/financial-express-hindi/media/media_files/G1bfWwQOzCmix7UkeFXV.jpg)
FPI: विदेशी कोषों की निकासी के मामले में अक्टूबर का महीना सबसे खराब साबित हो रहा है. (Image: FE File)
विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई (FPI) का बीते कुछ हफ्तों से भारतीय शेयरों से निकासी का सिलसिला जारी है. इस महीने 25 अक्टूबर में तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से 85,790 करोड़ रुपये या 10.2 अरब डॉलर की निकासी की है. चीन के प्रोत्साहन उपायों, वहां के अट्रैक्टिव स्टॉक वैल्युएशन और घरेलू स्टर पर स्टॉक के हायर वैल्युएशन की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं. वहीं बॉन्ड से सामान्य सीमा के माध्यम से विदेशी निवेशकों ने 5,008 करोड़ रुपये निकाले और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) से 410 करोड़ रुपये का निवेश किया. इस साल अबतक एफपीआई ने शेयरों में 14,820 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 1.05 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने इस महीने 25 अक्टूबर तक भारतीय शेयर बाजार से 85,790 करोड़ रुपये निकाले हैं. एफपीआई की निरंतर बिकवाली ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है, जिससे एनएसई का निफ्टी अपने हाईएस्ट लेवल से 8 फीसदी नीचे आ गया है. इक्विटी के अलावा विदेशी निवेशकों ने इस दौरान बॉन्ड से सामान्य सीमा के माध्यम से 5,008 करोड़ रुपये निकाले हैं और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) से 410 करोड़ रुपये का निवेश किया.
Also read : एफडी में क्यों लगाएं पैसे? कारण और बेनिफिट जानकर करें निवेश का फैसला
FPI ने अक्टूबर में अबतक बेचे सबसे अधिक शेयर
अक्टूबर का महीना विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से निकासी के मामले में सबसे खराब साबित हो रहा है. भारतीय शेयरों से विदेशी निवेशकों का एक महीने में सबसे अधिक निकासी रही है. इससे पहले मार्च, 2020 में, एफपीआई ने शेयरों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे.
इस साल सितंबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो उनके निवेश का पिछले 9 महीने का हाईएस्ट लेवल है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, जून से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार लिवाल बने हुए थे. अप्रैल-मई में उन्होंने जरूर 34,252 करोड़ रुपये की निकासी की थी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भविष्य में एफपीआई का भारतीय बाजार में निवेश जिओ-पॉलिटिकल स्टेटस और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव जैसे वैश्विक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर महंगाई दर का रुख, कंपनियों के दूसरी तिमाही के नतीजे और त्योहारी सीजन की डिमांड पर एफपीआई की निगाह रहेगी.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की निरंतर बिकवाली के रुख में तत्काल बदलाव आने की संभावना नहीं है. चीन के प्रोत्साहन उपायों की वजह से एफपीआई वहां के बाजार का रुख कर रहे हैं. इसके अलावा भारत में मूल्यांकन ऊंचा होने की वजह से भी एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं.