इंश्योरेंस पॉलिसियों को आसानी से एक्सेस किया जा सकेगा.

बीते कुछ सालों में इन इंश्योरेंस रिपॉजिटरीज ने एक करोड़ से अधिक पॉलिसीधारकों को इलेक्ट्रॉनिक इश्यूएंस (electronic issuance), स्टोरेज और सर्विसज में मदद की है. इसके अलावा, इरडा ने दावों को बेचने, सेवा देने और निपटाने के लिए बीमा सुगम (Bima Sugam) नाम से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का मसौदा भी पेश किया है.

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डीमैट फॉर्मेट के ये हैं फायदे

  • इंश्योरेंस पॉलिसी के डीमैट फॉर्मेट की प्रक्रिया शेयर्स के डीमैट फॉर्मेट से मिलती जुलती है. हालांकि शेयर्स के डीमैट फॉर्मेट में डीमैट अकाउंट से शेयरधारकों को शेयर खरीदने और बेचने की अनुमति होती है, जबकि इंश्योरेंस पॉलिसीधारको को इस नए डीमैट फॉर्मेट से इस तरह की सुविधा नहीं होगी.
  • डीमैट इंश्योरेंस अकाउंट पॉलिसीधारक को उनके सभी लाइफ, व्हीकल, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को देखने की इजाजत होगी.
  • डीमैट इंश्योरेंस अकाउंट में सभी प्रकार के इंश्योरेंस पॉलिसियों का ट्रांजेक्शन और दस्तावेज़ और संबंधित जानकारी एक ही स्थान पर स्टोर होगी और पॉलिसीधारक के पास अपने डीमैट इंश्योरेंस अकाउंट यानी ई- इंश्योरेंस अकाउंट में पॉलिसी शुरू होने की तारीख, परिपक्वता स्थिति, नामांकन, पता, नियम और शर्तों के बारे में जानकारी होगी. 
  • पॉलिसीधारक किसी भी समय अपने बीमा से जुड़ी जानकारी डाउनलोड कर सकेगा.
  • कोई शख्स इंश्योरेंस पॉलिसी को खरीदेगा तो बीमा कंपनी उस पॉलिसी की डिटेल उसके डीमैट इंश्योरेंस अकाउंट में भेज देगी. ऐसे में इंश्योरेंस पॉलिसी की फिजिकल कॉपी सुरक्षित रखने की कोई जरूरत नहीं होगी.
  • पॉलिसी धारकों को उनके सभी ट्रांजेक्शन के बारे में बताया जाएगा और प्रीमियम पेमेंट सीधे बीमा कंपनी को ट्रांसफर किया जाएगा.
  • ई-बीमा पॉलिसी खरीदना काफी आसान होगा, उसके लिए ज्यादा भागदौड़ नही करना होगा और इस पर होने वाला खर्च भी कम होगा और साथ ही साथ धोखाधड़ी की संभावना काफी घट जाएगी.

डीमैट फॉर्मेट के आ जाने से इन सुविधाओं में होगी आसानी

इंश्योरेंस पॉलिसी की सभी डिटेल डिजिटल हो जाने से बैंक आपकी पॉलिसी के मुताबिक लोन जारी करने के लिए राजी हो सकेंगे. यानी लोन लेना आसान हो जाएगा. इसके साथ ही डीमैट फॉर्मेट लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों के लिए एक सेकेंडरी मार्केट तैयार करने में मदद कर सकता है, जैसा कि विकसित देशों में हो रहा है, दरअसल वहां पॉलिसी धारक अपने इंश्योरेंस को मैच्योर होने से पहले अपनी पॉलिसी को बेच सकता है.