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IPO Alert : इंडिक्यूब स्पेसेस आईपीओ में क्‍या हैं 3 बड़े जोखिम, ब्रोकरेज ने दी दूर रहने की सलाह, ग्रे मार्केट में प्रीमियम भी घटा

IndiQube Spaces : तेजी से बढ़ने के बावजूद कंपनी ने 58% का EBITDA मार्जिन बनाए रखा है, जो घरेलू कंपनियों के औसत 48% से काफी ज्यादा है. यह दिखाता है कि कंपनी की खर्च कंट्रोल करने की नीति कारगर है.

IndiQube Spaces : तेजी से बढ़ने के बावजूद कंपनी ने 58% का EBITDA मार्जिन बनाए रखा है, जो घरेलू कंपनियों के औसत 48% से काफी ज्यादा है. यह दिखाता है कि कंपनी की खर्च कंट्रोल करने की नीति कारगर है.

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Sushil Tripathi
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IndiQube Spaces : इंडिक्यूब स्पेसेस के आईपीओ का GMP घटा है. कंपनी का अनलिस्‍टेड स्‍टॉक ग्रे मार्केट में 24 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. (Pixabay)

IndiQube Spaces IPO News, IPO Alert : फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस प्रोवाइडर कंपनी इंडिक्यूब स्पेसेस लिमिटेड का आईपीओ आज 23 जुलाई को खुल गया है, जिसे 25 जुलाई तक सब्‍सक्राइब किया जा सकता है. आईपीओ का साइज 700 करोड़ रुपये है. जिसमें 650 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्‍यू और 50 करोड़ का ऑफर-फॉर-सेल है. कंपनी ने आईपीओ के लिए प्राइस बैंड प्राइस बैंड 225 से 237 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है.  आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट में क्रेज घटा है. वहीं, इस आईपीओ पर ज्‍यादातर ब्रोकरेज हाउस भी दिख रहे हैं. 

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GMP : ग्रे मार्केट में घटा प्रीमियम 

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इंडिक्यूब स्पेसेस लिमिटेड के आईपीओ का ग्रे मार्केट में क्रेज घटा है. कंपनी का अनलिस्‍टेड स्‍टॉक ग्रे मार्केट में 24 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. यह आईपीओ के अपर प्राइस बैंड 237 रुपये से 10 फीसदी ज्‍यादा है. यही ट्रेंड रहा तो 237 रुपये आईपीओ प्राइस के मुकाबले कंपनी का स्‍टॉक 261 रुपये पर लिस्‍ट हो सकता है. एक दिन पहले यह ग्रे मार्केट में 14 फीसदी प्रीमियम पर था.  

देवेन चोकसे रिसर्च : न्यूट्रल रे​टिंग 

देवेन चोकसे रिसर्च ने आईपीओ में न्यूट्रल रेटिंग दी है. ब्रोकरेज का कहना है कि IndiQube का IPO प्राइस 8.4x TTM EV/EBITDA पर है, जबकि घरेलू कंपनियों का औसत 12.2x है. FY25 के हिसाब से इसका प्राइस 47.4x EV / एडजस्टेड कैश EBITDA है, जो घरेलू औसत 42.4x से थोड़ा ऊपर है.

FY23 से FY25 के बीच कंपनी ने अपनी रेवेन्यू को 35.2% और EBITDA को 61.4% सालाना की दर (CAGR) से बढ़ाया है. इसका मुख्य कारण है नई प्रॉपर्टीज को जल्दी शुरू करना. इसी दौरान, कंपनी के किराए पर देने लायक एरिया में 21.4% और कुल मैनेजमेंट एरिया में 30.4% सालाना की दर से बढ़ोतरी हुई.

तेजी से बढ़ने के बावजूद कंपनी ने 58% का EBITDA मार्जिन बनाए रखा है, जो घरेलू कंपनियों के औसत 48% से काफी ज्यादा है. यह दिखाता है कि कंपनी की खर्च कंट्रोल करने की नीति कारगर है.

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SBI सिक्‍योरिटीज : AVOID की सलाह

एसबीआई सिक्‍योरिटीज ने आईपीओ पर AVOID की सलाह दी है. ब्रोकरेज का कहना है कि ISL एक ऐसी कंपनी है जो कस्टमाइज्‍ड मैनेज्ड वर्कस्पेस सॉल्यूशन्स देती है और इसके पास विविध प्रकार के क्लाइंट्स हैं.

कंपनी के ज्यादातर सेंटर्स में अच्छा ऑक्यूपेंसी रेट है. FY23 से FY25 के बीच, ISL के रेवेन्‍यू में 35.2%, EBITDA में 61.4% और और एडजस्‍टेड EBITDA में 54.9% की सालाना ग्रोथ हुई है. हालांकि, कंपनी को भारी डिप्रिसिएशन की वजह से नेट स्तर पर घाटा हो रहा है.

लीज पेमेंट को घटाने के बाद फ्री कैश फ्लो अभी भी नकारात्मक है. 237 रुपये के अपर प्राइस बैंड पर, कंपनी का FY25 EV/एडजस्‍टेड EBITDA रेश्‍यो 40.7x है, जो कि इसकी लिस्टेड पियर्स से महंगा है. इसलिए ब्रोकरेज की सलाह है कि निवेशक IPO से दूरी बनाए रखें (AVOID) और शेयर लिस्ट होने के बाद कंपनी का प्रदर्शन देखें, खासकर इसकी पूंजी की उपयोगिता पर ध्यान दें. 

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बजाज ब्रोकिंग : कंपनी से जुड़े 3 प्रमुख जोखिम

कमाई का एक ही जगह पर निर्भर होना : कंपनी की ज्‍यादातर कमाई कुछ खास लोकेशनों पर बने उसके सेंटर्स से होती है. इसका मतलब है कि अगर इन खास जगहों पर कोई दिक्कत आती है (जैसे कानूनी, पर्यावरण या आर्थिक समस्या), तो कंपनी की कमाई पर बड़ा असर पड़ सकता है.

कर्ज और नियमों से जुड़ा जोखिम : कंपनी पर पहले से कर्ज है. अगर वह समय पर कर्ज नहीं चुका पाती या लोन की शर्तों का पालन नहीं करती, तो इससे कंपनी के बिजनेस, पैसों की स्थिति, कामकाज और नकदी पर गंभीर असर पड़ सकता है.

क्रेडिट रेटिंग में गिरावट का खतरा : अगर कंपनी की क्रेडिट रेटिंग घट जाती है, तो उसे कर्ज लेना महंगा पड़ सकता है। इससे उसके बिज़नेस, मुनाफे और नकदी पर नकारात्मक असर हो सकता है.

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किसके लिए कितना रिजर्व 

आईपीओ में QIB के लिए 75% हिस्‍सा रिजर्व है. जबकि गैर-संस्थागत निवेशकों (NIIs) के लिए 15% और रिटेल निवेशकों के लिए 10% हिस्‍सा रिजर्व है. कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त 63,291 शेयर अलग से आवंटित किए हैं. इस इश्यू के लीड मैनेजर ICICI Securities हैं, जबकि रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी MUFG इनटाइम इंडिया (पूर्व में लिंक इनटाइम) निभा रही है. 

(Disclaimer: आईपीओ में सब्‍सक्राइब की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

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