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FPI inflow in Bond Market : 2024 में अब तक बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेशकों का कुल निवेश 1.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. (Image: FE File)
FPIs inject Rs 11366 crore in debt market in August: साल 2024 के बजट भाषण के बाद से ही भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों का भरोसा उठा हुआ है. 23 जुलाई 2024 के बाद से ही विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं. इस महीने 24 अगस्त तक उन्होंने 16,305 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे. दूसरी तरफ बॉन्ड बाजार में इस दौरान उन्होंने 11,366 करोड़ रुपये डाले. इसके साथ ही बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेशकों को कुल निवेश इस साल 1 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ां पार कर गया.
बॉन्ड बाजार में इस साल FPI का कुल निवेश 1.02 लाख करोड़ पहुंचा
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने इस महीने 24 अगस्त तक बॉन्ड बाजार में 11,366 करोड़ रुपये का निवेश किया. भारतीय बॉन्ड बाजार में जुलाई में 22,363 करोड़ रुपये, जून में 14,955 करोड़ रुपये और मई में 8,760 करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश हुए थे. इससे पहले, उन्होंने अप्रैल में 10,949 करोड़ रुपये निकाले थे. इस ताजा पूंजी प्रवाह के साथ, 2024 में अब तक बॉन्ड बाजार में एफपीआई का कुल निवेश 1.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. बाजार विश्लेषकों ने कहा कि अक्टूबर 2023 में भारत के शामिल होने की घोषणा के बाद से, एफपीआई वैश्विक बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने की उम्मीद में अपने निवेश को आगे बढ़ा रहे हैं और इसके शामिल होने के बाद भी पूंजी प्रवाह मजबूत बना हुआ है.
अगस्त में अबतक बेचे 16,305 करोड़ के भारतीय शेयर्स
वहीं येन कैरी ट्रेड यानी निम्न ब्याज दर वाले वाले देश से कर्ज लेकर दूसरे देश की एसेट्स में निवेश को खत्म करने, अमेरिका में मंदी की आशंका और वैश्विक स्तर पर जारी संघर्षों के कारण, इस महीने अब तक एफपीआई ने इक्विटी से 16,305 करोड़ रुपये से अधिक निकाले हैं.
एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, शोध प्रबंधक, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि बजट में इक्विटी निवेश पर कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव की घोषणा ने इस बिकवाली को काफी हद तक बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारतीय शेयर्स के उच्च मूल्यांकन के कारण एफपीआई सतर्क हैं. साथ ही अमेरिका में रोजगार के कमजोर आंकड़े से मंदी की बढ़ती आशंका, अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती के समय को लेकर अनिश्चितता और येन कैरी ट्रेड समाप्त होने से भी एफपीआई सतर्क रुख अपना रहे हैं. कुल मिलाकर, भारत एफपीआई के जरिये दीर्घकालिक निवेश आकर्षित कर रहा है और इस मामले में स्थिति अनुकूल बनी हुई है.
बीडीओ इंडिया के भागीदार मनोज पुरोहित ने कहा कि वैश्विक मंदी, पश्चिम एशिया और पड़ोसी देशों में लगातार बढ़ रहे जिओ-पॉलिटिल टेंशन के बीच, भारत अभी भी आकर्षक निवेश स्थल बना हुआ है. इससे विदेशी निवेशक दीर्घकालिक निवेश के लिए आगे आ रहे हैं.
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