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मोदी 3.0 में स्टॉक मार्केट रैली पहले से कितनी अलग, अभी निवेश के लिए लार्जकैप आकर्षक, मिडकैप और स्मॉलकैप में दिख सकती है मंदी

Stock Market Rally After Election : लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद शेयर बाजार में खासी तेजी आई है. रिजल्‍ट वाले दिन भारी करेक्शन के बाद बाजार ने जोरदार तरीके से रिकवरी की और एक के बाद एक रिकॉर्ड बनाए.

Stock Market Rally After Election : लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद शेयर बाजार में खासी तेजी आई है. रिजल्‍ट वाले दिन भारी करेक्शन के बाद बाजार ने जोरदार तरीके से रिकवरी की और एक के बाद एक रिकॉर्ड बनाए.

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Sushil Tripathi
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Largecap or Midcap : रिस्क रिवार्ड के नजरिए से, लार्जकैप शॉर्ट टर्म के लिए मिड और स्मॉल कैप की तुलना में अधिक आकर्षक दिख रहे हैं. (Pixabay)

Stock Market Oultlook : लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद शेयर बाजार में खासी तेजी आई है. रिजल्‍ट वाले दिन भारी करेक्शन के बाद बाजार ने जोरदार तरीके से रिकवरी की और एक के बाद एक रिकॉर्ड बनाए. मोदी 3.0 में सेंसेक्स ने 81900 का लेवल क्रॉस किया तो निफ्टी ने पहली बार 25000 का लेवल टच किया. एक्सपर्ट का कहना है कि चुनाव परिणामों के बाद ज्यादातर टाइम पीरियड में बाजार में रैली रही है और यह रैली पूर्व की रैली की तुलना में ज्यादा व्यापक रही. इसमें चुनिंदा शेयरों में तेजी की जगह ज्यादातर सेगमेंट में तेजी देखने को मिली है. 

आगे शेयर बाजार कैसा रहेगा, निवेश के लिए लार्जकैप बेहतर है या मिडकैप व स्मॉलकैप?  पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीआईओ, विनय पहारिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत ग्रोथ के पीछे के महत्वपूर्ण कारणों, शेयर बाजार का आगे कैसा आउटलुक है, इन सभी बातों पर विस्तार से जानकारी दी है.

इस साल बचे महीनों में कैसा रहेगा बाजार?

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शेयर बाजार ने दिसंबर 2024 में ही 4 लाख करोड़ डॉलर का माइलस्टोन हासिल किया था. वहीं इस साल भारत के शेयर बाजार का मार्केट कैपिटलाइजेशन 5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है. इंडियन इक्विटी के मार्केट कैपिटलाइजेशन में बढ़ोतरी मोटे तौर पर हेल्‍दी फंडामेंटल, सरकार की ओर से पॉलिसी को लेकर निरंतरता व समर्थन, प्रोडक्टिव इन्‍वेस्‍टमेंट और इंडस्‍ट्री में क्षमता बढ़ोतरी द्वारा समर्थित भारतीय अर्थव्यवस्था की लॉन्‍ग टर्म ग्रोथ की संभावनाओं का प्रमाण है. हालांकि शॉर्ट टर्म में बाजार के प्रदर्शन का अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन बीते दिनों शेयर बाजार द्वारा दिए गए मजबूत रिटर्न को देखते हुए, खासतौर से मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट में हम कुछ ऐसे क्षेत्रों में मंदी की संभावना देख रहे हैं, जो अभी लगातार तेजी दिखा रहे हैं.

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लार्जकैप शॉर्ट टर्म के लिए आकर्षक

विनय पहारिया का कहना है कि रिस्क रिवार्ड के नजरिए से, लार्जकैप शॉर्ट टर्म के लिए मिड और स्मॉल कैप की तुलना में अधिक आकर्षक दिख रहे हैं. यहां से निवेशकों को सेलेक्टिव होना होगा क्योंकि सामान्य तौर पर स्टॉक की कीमतों में पिछले 1-4 साल में महत्वपूर्ण ग्रोथ देखी गई है. वहीं अर्निंग में ग्रोथ, कैश फ्लो और रिटर्न रेश्यो की वास्तविक डिलीवरी को व्यक्तिगत आधार पर स्टॉक के परफॉर्मेंस ट्रैजेक्टरी को निर्धारित करना चाहिए.

भारतीय इक्विटी फंडों में दिलचस्पी बढ़ी?

घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों के बीच भारतीय इक्विटी को लेकर इंटरेस्ट बहुत अधिक रहा है. विदेशी निवेशकों (फॉरेन इन्‍वेस्‍टर्स) के संबंध में, उन्होंने पिछले कैलेंडर ईयर में लगभग 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर वैल्यू की इंडियन इक्विटी खरीदी. हालांकि, कैलेंडर ईयर की पहली छमाही में, उन्होंने भारतीय बाजारों में केवल मामूली सकारात्मक फ्लो देखा है. (CY 24 की पहली छमाही के लिए फॉरेन इन्‍वेस्‍टर्स फ्लो लगभग 0.5 बिलियन डॉलर था). दूसरी ओर घरेलू संस्थागत निवेशक कैलेंडर ईयर 2020 के बाद लगभग हर टाइम पीरियड में म्यूचुअल फंड में हेल्दी फ्लो से उत्साहित होकर लगातार खरीदार रहे हैं. (कैलेंडर ईयर 2024 की पहली छमाही के लिए डीआईआई (DII) फ्लो लगभग 29 बिलियन डॉलर था). कैलेंडर ईयर 2020 के बाद से रिटेन इनडिविजुअल इन्‍वेस्‍टर्स की भागीदारी में भी मजबूत ग्रोथ देखी गई है.

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चुनाव ने शेयरों और इक्विटी फंडों के प्रदर्शन को कैसे प्रभावित किया?

बाजार का अनुमान मौजूदा सत्ताधारी पार्टी यानी बीजेपी के लिए पूर्ण बहुमत की थी. हालांकि, जो वास्तविक परिणाम आए, उसमें बीजेपी बहुमत के आंकड़े से थोड़ी पीछे रह गई. बीजेपी ने अपने एनडीए गठबंधन के सहयोगियों के समर्थन से सरकार बना ली है. इस परिणाम के बाद, बहुत ही छोटी अवधि के लिए जब चुनाव परिणाम परिणाम घोषित किए जा रहे थे, बाजारों में कनेक्शन हुआ. हालांकि, इस करेक्शन के बाद बाजारों में तेजी से उछाल आया. चुनाव के बाद की रैली इसके पूर्व के सेलेक्‍टेड शेयरों के ग्रुप द्वारा आई रैली की तुलना में काफी व्यापक रही है.

इसका संबंध इस तथ्य से हो सकता है कि, जिस सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है, उसे गठबंधन की मजबूरियों को देखते हुए अपने निवेश पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ थोड़ा पॉपुलिस्ट यानी लोकलुभावन भी होना पड़ सकता है. अगर यह उचित यानी रिजनेबल लिमिट के भीतर किया जाता है, तो यह एक बुरी बात नहीं हो सकती है, क्योंकि पूर्व के महीनों में ऊंची महंगाई दर और ब्याज दरों के कारण खपत में थोड़ी कमी आई थी।. बहरहाल, हाई सिंगल डिजिट जीडीपी ग्रोथ, प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी, पॉलिसी रिफॉर्म में निरंतरता और निवेश प्रोत्साहन के कारण इंडियन इक्विटी का लॉन्‍ग टर्म आउटलुक मजबूत दिखाई देता है.

(Disclaimer: शेयर बाजार और लार्जकैप स्टॉक्स, मिडकैप या स्मॉलकैप स्टॉक्स के बारे में  सलाह या जानकारी एक्सपर्ट के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

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