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Brokers Fund: टी+0 सेटलमेंट से सिस्टम के भीतर ब्रोकर्स के अपने फंड को फ्री करने में मदद मिलेगी जिससे ट्रेड करने की कुल लागत कम हो जाएगी. (Pixabay)
SEBI T+0 Settlement: सेबी की ओर से टी+0 सेटलमेंट (T+0 Settlement) सेटलमेंट को लेकर बड़ा ऐलान किया गया है. सेबी की चेयरमैन माधवी पुरी बुच ने एम्फी के एक कार्क्रम में कहा कि भारत में 28 मार्च से T+0 ट्रेड साइकल सेटलमेंट ऑप्शनल तौर पर शुरू हो जाएगा. T+0 सेटलमेंट का मतलब सौदे का उसी दिन निपटारा यानी ट्रेड के दिन ही सेटलमेंट होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि यह अच्छा कदम है और इससे ट्रेड करने की लागत कम होगी.
गौरतलब है कि अभी भारत में T+1 सेटलमेंट लागू है। इसके तहत जब आप शेयर बाजार (Stock Market) में कोई चीज खरीदते या बेचते हैं, तो सब कुछ सेटल होने में एक दिन का समय लगता है. यानी अगर आपने आज शेयर खरीदा या बेचा है तो उसका सेटलमेंट कल तक होगा. लेकिन जब T+0 सेटलमेंट लागू हो जाएगा तो सारा सेटलमेंट उसी ही दिन पूरा हो जाएगा.
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ट्रेड करने की लागत घटेगी
SAS आनलाइन के फाउंडर एंड सीईओ श्रेय जैन का कहना है कि टी+0 सेटलमेंट से सिस्टम के भीतर ब्रोकर्स के अपने फंड को फ्री करने में मदद मिलेगी जिससे ट्रेड करने की कुल लागत कम हो जाएगी. वर्तमान में अगर कोई ग्राहक शेयर बेचता है तो अमाउंट तुरंत ट्रेडिंग खाते में जमा कर दी जाती है. ग्राहक इस कैपिटल के साथ ट्रेड करने या आगे की डिलीवरी खरीदने के लिए स्वतंत्र है. एक्सचेंज साइड पर यह फंड T+1 पर सेटलमेंट के बाद ही ब्रोकर को जमा किया जाता है. टी+0 सेटलमेंट के साथ फंड शाम 4:30 बजे तक प्राप्त हो जाएगा, जिससे बिजनेस में शामिल ब्रोकर्स की पूंजी नहीं फंसेगी.
पहले फेज में सेम-डे सेटलमेंट लागू
SEBI ने T+0 सेटलमेंट को दो फेज में लागू करने का प्रस्ताव दिया था. T+0 सेटलमेंट के पहले फेज में सेम-डे सेटलमेंट लागू किया जाएगा, जिसके बाद खरीदार को उसी दिन शेयर अलॉटमेंट और बेचने वालों को उसी दिन फंड मिल जाएगा.
इसमें अगर आप ट्रेडिंग-डे पर 1:30 बजे तक शेयरों का कारोबार करेंगे तो शाम 4:30 बजे तक उनका सेटलमेंट हो जाएगा. वहीं, दूसरे फेज में 3:30 बजे तक किए गए सभी लेनदेन के लिए एक ऑप्शनल इमीडिएट ट्रेड-बाय-ट्रेड सेटलमेंट की सुविधा दी जाएगी.
पिछले साल सेबी ने T+0 सेटलमेंट साइकल को लेकर एक एजवाइजरी जारी किया था. उस दौरान मार्केट रेगुलेटर ने कहा था कि T+0 सेटलमेंट की व्यवस्था अभी मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से टॉप 500 कंपनियों को ही उपलब्ध कराई जाएगी. T+1 की ही तर्ज पर T+0 भी 3 फेज में लागू होगा. सबसे कम एमकैप वाली 200 कंपनियां पहले इसका फायदा ले पाएंगी. उसके बाद उनसे ज्यादा एमकैप वाली 200 और अंत में सबसे ज्यादा एमकैप वाली 100 कंपनियां इसके दायरे में आएंगी.
सेबी को SME सेगमेंट में हेराफेरी के मिले संकेत
T+0 सेटलमेंट सिस्टम के अलावा माधवी पुरी बुच ने यह भी कहा कि हमें SME (स्मॉल एंड मीडियम-साइज एंटरप्राइजेज) सेगमेंट में हेरफेर के संकेत दिखे हैं. हम कार्रवाई करने के लिए मजबूत सबूत और फीडबैक पर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सेबी कुछ SME IPO के मामले में भी कीमतों में हेराफेरी और ट्रेडिंग लेवल की भी निगरानी कर रही है.