/financial-express-hindi/media/media_files/5fj0lOloshny17oepQK2.jpg)
Bajaj Auto Stock Price: टू व्हीलर और थ्री व्हीलर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बजाज ऑटो ने बीते 1 साल में करीब 95 फीसदी रिटर्न दिया है.
Bajaj Auto Share Buyback News: टू व्हीलर और थ्रीव्हीलर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बजाज ऑटो लिमिटेड (Bajaj Auto) ने शेयर बायबैक (Share Buyback) को लेकर बड़ा ऐलान किया है. बजाज ऑटो के बोर्ड ने 40 लाख शेयरों के बायबैक को मंजूरी दी है. यह बायबैक 10,000 रुपये प्रति शेयर के भाव पर की जाएगी. यानी शेयर बायबैक पर कंपनी 4000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. बजाज ऑटो का शेयर सोमवार को 6984 रुपये के लेवल पर बंद हुआ था. फिलहाल शेयर बायबैक को शेयरधारकों की मंजूरी मिलनी बाकी है. इस एलान के बाद शेयर में 5 फीसदी की शानदार तेजी आई है. यह 6984 रुपये से बढ़कर 7399 रुपये के भाव पर पहुंच गया.
43% प्रीमियम पर बायबैक
जिन निवेशकों के पास बजाज ऑटो के शेयर हैं, उनके पास इस बायबैक में कमाई का बेहतरीन मौका है. बजाज ऑटो शेयर का बायबैक 10,000 रुपये के भाव पर करेगी, जबकि कंपनी का स्टॉक अभी 7000 रुपये के आस पास ट्रेड कर रहा है. सोमवार को शेयर 6895 रुपये के भाव पर बंद हुआ था, इस लिहाज से कंपनी अपने शेयरधारकों से 43 फीसदी प्रीमियम पर यह बायबैक करेगी. बता दें कि इससे पहले कंपनी दो बार शेयर बायबैक कर चुकी है.
पहले भी 2 बार कर चुकी है बायबैक
बजाज ऑटो इसके पहले भी 2 बार शेयर बायबैक कर चुकी है. सबसे पहले साल 2020 में कंपनी ने 400 रुपये के भाव पर 1.8 करोड़ शेयर वापस खरीदे थे. उसके बाद साल 2022 के जुलाई महीने कंपनी ने 64 लाख शेयरों को 4600 रुपये के भाव पर वापस खरीदा था. यानी करीब 2500 करोड़ में बायबैक किया गया था.
शेयर ने 1 साल में पैसे किया डबल
टू व्हीलर और थ्री व्हीलर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बजाज ऑटो ने बीते 1 साल में करीब 95 फीसदी रिटर्न दिया है. इस दौरान शेयर का भाव 3621 रुपये से बढ़कर 7.87 रुपये पर पहुंच गया. कंपनी का मार्केट कैप 2 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया है. 5 साल में शेयर का रिटर्न 161 फीसदी रहा है.
क्या है शेयर बायबैक
शेयर बाय बैक वह प्रक्रिया है, जिसमें कंपनियां अपने शेयर वापस बाजार से खरीदती हैं. इस तरह कंपनी खुद में ही री-इन्वेस्ट करती है. शेयर बायबैक बाजार भाव से ज्यादा पर किया जाता है तो निवेयाकों के पास मुनाफा कमाने का मौका होता है. वहीं इसके बाद बाजार में शेयरों की संख्या कम हो जाती है तो हर शेयरहोल्डर का मालिकाना हक तुलनात्मक आधार पर कुछ बढ़ जाता है. जब कभी कंपनी को लगता है कि उसके पास अधिक पूंजी है तो वह बायबैक करती है.