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Anil Ambani: रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस पावर के शेयरों में शुक्रवार को भी गिरावट आई थी. (Photo: Reuters)
Anil Ambani Reliance Infrastructure, Reliance Power, Reliance Home Finance stocks plunge: उद्योगपति अनिल अंबानी की अगुवाई वाली ग्रुप (Anil Dhirubhai Ambani Group) कंपनियों रिलायंस होम फाइनेंस (Reliance Home Finance), रिलायंस पावर (Reliance Power) और रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications) के शेयर सोमवार को निचली सर्किट (Lower circuit) सीमा में पहुंच गए. मार्केट रेगुलेटर सेबी द्वारा अनिल अंबानी और 24 अन्य को रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से धन के हेर-फेर के आरोप में 5 साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट से बैन करने के बाद से इन कंपनियों के शेयर में गिरावट जारी है.
इन शेयर्स में भारी गिरावट
बीएसई पर रिलायंस पावर का शेयर 4.99 फीसदी गिरकर 32.73 रुपये की निचली सर्किट सीमा पर पहुंच गया. रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड का शेयर 4.93 फीसदी गिरकर 4.24 रुपये पर रहा. रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर में 4.92 फीसदी की गिरावट आई और यह 2.32 रुपये के निचली सर्किट पर पहुंच गया. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर भी 2.90 फीसदी की गिरावट के साथ 205.55 रुपये पर आ गया.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस पावर के शेयरों में शुक्रवार को भी गिरावट आई थी. गौरतलब है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी तथा रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य को कंपनी से धन के हेर-फेर के मामले में प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. सेबी ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
अंबानी को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार नियामक के साथ पंजीकृत किसी भी इकाई में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद (केएमपी) लेने से भी पांच साल के लिए रोक लगा दी है. इसके अलावा 24 इकाइयों पर 21 करोड़ रुपये से लेकर 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही नियामक ने रिलायंस होम फाइनेंस को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है और उस पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
सेबी ने गत बृहस्पतिवार को अपने 222 पृष्ठ के आदेश में कंपनी के प्रबंधन तथा प्रवर्तक के लापरवाह रवैये का जिक्र किया, जिसके तहत उन्होंने ऐसी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जिनके पास न तो परिसंपत्तियां थीं, न ही नकदी प्रवाह, ‘नेटवर्थ’ या राजस्व था. आदेश के अनुसार, इससे पता चलता है कि 'कर्ज' के पीछे कोई खतरनाक मकसद छिपा था.
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सेबी ने कहा कि स्थिति तब और भी संदिग्ध हो गई जब हम इस बात पर गौर करते हैं कि इनमें से कई कर्जदार आरएचएफएल के प्रवर्तकों से करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं. नियामक के अनुसार, आखिरकार इनमें से अधिकतर कर्ज लेने वाले उसका भुगतान करने में विफल रहे, जिसके कारण आरएचएफएल को अपने स्वयं के ऋण दायित्वों पर चूक करनी पड़ी. इस कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ढांचे के तहत कंपनी का समाधान हुआ, जिससे इसके सार्वजनिक शेयरधारक मुश्किल स्थिति में आ गए.