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अमेरिकी सेंट्रल बैंक के ब्याज दर फैसलों, वृहद आर्थिक आंकड़ों से तय होगी इस हफ्ते बाजार की दिशा, एक्सपर्ट की राय

Market Outlook : स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस हफ्ते अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से तय होगी. इसके अलावा वैश्विक मोर्चे पर कई वृहद आर्थिक आंकड़े और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां भी बाजार को दिशा देंगी.

Market Outlook : स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस हफ्ते अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से तय होगी. इसके अलावा वैश्विक मोर्चे पर कई वृहद आर्थिक आंकड़े और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां भी बाजार को दिशा देंगी.

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FE Hindi Desk
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Market Outlook: फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक इस हफ्ते 18 सितंबर को होनी है. (Image: FE File)

Market Outlook this week: शेयर बाजारों की दिशा इस हफ्ते अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दर फैसलों, वैश्विक मोर्चे पर कई वृहद आर्थिक आंकड़ो और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों से तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताई है. कल से शुरू हो रहे हफ्ते में फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक होनी है. निवेशकों की नजर इस बैठक के ब्याज दर फैसलों पर होगी. इसके अलावा जापान के महंगाई दर आंकड़े शुक्रवार को आने हैं, जिसके बाद बैंक ऑफ जापान (बीओजे) की मौद्रिक नीति की घोषणा होगी. उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों का प्रवाह, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और कच्चे तेल के दाम भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे.

भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता हफ्ते काफी उल्लेखनीय रहा. पिछले हफ्ते बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,707.01 अंक या 2.10 फीसदी के लाभ में रहा. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 504.35 अंक या 2.02 फीसदी चढ़ गया. गुरूवार को निफ्टी और सेंसेक्स दोनों अपने रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए. उसी दिन बीएसई के 30 शेयरों वाले सेंसेक्स ने पहली बार 83,000 अंक के स्तर को पार किया.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

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स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लि. के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने बताया कि इस हफ्ते साल का सबसे अहम घटनाक्रम होने जा रहा है. फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक 18 सितंबर को होगी. यह लगभग तय है कि इससे ब्याज दर में कटौती चक्र की शुरुआत होगी. अमेरिका में आम सहमति ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती को लेकर है. हालांकि, कुछ बाजार भागीदार ब्याज दर में 0.5 फीसदी कटौती की उम्मीद कर रहे हैं.

मीणा का मानना है कि इस तरह का कदम वैश्विक बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक संकेतक होगा, खासकर भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए. इससे डॉलर कमजोर होगा और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में कमी आएगी, जिससे भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का प्रवाह बढ़ेगा. 

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मास्टर कैपिटल सर्विसेज की निदेशक पल्का अरोड़ा चोपड़ा का मानना है कि बाजार का दिशा प्रमुख घरेलू और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों. मसलन भारत की थोक महंगाई दर, अमेरिका के औद्योगिक उत्पादन, अमेरिकी सेंट्रल बैंक के ब्याज दर फैसलो और अमेरिका के बेरोजगारी दावों के आंकड़ों से तय होगी.

रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा कि आगे की ओर देखें, तो यह हफ्ते काफी महत्वपूर्ण है. अमेरिकी सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दर पर निर्णय की घोषणा 18 सितंबर को होगी. घरेलू स्तर पर बाजार भागीदारों की निगाह थोक महंगाई दर के आंकड़ों और विदेशी फंड के प्रवाह पर रहेगी.

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जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा है कि 13 सितंबर को समाप्त हफ्ते में एक जो प्रमुख बात रही, वह यह कि एफआईआई ने हफ्ते के सभी दिन लिवाली की. उन्होंने कहा कि दो कारण हैं कि एफआईआई ने अपनी रणनीति को बदल दिया है. एक, अब इस बात पर आम सहमति है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक इस महीने से दरों में कटौती शुरू कर देगा, जिससे अमेरिका में बॉन्ड यील्ड घट जाएगा. इससे उभरते बाजारों में निवेश बढ़ेगा. दूसरा, भारतीय बाजार काफी जुझारू है और अगर एफआईआई यहां निवेश नहीं करते हैं, तो यह एक खराब रणनीति होगी.

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