/financial-express-hindi/media/media_files/WT4W756gcC6YauDOMCiz.jpg)
Cipla Gets Tax Demand Notice: सिप्ला ने टैक्स नोटिस मिलने की जानकारी रेगुलेटरी फाइलिंग में दी है. (File Photo : Reuters)
Cipla gets Rs 773 crore Tax Demand Notice from I-T dept : देश की दिग्गज दवा कंपनी सिप्ला को आयकर विभाग (Income Tax Department) ने 773.44 करोड़ रुपये के भारी-भरकम नोटिस थमा दिए हैं. कंपनी को ये नोटिस 2015-16 से 2022-23 तक के असेसमेंट इयर के लिए दिए गए हैं. सिप्ला ने आयकर विभाग से मिली इनकम टैक्स की इस डिमांड को गैर-वाजिब बताते हुए कानूनी तौर पर इसके खिलाफ अपील करने की बात कही है. दवा कंपनी ने यह जानकारी मंगलवार को एक रेगुलेटरी फाइलिंग में दी है.
खर्चों को टैक्स कटौती के लिए नामंजूर किया गया
सिप्ला ने रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया है कि आयकर विभाग ने उसे 773.44 करोड़ रुपये के भारी-भरकम टैक्स डिमांड नोटिस मुंबई के इनकम टैक्स विभाग के डिप्टी कमिश्नर की तरफ से मिले हैं. ये नोटिस असेसमेंट और री-असेसमेंट के बाद 12 जुलाई 2024 को जारी किए गए हैं, जो कंपनी को 15 और 16 जुलाई को प्राप्त हुए हैं. कंपनी के मुताबिक टैक्स की यह अतिरिक्त मांग (additional demand for tax) कई तरह के खर्चों को टैक्स कटौती के लिए नामंजूर किए जाने (disallowances of various expenses) से जुड़ी है और इसमें ब्याज की रकम भी शामिल है. 773.44 करोड़ रुपये की इस टैक्स डिमांड में ऊपर बताए गए असेसमेंट इयर (2015-16 से 2022-23 तक) के लिए लागू कोई रिफंड शामिल नहीं है.
टैक्स डिमांड के आदेश को चुनौती देगी कंपनी
सिप्ला के मुताबिक उसका मानना है कि आयकर विभाग का यह नोटिस कानूनी रूप से टिकने लायक नहीं है. कंपनी का दावा है कि उसके पास अपने इस दावे के समर्थन में पर्याप्त तथ्यात्मक और कानूनी (factual and legal) आधार मौजूद हैं, इसलिए उसे उम्मीद है कि इस आदेश की वजह से उसकी वित्तीय स्थिति या कामकाज पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा. सिप्ला ने कहा है कि कंपनी सभी संबंधित कानूनों के तहत इस आदेश के खिलाफ अपील करेगी. मंगलवार को कंपनी के शेयर करीब आधा फीसदी (0.56%) की गिरावट के साथ 1,507.50 रुपये पर बंद हुए.
क्या है टैक्स डिमांड का आधार
टैक्स डिमांड में सेक्शन 80IE के तहत शॉर्ट डिडक्शन (Short Deduction) को भी आधार बनाया गया है. इसके अलावा कंपनी द्वारा साइंटिफिक रिसर्च के लिए किए गए खर्च पर सेक्शन 35(2AB) के तहत क्लेम किए गए कुछ वेटेड डिडक्शन (weighted deductions) को नामंजूर किए जाने का जिक्र भी इस आदेश में है. इसके अलावा कई ऐसे खर्चों को भी सेक्शन 37(1) तहत मंजूरी देने से इनकार किया गया है, जिन्हें आयकर विभाग ने सिर्फ बिजनेस के मकसद से किए गए खर्च मानने से इनकार किया है.