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UPS vs OPS vs NPS: सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम, पुरानी पेंशन और एनपीएस से कितनी है अलग?

यूनिफाइड पेंशन स्कीम सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन स्कीम है. इस स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए एश्योर्ड पेंशन स्कीम का प्रावधान किया जाना है. यूपीएस एनपीएस से काफी अलग है. एनपीएस में पेंशन अमाउंट निश्चित नहीं होती थी.

यूनिफाइड पेंशन स्कीम सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन स्कीम है. इस स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए एश्योर्ड पेंशन स्कीम का प्रावधान किया जाना है. यूपीएस एनपीएस से काफी अलग है. एनपीएस में पेंशन अमाउंट निश्चित नहीं होती थी.

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FE Hindi Desk
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Union Minister Ashwini Vaishnaw

केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव (Express photo by Amit Mehra).

Unified Pension Scheme UPS vs NPS vs OPS: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली भारत सरकार की केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार 24 अगस्त को यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस को मंजूरी दे दी. यूपीएस पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर एश्योर्ड पेंशन मिलेगी. सरकारी घोषणा के अनुसार नई पेंशन स्कीम यूपीएस 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी. यह पूरा वाकया पिछले कुछ सालों से केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा भारी विरोध के बीच हुआ है. राजनीतिक लाभ के लिए विपक्ष भी इसे पिछले कुछ चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनाया था.

हिमाचल प्रदेश (2023), राजस्थान (2022), छत्तीसगढ़ (2022) और पंजाब (2022) में जहां पर विपक्षी दलों की सरकार थी या है तो फिर से पुरानी पेंशन योजना को लागू कर दिया है. आने वाले दिनों में जम्मू -कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम का ऐलान करके बड़ा पॉलिटिकल कार्ड खेला है. यहां यूपीएस के बारे में डिटेल दी गई है.

क्या है UPS ?

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यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) सरकार के कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम है. इस स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए एश्योर्ड पेंशन स्कीम का प्रावधान किया गया है. साल 2004 में लागू एनपीएस पेंशन स्कीम से यूपीएस काफी अलग है. जबकि एनपीएस में निश्चित पेंशन अमाउंट की बात नहीं थी. पिछले दिन यूपीएस पेंशन स्कीम के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 5 मुख्य बातें बताईं. आइए जानते हैं.

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यूपीएस पेंशन स्कीम की 5 खूबियां

एश्योर्ड पेंशन

यूपीएस के तहत सरकारी कर्माचरियों को रिटायरमेंट पर फिक्स पेंशन मिलेगी. यह रिटारयमेंट के ठीक पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक पे का कम से कम 50 फीसदी हिस्सा होगा. हालांकि इसका फायदा उसी को मिलेगा जिसने कम से कम 25 साल नौकरी की हो.

एश्योर्ड मिनिमम पेंशन

UPS के तहत अगर कोई कर्मचारी कम से कम 10 साल की सेवा के बाद में रिटायर होता है तो उसे हर महीने मिनिमम 10,000 रुपये पेंशन मिलेगी.

एश्योर्ड फैमिली पेंशन

यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत फैमिली पेंशन भी दी जाएगी. यह कर्मचारी के बेसिक सैलरी का 60 फीसदी होगी. यह पेंशन कर्मचारी की मृत्यु के तुरंत बाद उसके परिवार को दी जाएगी. मिशाल के लिए अगर किसी सरकारी कर्मचारी की आखिरी 12 महीने की औसतन सैलरी 1 लाख रुपये थी. रिटायरमेंट के बाद उसकी पेंशन 50 हजार रुपये बनी. पेंशनर्स की मृत्यु हो जाने की स्थिति में 50000 रुपये पेंशन अमाउंट का 60 फीसदी हिस्सा यानी करीब 30000 रुपये तुरंत उसके परिवार को मिलेगा. 

इंफ्लेशन इंडेक्सेशन बेनिफिट

एश्योर्ड पेंशन, एश्योर्ड फैमिली पेंशन और एश्योर्ड मिनिमम पेंशन, तीनों पर महंगाई के हिसाब से डियरनेस रिलीफ यानी डीआर (Dearnerss Relief) का पैसा मिलेगा. जो ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स पर आधारित होगा. मान लीजिए रिटायरमेंट के बाद किसी पेंशनर्स को हर महीने 50,000 रुपये मिल रहा है तो ऐसा तो है नहीं कि अगले 10 साल तक उसे इतनी ही रकम पेंशन के तौर पर मिलता रहेगा. अपने देश में इंफ्लेशन भी एक अहम फैक्टर है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इंफ्लेशन हर देश में देखने को मिलता है. तो यहां पर जरूरी है कि इंफ्लेशन के आधार पर पेंशनर्स की पेंशन भी बढ़ती जाए. ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स के आधार पर डियरनेस अलाउंस की तरह डियरनेस रिलीफ भी मिलेगा. इंफ्लेशन के हिसाब से पेंशनर्स की पेंशन अमाउंट 50000 रुपये में डियरनेस रिलीफ जोड़कर पेंशनर्स को दी जाएगी.

इसका लाभ 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगा. साथ ही इसी फ्रेमवर्क को अगर राज्य सरकारे अपनाती हैं तो यूपीएस पेंशन स्कीम का लाभ तकरीबन 90 लाख सरकारी कर्मचारियों को मिल सकेगा.

ग्रेच्युटी

किसी कर्मचारी को उसके नौकरी के आखिरी 6 महीनों की सैलरी और भत्ता एक लमसम अमाउंट के तौर पर दिया जाएगा. यूनिफाइड पेंशन स्कीम के समय एकमुश्त भुगतान किया जाएगा. यह कर्मचारी के आखिरी बेसिक सैलरी का 1/10वां हिस्सा होगा.

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NPS ने ली थी पुरानी पेंशन स्कीम की जगह

भारत की पेंशन नीतियों में सुधार के लिए केंद्र सरकार के प्रयास के बाद 1 जनवरी 2004 को एनपीएस को लागू किया गया. जनवरी 2004 से पहले देश में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम उपलब्ध थी लेकिन जनवरी 2004 के बाद इसकी जगह एनपीएस ने ले ली थी. इस डेट के बाद सरकारी सर्विस में शामिल होने वाले लोगों को एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम में डाल दिया गया था. एनपीएस की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने की थी.

एनपीएस पेंशन स्कीम लाने का प्रमुख मकसद ये था कि ओपीएस पेंशन स्कीम अनफंडेड था. अनफंडेड का मतलब ये है कि सरकार ने कह तो दिया कि हम सरकारी कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के रुप में हर महीने देंगे लेकिन सरकार इसके लिए अलग से कोई रिजर्व नहीं निकालती थी, कोई फंड नहीं जुटाती थी. नतीजतन राज्य और केंद्र के बजट का ज्यादातर हिस्सा पेंशन पर खर्च हो जाता था. इन्हीं कमियों के चलते ओपीएस लंबे समय तक नहीं चल पाई.

आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 30 सालों में केंद्र और राज्यों की पेंशन भुगतान में काफी गुना तक बढ़ोतरी हो गई थी. 1990-91 में केंद्र का पेंशन बिल 3,272 करोड़ रुपये था और सभी राज्यों का कुल खर्च 3,131 करोड़ रुपये था. 2020-21 तक केंद्र का बिल 58 गुना बढ़कर 1,90,886 करोड़ रुपये हो गया और राज्यों के लिए यह 125 गुना बढ़कर 3,86,001 करोड़ रुपये हो गया. इस वजह से जनवरी 2004 में सरकार एनपीएस पेंशन स्कीम लेकर आई.

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हालांकि अब करीब दो दशक बाद सरकार नई पेंशन स्कीम यूपीएस लेकर आई है जो देश में सरकारी कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी. हालांकि ये स्कीम वैकल्पिक होगी. यानी कर्मचारी चाहे तो एनपीएस चुन सकेंगे या यूपीएस का चयन कर सकेंगे. ऐसा करने का एक बार ही मौका मिलेगा. यूपीएस स्कीम जनवरी 2004 से पहले देश में लागू OPS पेंशन स्कीम के जैसा ही है. पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद अंतिम सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता था. इसमें भी डियरनेस अलाउंट पेंशनर्स को पेंशन के साथ मिलता था. 

जनवरी 2004 में सरकार द्वारा लाई गई पेंशन स्कीम एनपीएस से एश्योर्ड पेंशन हटा दिया गया. यानी जनवरी 2004 से पहले ओपीएस के तहत पेंशनर्स को आखिरी सैलरी का जो 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के तौर पर मिलता था अब उसमें बदलाव करके एश्योर्ड पेंशन हटा दी गई थी. एनपीएस के साथ दूसरा बदलाव यह किया गया कि सरकारी कर्मचारी के सैलरी में से कुछ हिस्सा काट लिए जाने का प्रावधान किया गया. मिसाल के लिए किसी कर्मचारी की सैलरी 1 लाख रुपये हैं तो सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा यानी 10 हजार रुपये कर्मचारी की ओर से कॉन्ट्रीब्यूशन एनपीएस में पेंशन फंड के लिए काट लिये का प्रावधान किया गया. 2019 में सरकार की ओर से कॉन्ट्रीब्यूशन बढ़ाकर 14 फीसदी किया गया. यानी अब कर्मचारी और सरकार, दोनों की ओर से मिलाकर पेंशन फंड में 24 हजार रुपये डाली जाती थी.

एनपीएस के तहत कर्मचारियों की सैलरी से लगातार कट रहे रकम को हाई रिस्क और लो रिस्क वाले सरकारी बैंक या वित्तीय संस्थान के साथ प्राइवेट कंपनियों के स्कीम में निवेश का मौका मिल रहा था. यानी एनपीएस पेंशन स्कीम को मार्केट लिंक बना दिया गया. इस तरह से इकट्ठा हुए रकम को रिटायरमेंट के बाद पेंशनर्स को पेंशन के रूप में दिए जाने का प्रावधान था. जिसका लंबे समय से कर्मचारी विरोध कर रहे थे. अब सरकार कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम यूपीएस लेकर आई है. 

यूपीएस का किन्हें मिलेगा फायदा?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यह फैसला लेने का अधिकार होगा कि वह एनपीएस में बने रहेंगे या यूनिफाइड पेंशन स्कीम में शामिल होंगे. कैबिनेट सचिव टी वी सोमनाथन ने भी कहा कि यह योजना उन सभी पर लागू होगी, जो 2004 के बाद से NPS के तहत रिटायर हो चुके हैं. हालांकि, यूपीएस 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी. लेकिन 2004 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक NPS के तहत रिटायर हुए सभी कर्मचारी यूपीएस के पांचों लाभ के पात्र होंगे. सोमनाथन ने कहा कि मुझे लगता है कि 99 फीसदी से ज्यादा मामलों में यूपीएस में जाना बेहतर होगा. मेरी जानकारी के मुताबिक, कोई भी एनपीएस में नहीं रहना चाहेगा.

ओपीएस से कितनी अलग है यूपीएस?

अब यूपीएस और एनपीएस में अंतर की बात करें तो सोमनाथ ने बताया कि बकाया राशि पर करीब 800 रुपये का खर्च होगा और पहले साल में इसे लागू करने में सरकारी खजाने पर करीब 6,250 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद में आखिरी वेतन की आधी रकम पेंशन के तौर पर दी जाती थी. इसमें कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ो से तय होती थी.

पुरानी पेंशन में 20 लाख रुपये की ग्रेच्युटी दी जाती थी और रिटायर्ड कर्मचारी की मौत होने पर उसके परिवार को पैसा दिया जाता था. इसमें कर्मचारी के वेतन से कोई भी कटौती किए बिना सरकार पूरी पेंशन कवर देती थी. सोमनाथ ने कहा कि आज जो बदलाव किए गए हैं, उनमें एक अंतर यह है कि आश्वासन दिया गया है और चीजों को बाजार की ताकतों के भरोसे पर नहीं छोड़ा जा सकता है.

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