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Stock Insights : रक्षा क्षेत्र पर बढ़ रहा है सरकार का फोकस, इन 2 स्‍मॉलकैप डिफेंस स्‍टॉक पर रखें नजर, दिग्‍गज निवेशकों को भी हैं पसंद

Defense Sector : भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भी एक मजबूत शक्ति के रूप में उभर रहा है. अगर आप हाल के बजट को देखें, तो सरकार ने डिफेंस सेक्‍टर के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो अब तक इस क्षेत्र के लिए सबसे अधिक आवंटन है.

Defense Sector : भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भी एक मजबूत शक्ति के रूप में उभर रहा है. अगर आप हाल के बजट को देखें, तो सरकार ने डिफेंस सेक्‍टर के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो अब तक इस क्षेत्र के लिए सबसे अधिक आवंटन है.

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Sushil Tripathi
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Defense Stocks : भारत के डिफेंस सेक्टर में भारी निवेश और आने वाली ग्रोथ से 2 स्मॉलकैप स्टॉक को खासा फायदा होता दिख रहा है. (Freepik)

By Suhel Khan

पिछले एक दशक में भारत एक बात को लेकर बहुत स्पष्ट रहा है. यह वही देश नहीं है जो कुछ दशक पहले हुआ करता था. यह न सिर्फ एक फाइनेंशियल सुपर पावर के रूप में उभर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भी एक मजबूत शक्ति के रूप में उभर रहा है. अगर आप हाल के बजट को देखें, तो सरकार ने डिफेंस सेक्‍टर के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो अब तक इस क्षेत्र के लिए सबसे अधिक आवंटन है. 

इसमें से 1.80 लाख करोड़ रुपये आर्म्‍ड फोर्सेज के कैपिटल बजट के तहत आवंटित किए गए हैं, जिसमें आधुनिकीकरण पर प्रमुख रूप से ध्यान दिया गया है और 1.12 लाख करोड़ रुपये घरेलू इंडस्‍ट्री से खरीद के लिए निर्धारित किए गए हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि डिफेंस को बढ़ावा देना सरकार और देश के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक होगा.

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ऐसे समय में, डिफेंस शेयरों पर नजर डालना बहुत दिलचस्प है, जिन्हें भारत के वॉरेन बफेट या भारत के सुपर निवेशक पहले ही पकड़ चुके हैं. बाजार के विनर्स को जल्दी पहचानने की अपनी आदत के लिए जाने जाने वाले इन सुपर निवेशकों ने पहले ही कुछ कंपनियों पर अपना दांव लगा दिया है, जो कि भारी बजटीय निवेश को देखते हुए उनकी दीर्घकालिक संभावनाओं में विश्वास का संकेत है. क्या ये स्‍मॉलकैप स्टॉक अगले मल्टीबैगर बन सकते हैं?

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#1 . C2C Advanced Systems Ltd (CASL)

CASL एक एंटीग्रेटेड डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स सॉल्‍यूशन प्रोवाइडर है, जो भारत में स्वदेशी रूप से विकसित डिफेंस प्रोडक्‍ट इंडस्‍ट्री की जरूरतों को पूरा करता है.

1,248 करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ , CASL एयर, समुद्र और लैंड डिफेंस प्लेटफॉर्म के लिए वर्टिकली एंटीग्रेटेड डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स सॉल्‍यूशंस में माहिर है. कंपनी  AI / ML , बिग डेटा एनालिटिक्स, IIOT और एम्बेडेड सिस्टम का लाभ उठाते हुए मालिकाना सॉफ्टवेयर-संचालित सिस्टम और सब-सिस्टम विकसित करती है.

CASL ने अपने आईपीओ के जरिए 99 करोड़ रुपये जुटाए और नवंबर 2024 में लिस्‍ट हुआ था. 

31 दिसंबर 2024 को समाप्त तिमाही के लिए CASL द्वारा की गई एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, प्रमुख निवेशक आशीष कचोलिया और मुकुल अग्रवाल ने लिस्टिंग के बाद कंपनी में 2.59% और 1.86% हिस्सेदारी खरीदी.

CASL की बिक्री वित्त वर्ष 2021 में 1 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 41 करोड़ रुपये हो गई है, जो लगभग 236 फीसदी की कंपाउंडेड ग्रोथ है.

वित्त वर्ष 2021 में कंपनी का EBITDA लगभग शून्य से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 12 करोड़ रुपये हो गया.।

कंपनी के नेट प्रॉफिट में भी बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2021 में 2.4 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज करने वाली कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 में 10.12 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. 

बिक्री और नेट प्रॉफिट में बड़ी उछाल के साथ-साथ EBITDA (अर्निंग बिफोर इंटरेस्‍ट, टैक्‍स, डिप्रीसिएशन और अमॉर्टाइलेशन) में उछाल को जोड़ लें, तो यह साफ हो जाता है कि कचोलिया और अग्रवाल का ध्यान किस बात पर गया.

नवंबर 2024 में लगभग 450 रुपये की कीमत पर लिस्टिंग और 7 फरवरी 2025 को क्‍लोजिंग पर, C2C का स्टॉक प्राइस 750 रुपये था, जो कि सिर्फ 2 महीनों में 67% की बढ़ोतरी है. 

स्टॉक का वर्तमान पीई 101x है, जबकि इंडस्‍ट्री एवरेज 87x है.

CASL आईपीओ के माध्यम से जुटाई गई राशि का उपयोग अपने मौजूदा परिचालन (मौजूदा एक्‍सपीरिएंस सेंटर के अपग्रेडेशन और बेंगलुरु में प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना) और दुबई में प्रस्तावित एक्‍सपीरिएंस सेंटर की स्थापना के लिए फिक्‍स्‍ड एसेट्स की खरीद के लिए करेगा। साथ ही, वर्किंग कैपिटल की आवश्यकताओं के लिए भी फंड का उपयोग किया जाएगा।

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#2. DCX Systems Ltd (DSL)

2011 में इनकॉरपोरेटेड, डीसीएक्स सिस्टम्स लिमिटेड सिस्टम एंटीग्रेशन और केबल एंड वायर हार्नेसिंग के बिजनेस में है.

3,425 करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटलाइजलेशन के साथ, डीएसएल फॉरेन ओरिजिनल इक्‍यूपमेंट मैन्‍युफैक्‍चरर्स ("OEMs") के लिए एक हाइली रिगार्डेड इंडियन ऑफसेट पार्टनर ("IOP") है, विशेष रूप से एयरोस्पेस और डिफेंस मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्षेत्र में. यह इलेक्ट्रॉनिक सब-सिस्टम और केबल और वायर हार्नेस असेंबली के निर्माण के लिए भारतीय रक्षा बाजार के लिए ईएलटीए सिस्टम्स लिमिटेड और इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सिस्टम मिसाइल और स्पेस डिवीजन (एक साथ, "आईएआई ग्रुप"), इजराइल के लिए सबसे बड़े भारतीय ऑफसेट पार्टनर ("IOP") में से एक है.

भारत के वॉरेन बफेट कहे जाने वालों में शामिल और व्यापक रूप से फॉलो किए जाने वाले सुपर निवेशक अजय उपाध्याय, जिनके पास लगभग 1,080 करोड़ रुपये के 17 शेयर हैं, कुछ तिमाहियों से कंपनी में हिस्सेदारी बनाए हुए हैं. दिसंबर 2023 को समाप्त तिमाही तक, उपाध्याय के पास कंपनी में 1.24 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो दिसंबर 2024 को समाप्त तिमाही तक लगातार बढ़कर 2.86 फीसदी हो गई है.

वित्त वर्ष 2019 में कंपनी की बिक्री 300 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 1,423 करोड़ रुपये हो गई, जिससे 5 साल में इसकी CAGR 37 फीसदी हो गई. वित्त वर्ष 2025 की पहली 3 तिमाहियों (अप्रैल से दिसंबर 2024) में, कंपनी ने पहले ही 616 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री दर्ज की है.

EBITDA वित्त वर्ष 2019 में 5 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 70 करोड़ रुपये हो गया, जिसका मतलब  है कि यह लगभग 76 फीसदी की कंपाउंडेड एनुअल रेट से बढ़ रहा है. 

वित्त वर्ष 2019 में कंपनी का मुनाफा 5 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 68 करोड़ रुपये हो गया है, जो 72 फीसदी की कंपाउंडेड ग्रोथ है. अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच कंपनी ने 27 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया है. 

DSL नवंबर 2022 में लगभग 307 रुपये प्राइस पर लिस्‍ट हुआ था. यह वर्तमान में उसी स्तर पर है. 7 फरवरी 2025 की क्‍लोजिंग पर स्‍टॉक प्राइस 307 रुपये था, यानी इसमें फ्लैट ग्रोथ रही है. 

कंपनी का शेयर वर्तमान में 66x के पीई पर कारोबार कर रहा है, जबकि प्रतिस्पर्धियों की तुलना में इंडस्‍ट्री का औसत 76x है. हालांकि कंपनी के लिए 10-ईयर मीडियन पीई का कैलकुलेशन करना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन इंडस्‍ट्री का 10-ईयर मीडियन 31x के आसपास है.।

नवंबर 2024 में जारी कंपनी की आखिरी इन्‍वेस्‍टर प्रेजेंटेशन के अनुसार, डीएसएल विशेष रूप से अमेरिका और इजराइल से टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर (टीओटी) पर फोकस करेगी. साथ ही, कंपनी का लक्ष्य स्वदेशी उत्पादों की सरकार द्वारा पहचानी गई लिस्‍ट से उत्पादों का टीओटी प्राप्त करना है, जिन्हें आयात नहीं किया जा सकता है और उन्हें भारत में ही निर्मित किया जाना चाहिए.

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वार प्रॉफिट कमाने का तैयार?

यह देखना दिलचस्प है कि आशीष कचोलिया, मुकुल अग्रवाल और अजय उपाध्याय जैसे निवेशकों में दूर से ही उच्च संभावनाओं को पहचानने की असली प्रतिभा है. उन्होंने स्पष्ट रूप से C2C एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (CASL) और DCX सिस्टम्स लिमिटेड (DSL) को पसंद किया है, और यह देखना आसान है कि ऐसा क्यों है. दोनों कंपनियां बिक्री और मुनाफे में प्रभावशाली ग्रोथ दिखा रही हैं, और वे भारी मात्रा में फंड के प्रवाह के चलते डिफेंस  में आत्मनिर्भरता के लिए भारत के प्रयास से लाभ उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. यही कारण है कि ये शेयर अभी बहुत आकर्षक निवेश की तरह दिख रहे हैं.

बेशक, यह तथ्य कि ये निवेश करने वाले दिग्गज बोर्ड पर हैं, एक अच्छा संकेत है और यह कंपनी की संभावनाओं के बारे में एक आत्मविश्वास देता है. लेकिन यह याद रखना भी समझदारी है कि रक्षा जैसे सबसे अच्छे क्षेत्र भी सड़क पर अप्रत्याशित बाधाओं का सामना कर सकते हैं. सरकारी नीतियों में बदलाव या अर्थव्यवस्था की ओवरआल स्थिति जैसी चीजें बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं. इसलिए, जबकि यह ध्यान रखना समझदारी है कि बड़े खिलाड़ी अपना पैसा कहां लगा रहे हैं, लेकिन अपना खुद का होमवर्क करना और भी अधिक समझदारी है.

Disclaimer:

नोट: हमने इस पूरे लेख में www.Screener.in के डेटा पर भरोसा किया है. सिर्फ उन मामलों में जहां डेटा उपलब्ध नहीं था, हमने वैकल्पिक, लेकिन व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले और स्वीकृत सूचना के सोर्स का उपयोग किया है.  

इस लेख का उद्देश्य केवल दिलचस्प चार्ट, डेटा पॉइंट और थॉट प्रोवोकिंग राय साझा करना है. यह कोई निवेश की सिफारिश नहीं है. अगर आप निवेश पर विचार करना चाहते हैं, तो आपको अपने सलाहकार से परामर्श करने की सलाह दी जाती है. यह लेख केवल शिक्षाप्रद उद्देश्यों के लिए है. 

सुहेल खान एक दशक से भी ज्‍यादा समय से बाजारों के एक जोशीले फॉलोअर रहे हैं. इस अवधि के दौरान, वे मुंबई स्थित एक प्रमुख इक्विटी रिसर्च संगठन में हेड ऑफ सेल्‍स एंड मार्केटिंग के रूप में एक अभिन्न अंग थे. वर्तमान में, वे अपना ज्‍यादातर समय भारत के सुपर निवेशकों के निवेश और रणनीतियों का विश्लेषण करने में बिता रहे हैं.

Disclosure: The writer and his dependents do not hold the stocks discussed in this article. 

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