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FPI Investment Update: इस साल जून-जुलाई में भारतीय बाजार में निवेश करने वाले विदेशी निवेशक यानी एफपीआई (FPI) अब सेलर बन गए हैं. उन्होंने अगस्त महीने में अब तक 13,400 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर्स बेचे. येन कैरी ट्रेड को खत्म करने और अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के बीच एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से यह निकासी की है. वहीं बान्ड बाजार यानी डेट मार्केट में इस महीने 9 अगस्त तक विदेशी निवेशकों ने 6,261 करोड़ रुपये डाले.
शेयर बाजार में इस साल अबतक एफपीआई का निवेश
इससे पहले जुलाई में आर्थिक वृद्धि मजबूत बने रहने की उम्मीद, सुधारों का सिलसिला जारी रहने और उम्मीद से बेहतर कंपनी नतीजों के असर में 32,365 करोड़ रुपये का एफपीआई निवेश आया था. जून में भी राजनीतिक स्थिरता कायम रहने और बाजारों में तेज उछाल के कारण 26,565 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया था. हालांकि इससे पहले मई में एफपीआई ने चुनावी झटकों के कारण 25,586 करोड़ रुपये और अप्रैल में मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी. एफपीआई ने मार्च में शेयरों में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था, जबकि जनवरी में उन्होंने 25,743 करोड़ रुपये निकाले थे. डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अब तक एफपीआई ने भारतीय इक्विटी बाजार में 22,134 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है.
बान्ड बाजार में इस साल अबतक डाले इतने करोड़
विदेशी निवेशकों ने इस महीने 9 अगस्त तक बान्ड बाजार में 6,261 करोड़ रुपये डाले. इससे पहले जुलाई 2024 में उनका बॉन्ड बाजार में निवेश 22,363 करोड़ रुपये था. जून में विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार में 14,955 करोड़ रुपये डाले थे. मई 2024 में एफपीआई ने 8,761 करोड़ रुपये डाले थे. इस साल अप्रैल में बांड बाजारों से एफपीआई ने 10,949 करोड़ रुपये की निकासी की थी. बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेशकों ने मार्च में 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया था. कुल मिलाकर 2024 में अबतक विदेशी निवेशक का बॉन्ड बाजार में निवेश का आंकड़ा 97,249 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भविष्य में बाजार में तेजी बने रहने की स्थिति में विदेशी निवेशक अधिक बिक्री कर सकते हैं. इसकी वजह यह है कि भारतीय इक्विटी बाजार का मूल्यांकन तुलनात्मक रूप से ऊंचा बना हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने अगस्त महीने में अब तक इक्विटी बाजार से 13,431 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है.
विजयकुमार ने कहा कि बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दरें 0.25 फीसदी तक बढ़ाने और अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के बाद येन कैरी ट्रेड बंद होने से अगस्त में निकासी हुई है.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के सह निदेशक एवं शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने, खासकर इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण यह और भी बढ़ गया. इसकी वजह से भी विदेशी निवेशकों ने अपने जोखिम को कम कर दिया. इसके अलावा, भारतीय बाजारों के उच्च मूल्यांकन को देखते हुए विदेशी निवेशक मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित हुए. श्रीवास्तव ने कहा कि कमजोर रोजगार आंकड़ों से अमेरिका में मंदी की आशंका के जोर पकड़ने और ब्याज दरों में कटौती के समय को लेकर अनिश्चितता जैसे कारकों से भी भारतीय बाजार से निकासी हुई. एफपीआई 31 जुलाई को समाप्त पखवाड़े में वित्तीय सेवा शेयरों में लगातार बिकवाली कर रहे थे. हालांकि, इस दौरान उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), वाहन, पूंजीगत उत्पाद और धातुओं में खरीदारी की.