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FPI: इस साल अब तक एफपीआई ने इक्विटी में 41,899 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 1.09 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है. (FE File)
FPIs take out Rs 58,711 crore from equities in October on Geopolitical crisis, Strong Chinese stocks: अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में भी विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई का भारतीय शेयर बाजार से निकासी जारी है. इस महीने अब तक एफपीआई ने भारतीय शेयरों से 58,711 करोड़ रुपये निकाले हैं. इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष, कच्चे तेल की कीमतों में तेज वृद्धि और चीनी बाजार के मजबूत प्रदर्शन के कारण विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की. अक्टूबर के पहले तीन कारोबारी सत्रों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से 27,142 करोड़ रुपये निकाले थे. इक्विटी के अलावा बान्ड बाजार में एफपीआई ने सामान्य सीमा के जरिए 1,635 करोड़ रुपये निकाले और स्वैच्छिक रोकथाम मार्ग (VRR) के माध्यम से 952 करोड़ रुपये निवेश किए.
डिपोजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने एक अक्टूबर से 11 अक्टूबर के बीच इक्विटी से 58,711 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की. इससे पहले, इस साल सितंबर में विदेशी निवेशकों ने 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो 2024 का रिकॉर्ड निवेश था. अप्रैल-मई में 34,252 करोड़ रुपये निकालने के बाद, जून से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने लगातार इक्विटी बाजार में पैसा लगाया. जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर, एफपीआई इस साल शुद्ध खरीदार रहे हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर होने वाली गतिविधियां और ब्याज दर को लेकर स्थिति जैसे वैश्विक कारक भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेश के प्रवाह को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिंजकर ने कहना है कि विशेष रूप से पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है. इससे वैश्विक निवेशक जोखिम से बच रहे हैं. एफपीआई सतर्क हो गए हैं और उभरते बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. उनका मानना है कि वैश्विक स्तर पर संकट के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव 10 अक्टूबर को 79 डॉलर प्रति बैरल हो गया जबकि 10 सितंबर को यह 69 डॉलर प्रति बैरल था. इससे भारत में महंगाई और वित्तीय बोझ बढ़ने का जोखिम उत्पन्न हुआ है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का मानना है कि चीन में धीमी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय उपायों की घोषणा के बाद एफपीआई ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो' की रणनीति अपना रहे हैं. विदेशी निवेशक चीन के शेयरों में पैसा लगा रहे हैं, जो अब भी अपेक्षाकृत सस्ता है. कुल मिलाकर इन सब कारणों से भारतीय शेयर बाजार में एक अस्थायी अवरोध पैदा हुआ है.