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FPI: इस महीने 17 अगस्त तक विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार यानी डेट मार्केट में 9,112 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
FPI Outflow in August 2024: भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई का भरोसा उठ गया है. 2024 के बजट भाषण के बाद से विदेशी निवेशकों ने बिकवाली जारी रखी है. उन्होंने अगस्त महीने में अबतक कुल 21,101 करोड़ रुपये वैल्युएशन के शेयर बेचे. वहीं बॉन्ड मार्केट यानी डेट मार्केट में विदेशी निवेशकों ने इस महीने अबतक 9,112 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
शेयर बाजार से भरोसा उठने की क्या है वजह?
अगस्त में एफपीआई द्वारा भारतीय शेयर बाजार से निकासी का मुख्य कारण वैश्विक और घरेलू कारक हैं. जानकारों मानना है कि जापान की करेंसी येन में ‘कैरी ट्रेड’ यानी निम्न ब्याज दर वाले वाले देश से कर्ज लेकर दूसरे देश के एसेट्स में निवेश बंद होने, अमेरिका में मंदी की आशंका और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार बढ़ रहे तनाव के चलते भी विदेशी निवेशक सतर्क हैं.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने 17 अगस्त अब तक शेयर बाजार से 21,201 करोड़ रुपये की पूंजी निकासी की है. इससे पहले, जुलाई में 32,365 करोड़ रुपये और जून में 26,565 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने आर्थिक वृद्धि निरंतर बने रहने, सुधार जारी रहने, कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद से बेहतर रहने और राजनीतिक स्तर पर स्थिरता की उम्मीद में इन दो महीनों में निवेश किये. लोकसभा चुनावों के दौरान मई में एफपीआई ने 25,586 करोड़ रुपये और मॉरीशस के साथ भारत के कर समझौते में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में लगातार बढ़त की चिंताओं के बीच अप्रैल में 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी. एफपीआई ने मार्च में शेयरों में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था, जबकि जनवरी में उन्होंने 25,743 करोड़ रुपये निकाले थे. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एफपीआई ने इस साल अब तक इक्विटी शेयर में 14,364 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
इस महीने 17 अगस्त तक विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार यानी डेट मार्केट में 9,112 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इससे पहले जुलाई 2024 में उनका बॉन्ड बाजार में निवेश 22,363 करोड़ रुपये था. जून में विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार में 14,955 करोड़ रुपये डाले थे. मई 2024 में एफपीआई ने 8,761 करोड़ रुपये डाले थे. इस साल अप्रैल में बांड बाजारों से एफपीआई ने 10,949 करोड़ रुपये की निकासी की थी. बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेशकों ने मार्च में 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया था. कुल मिलाकर 2024 में अबतक विदेशी निवेशक का बॉन्ड बाजार में निवेश का आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपये तक तक पहुंच गया है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
वॉटरफील्ड एडवाइजर्स में लिस्टेड इन्वेस्टमेंट्स के निदेशक विपुल भोवर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, येन कैरी ट्रेड के समाप्त होने, वैश्विक मंदी की आशंका, धीमी आर्थिक वृद्धि और वैश्विक स्तर पर जारी संघर्षों को लेकर चिंताओं के कारण बाजार में अस्थिरता और जोखिम से बचने का रुख बना है. बैंक ऑफ जापान ने मुख्य ब्याज दर में 0.25 फीसदी तक की वृद्धि की है. इसके बाद में येन ‘कैरी ट्रेड’ के समाप्त होने से पूंजी निकासी शुरू हुई.
घरेलू स्तर पर, जून और जुलाई में शुद्ध लिवाल होने के बाद, कुछ एफपीआई ने पिछली तिमाहियों में मजबूत तेजी के बाद मुनाफावसूली (प्रॉफिट-बुकिंग) का विकल्प चुना होगा. विपुल भोवर ने कहा कि इसके अलावा, कंपनियों के तिमाही नतीजे मिले-जुले होने और अपेक्षाकृत उच्च मूल्यांकन ने भारतीय शेयर बाजार को कम आकर्षक बना दिया है.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि बजट बाद इक्विटी निवेश पर कैपिटल गेन टैक्स में बढ़ोतरी की घोषणा ने बिकवाली को गति दी है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अमेरिका में नौकरियों के कमजोर आंकड़े, नीतिगत दर में कटौती के समय को लेकर अनिश्चितता और येन ‘कैरी ट्रेड’ के समाप्त होने के बीच एफपीआई भारतीय शेयरों के उच्च मूल्यांकन और वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता को लेकर सतर्क हैं.
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