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Largecap Stocks: ब्लूचिप शेयर निवेश के लिए मिडकैप या स्मॉलकैप की तुलना में स्टेबल माने जाते हैं. (Pixabay)
Stock Investment Alert: ब्लूचिप शेयर निवेश के लिए मिडकैप या स्मॉलकैप की तुलना में स्टेबल माने जाते हैं. इनमें बाजार के उतार चढ़ाव का सामना करने की बेहतर क्षमता होती है. आमतौर पर ब्लूचिप शेयरों में मार्केट कैप के लिहाज से टॉप स्टॉक्स आते हैं. बीते 1 साल की बात करें तो निफ्टी 50 में 29 फीसदी और सेंसेक्स 30 में 25 फीसदी रिटर्न इंडेक्स्में की स्टेबिलिटी को साबित भी करती है. हालांकि इन इंडेक्स में कुछ शेयर ऐसे हो सकते हैं, जिनका करंट आउटलुक किसी वजह से कमजोर दिख रहा हो और आगे इनमें गिरावट आ सकती है. ब्रोकरेज हाउस के हवाले से ऐसे 2 दिग्गज शेयरों की हमने यहां जानकारी दी है.
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Tata Motors
ब्रोकरेज हाउस आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने Tata Motors के शेयर में REDUCE रेटिंग दी है और टारगेट प्राइस घटाकर 901 रुपये कर दिया है, जो करंट प्राइस 1039 रुपये से 13 से 14 फीसदी कम है. ब्रोकरेज का कहना है कि टाटा मोटर्स (TTMT) ने मौजूदा लिस्टेड एंटिटी को दो लिस्टेड एंटिटीज में डीमर्जर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. एक कमर्शियल व्हीकल और संबंधित निवेश के संबंध में तो दूसरे में जेएलआर, इंडिया पीवी/ईवी शामिल हैं. डीमर्जर के बाद आइडेंटिकल शेयरहोल्डिंग के साथ, ब्रोकरेज का मानना है कि इस डेवलपमेंट से निवेशकों को सीवी साइकिल के ट्रेंड के आकलन के अनुसार, सीवी बिजनेस में अपनी हिस्सेदारी को मैनेज करने में मदद मिलेगी.
यह डीमर्जर, पीवी डोमेन के भीतर सिनर्जिस्टिक बेनेफिट को अधिक कुशलता से सामने लाएगा और टाटा मोटर्स को घरेलू पीवी बिजनेस में और अधिक वैल्यू अनलॉक करने में मदद करेगा. ब्रोकरेज का मानना है करंट वैल्युएशन को देखें तो आने वाले दिनों में इसमें 5-6 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है. जिससे इसके अभी रीरेटिंग की संभावनाएं कम है.
SBI
ब्रोकरेज हाउस Bernstein ने एसबीआई में रेटिंग घटाकर मार्केट परफॉर्म दी है और शेयर के लिए टारगेट प्राइस 780 रुपये रखा है जो करंट प्राइस 790 रुपये से कम है. ब्रोकिंग हाउस का कहना है कि हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले 3 साल में निजी लेंडर्स को पीछे कर दिया है, लेकिन आगे बढ़ते हुए निवेशकों को निजी सेक्टर के बैंकों की ओर रुख करना चाहिए. ब्रोकरेज हाउस को स्टेट-रन बैंकों के लिए कम आशाजनक ट्रैजेक्टरी दिखाई देता है, क्योंकि वे कमजोर डिपॉजिट ग्रोथ और बहुत कम लिक्विडिटी बफर के साथ संघर्ष करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप निजी बैंकों की तुलना में कमजोर अर्निंग ग्रोथ होती है.
बर्नस्टीन ने कहा कि लिक्विडिटी की गुंजाइश लोन-टु-डिपॉजिट रेश्यो के सुझाव से बहुत कम है, यह देखते हुए कि सार्वजनिक बैंकों के लिए हायर इन्वेस्टमेंट, हायर डिपॉजिट का परिणाम है और इसे निजी बैंकों के बराबर कम नहीं किया जा सकता है. सार्वजनिक बैंकों द्वारा लोन और डिपॉजिट में एग्रेसिव प्राइसिंग ग्रोथ-मार्जिन ट्रेडऑफ को मजबूर कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अर्निंग में सुस्त ग्रोथ होगी.
(Disclaimer: स्टॉक में निवेश या बिकवाली की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)