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Share Market Growth: भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर है. कॉरपोरेट्स अर्निंग को लेकर संकेत अच्छे हैं. (Pixabay)
Indian Stock Market Value: भारत का स्टॉक मार्केट अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है. भारतीय बाजार ने इस रेस में पहले हॉन्ग-कॉन्ग (Hong Kong Stock Market) को पीछे छोड़ दिया है, जो इसके पहले नंबर 4 पर था. ब्लूमबर्ग के अनुसार भारतीय एक्सचेंजों पर लिस्टेड शेयरों की कंबाइंड वैल्यू आज बाजार खुलने के पहले तक 4.33 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गई, जबकि हॉन्ग कॉन्ग के शेयर बाजार में लिस्टेड कुल शेयरों की कंबाइंड वैल्यू 4.29 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी.
भारत का शेयर बाजार का मार्केट कैपिटलाइजेशल 5 दिसंबर, 2023 को पहली बार 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया था. इसमें से लगभग 50 फीसदी पिछले 4 साल में आया था. दुनिया के टॉप 3 स्टॉक मार्केट यानी भारत से ऊपर अब अमेरिका, चीन और जापान रह गए हैं.
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भारत में क्यों आई इक्विटी मार्केट में तेजी
घरेलू स्तर पर बाजार में तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि ज्यादातर एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पॉजिटिव हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर है. कॉरपोरेट्स अर्निंग को लेकर संकेत अच्छे हैं. वहीं रिटेल निवेशकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. पॉजिटिव व्यू के चलते विदेशी निवेशकों के लिए भारत निवेश के लिए एक आकर्षक बाजार बना हुआ है. वहीं हाल के चुनावों में पॉलिटिकल स्थिरता के संकेत ने बाजार को नई दिशा दे दी है.
निवेशकों को मिला जोरदार रिटर्न
स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने वाले निवेशकों की चांदी रही. जिन निवेशकों ने पिछले 1 साल में भारतीय शेयर बाजारों में निवेश किया है, उन्हें हाई रिटर्न मिला है. हालांकि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है. साल 2023 में सेंसेक्स और निफ्टी में 17 फीसदी से 18 फीसदी की तेजी रही है. वहीं मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 40 फीसदी से भी ज्यादा मजबूत हुए हैं. जबकि, साल 2022 में सेंसेक्स और निफ्टी में सिर्फ 3 से 4 फीसदी की तेजी रही है. ब्लूमबर्ग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि हॉन्ग कॉन्ग के बेंचमार्क हैंग सेंग इंडेक्स में पिछले साल की तुलना में कम्युलेटिव रूप से 32-33 फीसदी की गिरावट आई है.
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हॉन्ग कॉन्ग के बाजार में क्यों आई गिरावट
हॉन्ग कॉन्ग के बाजार में चीन की सबसे कुछ मजबूत कंपनियां लिस्टेड हैं, जिनमें गिरावट आ रही है. बीजिंग के कड़े कोविड-19 प्रतिबंध, कॉरपोरेशंस पर रेगुलेटरी कार्रवाई, प्रॉपर्टी मार्केट संकट और पश्चिम के साथ जियो-पॉलिटिकल तनाव, इन सभी ने मिलकर दुनिया के विकास इंजन के रूप में चीन की अपील को खत्म कर दिया है. नए साल में इकोनॉमिक स्टिमुलस की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिसकी वजह से चीन और हॉन्ग कॉन्ग के निवेशकों को निराशा हुई.