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Nifty 50, Sensex crashed : सेंसेक्स और निफ्टी में बुधवार को भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिले. (Image: Financial Express)
Why Nifty 50, Sensex crashed on Wednesday: भारतीय बाजार में बुधवार का दिन काफी नाटकीयता से भरा रहा. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही ओपनिंग सेशन के दौरान नई ऊंचाइयों पर चले गए. लेकिन उसके बाद बाजार ने नीचे की तरफ बड़ा यू-टर्न लिया और दोनों प्रमुख इंडेक्स में भारी गिरावट देखने को मिली. दिन के कारोबार के दौरान कुछ समय के लिए सेंसेक्स 800 से ज्यादा अंक गिर गया था. निफ्टी भी ट्रेडिंग सेशन के दौरान 1 फीसदी से ज्यादा नीचे चला गया था. इस गिरावट से रिटेल निवेशकों में घबराहट फैल गई. स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स में भी काफी भगदड़ देखी गई. सेंसेक्स और निफ्टी में बुधवार की गिरावट के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
1. हाई वैल्यूएशन्स
चुनाव के बाद से ही रिटेल निवेशकों, घरेलू म्यूचुअल फंड्स और एफआईआई की खरीदारी बढ़ी है, जिससे बाजार में तेजी है. ऐसे में सेंसेक्स के 80,000 के पार चले जाने के बाद बहुत सारे निवेशकों को लगने लगा है कि बाजार अब ओवरवैल्यूड हो रहा है. जिन्हें इंडेक्स का वैल्यूशन बहुत ज्यादा नहीं लग रहा, उन्हें भी कई इंडीविजुअल स्टॉक हाई वैल्यूएशन वाले दिख रहे हैं. ऐसे में ऊंचे स्तरों पर खरीदारी कम हो जा रही है. नई ऊंचाई पर जाने के बाद बुधवार को अचानक आई गिरावट इसी का संकेत है.
2. अर्निंग्स सीजन से जुड़े अनुमान
जून तिमाही के अर्निंग्स सीजन में ग्रोथ की रफ्तार कुछ धीमी पड़ने का अनुमान जाहिर किया जा रहा है. ऐसे में बहुत सारे निवेशक इन उम्मीदों के हिसाब से अपने पोर्टफोलियो को एडजस्ट कर रहे हैं. पिछली कुछ तिमाहियों के बेहतर नतीजों का असर बाजार को पहले ही नई ऊंचाइयों पर ले जा चुका है, जिसके बाद अब नतीजे औसत रहे, तो करेक्शन की गुंजाइश बन सकती है.
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3. मुनाफावसूली
निफ्टी 50 इस साल अब तक 12 फीसदी रिटर्न दे चुका है. स्मॉल और मीडियम कैप में आने वाले कई शेयरों में लाभ का स्तर और भी अधिक है. लिहाजा, बहुत सारे निवेशक मौका मिलने पर मुनाफा वसूली करने के मूड में हैं. हालांकि हर बार गिरावट के बाद रिकवरी आ रही है, लेकिन मुनाफावसूली का सेंटिमेंट भी बढ़ रहा है.
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4. बहुत ज्यादा हो चुकी है खरीदारी
बाजार के कई जानकारों का यह भी मानना है कि बाजार में फिलहाल खरीदारी काफी अधिक हो चुकी है, जिससे मार्केट ओवरबॉट (Overbought) की स्थिति में है. इसके कारण अब बहुत सारे निवेशक आक्रामक ढंग से लॉन्ग पोजिशन्स लेने के मूड में नहीं हैं.
5. यूएस फेड का असर
बुधवार को बाजार में निवेशकों के सेंटिमेंट पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बीती रात को दिए उस बयान का भी असर पड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल में ब्याज दरों में कटौती तब तक संभव नहीं है, जब तक यह भरोसा नहीं हो जाता कि महंगाई दर (Inflation) 2 फीसदी की ओर बढ़ रही है. हालांकि इसके साथ ही फेड ने यह चिंता भी जाहिर की है कि ब्याज दरों को बहुत लंबे समय तक ऊंचे लेवल पर बनाए रखने से आर्थिक विकास को खतरा हो सकता है. गुरुवार को अमेरिका में महंगाई दर के नए आंकड़े आने हैं, जो सितंबर के महीने में यूएस फेड की रणनीति की दिशा तय करेंगे.