/financial-express-hindi/media/media_files/el3Fhi1YVBJpNsbE4czM.jpg)
New rules from Next Months: अगले महीने से होने जा रहे सभी बदलावों के बारे में एक-एक कर यहां डिटेल चेक कर सकते हैं. (Image: FE File)
New Rules form October 1 : अक्टूबर महीने की शुरुआत सोमवार से हो रही है. नया महीना अपने साथ कई सारे बदलाव लेकर आ रहा है. 1 अक्टूबर से कई ऐसे अहम बदलाव होने वाले हैं जिनका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला है. इन बदलावों में आधार, क्रेडिट कार्ड से लेकर शेयर बाजार तक शामिल है. अगले महीने से होने जा रहे सभी बदलावों के बारे में एक-एक कर यहां डिटेल चेक कर सकते हैं.
आधार एनरोलमेंट नंबर से नहीं होंगे ये जरूरी काम
1 अक्टूबर से आधार को लेकर अहम बदलाव होने जा रहा है. इसके तहत पैन बनवाने या टैक्स रिटर्न फाइल करने में आधार एनरोलमेंट नंबर का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी. नए नियम के मुताबिक इस तरह के कामकाज के लिए अब आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी होना अनिवार्य होगा.
HDFC Bank ने बदले रिवार्ड प्वाइंट रिडीम करने की लिमिट
HDFC बैंक ने 1 अक्टूबर से Infinia क्रेडिट कार्ड के लिए रिवार्ड प्वॉइंट्स रिडीम करने की नई लिमिट तय की है. बैंक के इस फैसले का असर एचडीएफसी बैंक द्वारा प्रमोटेड स्मार्टबाय प्लेटफॉर्म के जरिए ऐपल प्रोडक्ट खरीदने और तनिष्क वाउचर्स के रिडीम्पशन पर होने वाला है. पहली अक्टूबर से HDFC Infinia क्रेडिट कार्ड यूजर हर कैलेंडर तिमाही में सिर्फ एक ऐपल प्रोडक्ट के लिए ही अपने रिवॉर्ड पॉइंट्स रिडीम कर सकेंगे. फिलहाल कार्ड यूजर को ऐपल प्रोडक्ट के लिए रिवॉर्ड पॉइंट्स रिडीम करने की कोई लिमिट तय नहीं है. इसी तरह, HDFC बैंक ने तनिष्क वाउचर्स के लिए रिवॉर्ड पॉइंट्स के रिडीम्पशन पर 50,000 पॉइंट्स प्रति कैलेंडर क्वार्टर की लिमिट होगी.
कर्ज लेने वालों को KFS पर मिलेगा लोन रेट स्टेटमेंट
1 अक्टूबर से, पैसे उधार लेने वालों को यह पता करने में आसानी होगी कि उनके लोन की लागत कितनी है, क्योंकि बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) द्वारा KFS यानी की-फैक्ट्स स्टेटमेंट जारी किया जाएगा. KFS एक सरल और समझने में आसान समरी होगा, जिस पर लोन से जुड़े सभी अहम शर्तों के साथ-साथ चार्जेज और फीस का ब्योरा होगा. RBI ने एक गाइडलाइन के मुताबिक KFS को ऐसी भाषा में लिखा जाना जरूरी है, जिसे कर्ज लेने वाला शख्स आसानी से समझ सकें.
प्री-मैच्योर पॉलिसी बंद करने पर अब मिलेगा रिफंड
इस साल जून में लाइफ इंश्योरेंस प्लान को लेकर एक मास्टर सर्कुलर जारी करते हुए इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा (IRDAI) ने कहा कि जीवन बीमा कंपनियों को विशेष सरेंडर वैल्यू देनी होगी, भले ही पॉलिसीहोल्डर पहले साल के बाद बाहर निकले. नए प्लान इस नियम के अनुसार हैं. IRDAI ने मौजूदा पॉलिसियों को वापस लेने या दोबारा दायर करने के लिए 30 सितंबर की अंतिम तारीख तय की है. वर्तमान स्थिति की तुलना में, पॉलिसीहोल्डर के लिए सरेंडर वैल्यू (जो जल्द बाहर निकलने पर मिलने वाली राशि होती है) उन पॉलिसीहोल्डर के लिए बढ़ जाएगी जो गलत सेल्स का एहसास होने या प्रीमियम चुकाने में असमर्थता के कारण जल्दी बाहर निकलते हैं. इससे पहले, जो पॉलिसीहोल्डर पहले साल के बाद बाहर निकलते थे, उन्हें अपना पूरा प्रीमियम छोड़ना पड़ता था. लेकिन नए नियमों के तहत, उन्हें अपने प्रीमियम का आंशिक रिफंड मिलेगा.
NRI और बच्चों के PPF खातों के लिए बदल जाएंगे नियम
नॉन-रेसिडेंट इंडियन्स (NRIs) के लिए PPF अकाउंट रखने के कुछ खास नियम हैं. NRIs जो बिना अपना स्टेटस बताए PPF खाते में निवेश कर रहे थे, उनके लिए अब सब कुछ पहले जैसा नहीं रहेगा. 12 जुलाई से 30 सितंबर तक इन खातों पर पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट की ब्याज दर मिलेगी. 1 अक्टूबर से, इस खाते पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा. सरकार ने पुराने NSS और सुकन्या समृद्धि खातों से जुड़ी कई बदलावों की भी घोषणा की है.
CBDT की डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास स्कीम होगी लागू
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास स्कीम 2024 का ऐलान किया है, जो 1 अक्टूबर से लागू होगी. आयकर विभाग की महत्वाकांक्षी योजना विवाद से विश्वास स्कीम के तहत डायरेक्ट टैक्स से जुड़े लंबित मामलों और पुराने विवादों का निपटारा हो सकेगा. इसमें आयकरदाता को पेनाल्टी और ब्याज चुकाने आदि का अवसर मिलेगा.
म्यूचुअल फंड यूनिट के री-परचेज पर हटेगा 20% TDS, घटेगा टैक्स का बोझ
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) के दरों को ठीक करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने 2024 के बजट भाषण के दौरान म्यूचुअल फंड या यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) द्वारा यूनिट्स की री-परचेज पर 20 फीसदी TDS दर को हटाने का प्रस्ताव रखा है. यह बदलाव भी 1 अक्टूबर से लागू होगा. फाइनेंस एक्ट, 2024 ने आयकर अधिनियम की धारा 194F को हटा दिया है, जो म्यूचुअल फंड या UTI द्वारा यूनिट्स की री-परचेज से जुड़ा थी.
इस धारा के मुताबिक जो व्यक्ति किसी को भी उस समय भुगतान कर रहा है जब वह धारा 80CCB के उप-धारा (2) में बताए गए किसी भी राशि का भुगतान कर रहा है, उसे 20 फीसदी की दर से टैक्स लेना चाहिए. म्यूचुअल फंड यूनिट की री-परचेज पर 20 फीसदी TDS दर को हटाना निवेशकों के लिए टैक्स का बोझ कम करने की दिशा में एक कदम है.
शेयरहोल्डर्स पर बढ़ेगा टैक्स का बोझ
1 अक्टूबर से शेयर बायबैक को लेकर नया नियम लागू होने वाला है. टैक्स अधिकारियों ने बायबैक टैक्सेशन के नियमों में अहम बदलाव किए हैं. पहले, बायबैक करने वाली कंपनियों को वितरित आय पर 20% की दर से बायबैक टैक्स का भुगतान करना पड़ता था, जिससे निवेशकों के लिए बायबैक आय टैक्स फीस हो जाती थी. 1 अक्टूबर से शेयर बायबैक पर नया नियम लागू हो जाएगा. नए नियम के तहत, टैक्स की जिम्मेदारी कंपनियों से शेयरहोल्डर्स पर शिफ्ट हो गई है. अब शेयर बायबैक प्रक्रिया में भाग लेने पर निवेशकों को होने वाली आय पर टैक्स चुकाना होगा. पहले यह नियम नहीं था. 1 अक्टूबर, 2024 से बायबैक पर भुगतान की गई राशि को डिविडेंड के रूप में माना जाएगा और शेयरहोल्डर पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.
बोनस शेयर क्रेडिट और ट्रेडिंग में आएगी तेजी
मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने 16 सितंबर को जारी एक सर्कुलर जरिए बोनस शेयर्स क्रेडिट और ट्रेडिंग में तेजी लाने के मकसद से T+2 व्यवस्था लागू करने की बात कही है. बोनस शेयर ट्रेडिंग पर ये नया नियम 1 अक्टूबर से लागू हो रहा है. अभी तक यानी 30 सितंबर 2024 तक सभी बोनस शेयर्स की ट्रेडिंग रिकॉर्ड डेट के करीब 2 हफ्ते बाद ही होती रही है. लेकिन 1 अक्टूबर या उसके बाद जारी सभी बोनस शेयर्स की ट्रेडिंग रिकॉर्ड डेट के 2 दिन बाद शुरू हो जाएगी.
जारी सर्कुलर के मुताबिक मार्केट रेगुलेटर सेबी ने बोनस शेयर क्रेडिट का टाइम भी घटाने का फैसला लिया है. 1 अंक्टूबर से बोनस शेयर क्रेडिट टाइम घटकर 2 दिन हो जाएगा. यानी रिकॉर्ड डेट के 2 दिन के भीतर बोनस शेयर मिलेगा और इसमें रिकॉर्ड डेट के 2 दिन बाद ट्रेडिंग शुरू होगी.
यहां T का मतलब रिकॉर्ड डेट से है. रिकॉर्ड डेट वह कट-ऑफ डेट है, जिसे कंपनी यह तय करने के लिए इस्तेमाल करती है कि कौन से शेयरहोल्डर्स बोनस शेयर पाने के लिए पात्र हैं. शेयरहोल्डर्स को बोनस शेयर बिना किसी अतिरिक्त लागत के जारी किए जाते हैं और इसलिए इन्हें फ्री शेयर भी कहा जाता है. बोनस शेयर (Bonus Share) के लिए सिर्फ वे निवेशक पात्र होंगे जो एक्स-डेट से पहले शेयर खरीदेंगे. अगर कोई निवेशक एक्स-डेट पर या उसके बाद शेयर खरीदता है, तो वह बोनस शेयर पाने के लिए पात्र नहीं होगा.