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Gold: ट्रंप ने सोने की कीमत बढ़ाई, क्या अब वही इसमें नरमी ला सकते हैं?

वित्त वर्ष 2023-2024 में जिन कारणों से सोना महंगा हुआ था, उनका असर अब भी दिख रहा है. लेकिन अब 2025 में ट्रंप टैरिफ भी एक नई और बड़ी वजह बन गई है, जिन पर ध्यान देना जरूरी है.

वित्त वर्ष 2023-2024 में जिन कारणों से सोना महंगा हुआ था, उनका असर अब भी दिख रहा है. लेकिन अब 2025 में ट्रंप टैरिफ भी एक नई और बड़ी वजह बन गई है, जिन पर ध्यान देना जरूरी है.

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FE Hindi Desk
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Trump Gold AI Generated

Gold: अगर अमेरिकी डॉलर मजबूत हो, दुनिया भर में राजनीतिक तनाव कम हो, या अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ा दे, तो सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है. (AI Generated)

Trump drove up the price of Gold, Could he now crash it? सोना एक स्लिपींग गेंट (sleeping giant) है. कहने का मतलब है कि सालों तक इसकी कीमतों में ज्यादा बदलाव नहीं होता, लेकिन जब इसमें तेजी आती है, तो वह जोरदार होती है.

बीते सालों के आंकड़ें बताते हैं कि सोने की कीमतें कई सालों तक एक जैसे लेवल पर बनी रहती हैं. अक्टूबर 2011 से लेकर अक्टूबर 2022 तक, एक औंस गोल्ड लगभग 1,700 यूएस डॉलर के आस-पास ही घूमता रहा. लेकिन नवंबर 2022 से सोने में जबरदस्त तेजी शुरू हुई और अब यह 3,500 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. ऐसा पहले भी हो चुका है. अक्टूबर 2018 में सोने की कीमत प्रति औंस 1,130 यूएस डॉलर थी और यह अगस्त 2020 तक बढ़कर 1,984 डॉलर हो गई. यानी दो साल से भी कम समय में करीब 75% की बढ़त हुई.

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इस बार की तेजी की असल शुरुआत 2023 में हुई, जब सोना 13% चढ़ा. इसके बाद 2024 में सोना की कीमतों और भी तेजी देखने को मिली और इसमें 27% की बढ़त दर्ज की गई.

अगर आप सोच रहे हैं कि सोने की कीमतों में अचानक इतनी तेजी क्यों आई, तो इसकी कई वजहें हैं और 2023-24 में जो कारण थे, वे आज भी असर में हैं. लेकिन 2025 में एक नई वजह जुड़ गई है. वह है ट्रंप टैरिफ (Trump Tariff), अमेरिका द्वारा आयात पर नए टैक्स नियमों का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ा है.

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ट्रंप टैरिफ और गोल्ड प्राइस का आपस में क्या है कनेक्शन

2025 में ट्रंप ने जो नए टैक्स लगाने की घोषणाएं की हैं, जिनमें हर देश पर समान शुल्क लगाने की बात की गई है, उसके कारण इस साल सोना पहले ही 25% तक महंगा हो चुका है.

दुनिया जानती है कि ऐसे टैक्स से आर्थिक गतिविधियाँ धीमी हो जाती हैं. सबसे बड़ी चिंता अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध को लेकर है. इस टकराव से वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है, और बॉन्ड और करेंसी बाजार पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता बढ़ रही है.

ऐसे हालात में लोग अपनी पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए सोने की ओर रुख करते हैं, और यही वजह है कि सोने की मांग और कीमतें बढ़ जाती हैं. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सोने की कीमतों में थोड़ी रुकावट आई है. 22 अप्रैल को जब सोने की कीमत 3,500 डॉलर तक पहुंची थी, उसके बाद इसमें करीब 200 डॉलर की गिरावट आई है, और अब यह लगभग 3,300 डॉलर पर ट्रेड हो रहा है. भारत में भी यही हाल है. यहां 22 अप्रैल को 24 कैरेट सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 1 लाख रुपये तक पहुंच गई थी. लेकिन अब यह घटकर 95,320 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई है.

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सोने की कीमतों में गिरावट की वजहें क्या हैं?

हाल ही में सोने की कीमतों में गिरावट आई है, और इसके पीछे कई कारण हैं. ट्रंप का बदलता रुख एक बड़ा कारण है. पहले ट्रंप चीन पर सख्त टैक्स लगाने की बात कर रहे थे, जिससे दुनिया भर में चिंता फैल गई थी और लोग सोने में निवेश करने लगे थे. लेकिन अब ट्रंप ने कहा है कि वो चीन पर सख्त कदम धीरे-धीरे उठाएंगे, और चीन भी तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है. इससे ऐसा लगने लगा कि व्यापार युद्ध और नहीं बढ़ेगा, और इसी कारण सोने की मांग घटने लगी.

इसके अलावा, ट्रंप का फेडरल रिजर्व के प्रमुख पॉवेल पर दबाव भी कम हो गया है. पहले ट्रंप लगातार पॉवेल से ब्याज दरें घटाने का दबाव बना रहे थे और यहां तक कि उन्हें हटा देने की धमकी भी दी थी. लेकिन अब ट्रंप इस मामले पर नरम हो गए हैं, जिससे बाजार में अनिश्चितता कम हुई और सोने की कीमत घट गई.

अंत में, कुछ और कारण भी हैं जिनका ट्रंप से कोई संबंध नहीं है. अमेरिका में महंगाई कम हो रही है, लेकिन अमेरिकी केंद्रीय बैंक (फेड) अभी भी इंतजार कर रहा है और ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं कर रहा है.

गुड़गांव स्थित ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की डॉ स्मिता मजूमदार (Dr Smita Mazumdar, Professor – Finance and Accounting, Program Director – PGDM, Great Lakes Institute of Management, Gurgaon) बताती हैं कि हायर टैरिफ अमेरिका को फिर से महान नहीं बनाएंगे, खासकर आर्थिक रूप से. कम से कम निकट भविष्य में महंगाई की दर कम होती दिख रही है. ऐसे में, अगर अमेरिकी सरकार समझदारी से फैसले लेती है, तो सोने की कीमत को बढ़ाने वाले दो मुख्य कारण कमजोर हो जाएंगे और सोने की कीमतें इन ऊंचे स्तरों से कम हो सकती हैं.

सोने और अमेरिकी डॉलर के बीच संबंध को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. डॉलर इंडेक्स, जो तीन साल से ज़्यादा समय में पहली बार 100 से नीचे गया है, सोने की कीमतों को ऊपर बढ़ाने में मदद करता है.

लेकिन जैसे-जैसे व्यापार तनाव कम होगा, डॉलर फिर से मजबूत हो सकता है और तब सोने की मांग में गिरावट शुरू हो सकती है. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वाइस प्रेसिडेंट और एस्पेक्ट ग्लोबल वेंचर्स की एग्जीक्यूटिव चेयरपरसन अक्ष कंबोज (Aksha Kamboj, VP, India Bullion & Jewellers Association (IBJA) and Executive Chairperson, Aspect Global Ventures) कहती हैं कि सोने की कीमत में मौजूदा ऊंचाई से गिरावट का कारण एक मजबूत अमेरिकी डॉलर, राजनीतिक तनाव में कमी, या अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसे प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि हो सकता है..

ट्रेजरी यील्ड को देश की अर्थव्यवस्था की हालत समझने का एक अच्छा तरीका माना जाता है. हाल ही में अमेरिका की 10 साल की यील्ड 4.5% तक पहुंच गई है, जो सोने के लिए एक चेतावनी संकेत है.

कुडोट्रेड कंपनी के ग्राहक संबंध प्रमुख कोंस्टेंटिनोस क्रिसिकोस कहते हैं, "अगर अमेरिका की ट्रेजरी यील्ड बढ़ती है, तो इससे सोने की मांग कम हो सकती है. और अगर निवेशक अमेरिकी संपत्तियों से दूरी बनाते रहे, तो यील्ड और बढ़ सकती है."

जैसे-जैसे दुनिया की अर्थव्यवस्था स्थिर होती जाएगी और अनिश्चितता कम होगी, वैसे-वैसे सोने की चमक थोड़ी फीकी पड़ सकती है, क्योंकि लोग शेयर बाजार जैसी दूसरी जगहों पर पैसा लगाना शुरू करेंगे. ऑग्मोंट की रिसर्च हेड डॉ. रेनिशा चैनानी कहती हैं, "जब दुनिया में स्थिरता बढ़ेगी और तनाव कम होगा, तो लोग सोने जैसे 'सुरक्षित निवेश' में कम दिलचस्पी दिखाएंगे. शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा, तो निवेशक उधर रुख करेंगे."

लेकिन ठहरिए! दुनिया की अर्थव्यवस्था बहुत तेज़ी से बदल रही है. ट्रंप का भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वो हाल ही में कई फैसलों से पलट चुके हैं. साथ ही, अगर सभी देशों पर बराबरी से टैरिफ लगाए गए, तो अमेरिका में महंगाई कैसे बढ़ेगी, यह भी देखना बाकी है.

सबसे अहम बात यह है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं, और इसी वजह से इसकी मांग और कीमतें ऊपर बनी हुई हैं.

अभी के लिए, इस साल के आखिर तक ट्रंप की वजह से सोने की कीमतों में भारी गिरावट की संभावना कम लगती है, लेकिन छोटे-मोटे झटके आ सकते हैं.

आने वाले महीनों में ये देखना जरूरी होगा कि इन सभी आर्थिक बदलावों का असर डॉलर और अमेरिकी सरकारी बॉन्ड (ट्रेजरी) पर क्या पड़ता है.

आख़िर में, हमेशा कोई न कोई अनदेखा कारण (एक्स फैक्टर) होता है जो अचानक आकर सोने की कीमत को फिर से ऊपर ले जा सकता है. और अगर सोने की कीमत गिरती है, तो यह एक अच्छा मौका होता है कि आप अपने पूरे निवेश का 5 से 10 प्रतिशत हिस्सा सोने में लगाकर सुरक्षित रखें.

(Article : Sunil Dhawan)

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