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IndiQube Spaces IPO : कंपनी ने आईपीओ के लिए प्राइस बैंड प्राइस बैंड 225 से 237 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है. (Image: FE File)
IndiQube Spaces IPO : फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस प्रोवाइडर कंपनी इंडिक्यूब स्पेसेस लिमिटेड का आईपीओ 23 जुलाई को खुल रहा है, जिसे 25 जुलाई तक सब्सक्राइब किया जा सकता है. आईपीओ का साइज 700 करोड़ रुपये है. जिसमें 650 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू और 50 करोड़ का ऑफर-फॉर-सेल है. कंपनी ने आईपीओ के लिए प्राइस बैंड प्राइस बैंड 225 से 237 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है.
GMP : ग्रे मार्केट में क्रेज
इंडिक्यूब स्पेसेस लिमिटेड का आईपीओ अभी खुला नहीं है, लेकिन ग्रे मार्केट में अच्छा खासा क्रेज दिख रहा है. कंपनी का अनलिस्टेड स्टॉक ग्रे मार्केट में 41 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. यह आईपीओ के अपर प्राइस बैंड 237 रुपये से 17 फीसदी ज्यादा है. यही ट्रेंड रहा तो 237 रुपये आईपीओ प्राइस के मुकाबले कंपनी का स्टॉक 278 रुपये पर लिस्ट हो सकता है.
एसबीआई सिक्योरिटीज : AVOID की सलाह
एसबीआई सिक्योरिटीज ने आईपीओ पर AVOID की सलाह दी है. ब्रोकरेज का कहना है कि ISL एक ऐसी कंपनी है जो कस्टमाइज्ड मैनेज्ड वर्कस्पेस सॉल्यूशन्स देती है और इसके पास विविध प्रकार के क्लाइंट्स हैं.
कंपनी के ज्यादातर सेंटर्स में अच्छा ऑक्यूपेंसी रेट (किराए पर ली गई जगह की भराव दर) है. FY23 से FY25 के बीच, ISL के रेवेन्यू में 35.2%, EBITDA में 61.4% और और एडजस्टेड EBITDA में 54.9% की सालाना ग्रोथ हुई है. हालांकि, कंपनी को भारी डिप्रिसिएशन (घटती संपत्ति की कीमत) की वजह से नेट स्तर पर घाटा हो रहा है.
लीज पेमेंट को घटाने के बाद फ्री कैश फ्लो अभी भी नकारात्मक है. 237 रुपये के अपर प्राइस बैंड पर, कंपनी का FY25 EV/एडजस्टेड EBITDA रेश्यो 40.7x है, जो कि इसकी लिस्टेड पियर्स से महंगा है.
इसलिए ब्रोकरेज की सलाह है कि निवेशक IPO से दूरी बनाए रखें (AVOID) और शेयर लिस्ट होने के बाद कंपनी का प्रदर्शन देखें, खासकर इसकी पूंजी की उपयोगिता पर ध्यान दें. ब्रोकरेज के अनुसार Awfis Space Solutions जैसी कंपनियां इस सेक्टर में बेहतर विकल्प हैं, जो पहले से मुनाफा कमा रही हैं और जिनका वैल्यूएशन भी कम (28.1x EV/Adj. EBITDA) है.
कम से कम कितना निवेश
आईपीओ में एक लॉट में 63 शेयर हैं. यानी 1 लॉट के लिए कम से कम 14,931 रुपये से बोली लगानी जरूरी है. वहीं अधिकतम 13 लॉट के लिए बोली लगाई जा सकती है.
आईपीओ में QIB के लिए 75% हिस्सा रिजर्व है. जबकि गैर-संस्थागत निवेशकों (NIIs) के लिए 15% और रिटेल निवेशकों के लिए 10% हिस्सा रिजर्व है. कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त 63,291 शेयर अलग से आवंटित किए हैं. इस इश्यू के लीड मैनेजर ICICI Securities हैं, जबकि रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी MUFG इनटाइम इंडिया (पूर्व में लिंक इनटाइम) निभा रही है.
कहां होगा फंड का इस्तेमाल
आईपीओ से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कंपनी नई सुविधाएं स्थापित करने, कर्ज चुकाने और सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतों के लिए करेगी. इसमें से लगभग 462.65 करोड़ रुपये नए सेंटर की स्थापना में खर्च किए जाएंगे, जबकि 93 करोड़ रुपये तक का उपयोग कर्ज के आंशिक या पूर्ण भुगतान में किया जाएगा.
वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी ने 1102.93 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया था, जो सालाना बेसिस पर 27 फीसदी अधिक है. कंपनी का नेट लॉस घटकर 139.62 करोड़ रुपये रह गया है, जबकि FY24 में यह 341.51 करोड़ रुपये था.
(Disclaimer: आईपीओ में सब्सक्राइब की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)