/financial-express-hindi/media/media_files/G1bfWwQOzCmix7UkeFXV.jpg)
जुलाई के 32,365 करोड़ रुपये और जून के 26,565 करोड़ रुपये की तुलना में अगस्त के दौरान एफपीआई का निवेश काफी कम है. (Image: FE File)
FPIs Inflow in equities drops to Rs 7320 crore in August on higher valuations: विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई ने सतर्क रुख अपनाते हुए अगस्त में घरेलू शेयर बाजार में सिर्फ 7,320 करोड़ रुपये का निवेश किया. शेयर के अलावा बॉन्ड बाजार में उन्होंने इस दौरान 17,960 करोड़ रुपये का निवेश किया. शेयरों के हाई वैल्यूएशन और बैंक ऑफ जापान के ब्याज दर बढ़ाने के बाद येन कैरी ट्रेड यानी निम्न ब्याज दर वाले वाले देश से कर्ज लेकर दूसरे देश की एसेट्स में निवेश के समाप्त होने के बीच उन्होंने सतर्क रुख अपनाया है.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक यह निवेश जुलाई में 32,365 करोड़ रुपये और जून में 26,565 करोड़ रुपये से काफी कम है. वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के डायरेक्टर (लिस्टेड इनवेस्टमेंट्स) विपुल भोवार ने कहा कि सितंबर में एफपीआई की घरेलू बाजार में रुचि बने रहने की संभावना है. हालांकि कैपिटल फ्लो को घरेलू राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक संकेतक, वैश्विक ब्याज दर की स्थिति, बाजार मूल्यांकन, क्षेत्रीय प्राथमिकताओं और बॉन्ड बाजार के आकर्षण से दिशा मिलने की उम्मीद है.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त में भारतीय इक्विटी में 7,320 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया. पिछले दो महीनों की तुलना में एफपीआई की दिलचस्पी कम होने का मूल कारण भारतीय बाजार में उच्च मूल्यांकन है. वित्त वर्ष 2024-25 की अनुमानित कमाई से 20 गुना अधिक पर निफ्टी कारोबार कर रहा है. इसके साथ, भारत अब दुनिया का सबसे महंगा बाजार है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा कि विदेशी निवेशकों के पास बहुत सस्ते बाजारों में निवेश करने के अवसर हैं और इसीलिए, उनकी प्राथमिकता भारत के अलावा अन्य बाजार हैं. इसके अलावा, 24 अगस्त को येन कैरी ट्रेड के समाप्त होने से एफपीआई व्यवहार पर काफी असर पड़ा, जिससे घरेलू इक्विटी में भारी बिकवाली हुई. दिलचस्प बात ये है कि विदेशी निवेशक शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं, जहां वैल्यूएशन अधिक माना जाता है. वे अपने निवेश को प्राथमिक बाजार में लगा रहे हैं, जहां अपेक्षाकृत वैल्यूएशन कम है.
अगस्त में शेयर्स के अलावा बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेशकों ने 17,960 करोड़ रुपये का निवेश किया. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में शामिल किये जाने, आकर्षक ब्याज दर, स्थिर आर्थिक वृद्धि और अनुकूल दीर्घकालिक दृष्टिकोण एफपीआई को बॉन्ड में निवेश करने के लिए प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक रहे हैं.
बजाज फिनसर्व एसेट मैनेजमेंट के मुख्य निवेश अधिकारी निमेश चंदन ने कहा कि वैश्विक बांड सूचकांकों में भारत के शामिल होने और आकर्षक यील्ड ने पूंजी प्रवाह को आकर्षित किया है. इसके अलावा, एफपीआई मुख्य रूप से बॉन्ड बाजार में खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि इस साल भारतीय रुपया स्थिर रहा है और यह स्थिरता जारी रहने की उम्मीद है. इसके साथ, 2024 में अब तक इक्विटी में एफपीआई का निवेश 42,885 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 1.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
/financial-express-hindi/media/agency_attachments/PJD59wtzyQ2B4fdzFqpn.png)
Follow Us