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Latest Export-Import Data : मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों के दौरान देश के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट यानी दूसरे देशों को होने वाले निर्यात में 6.51 फीसदी की भारी गिरावट आई है. (Photo : Pixabay)
Latest export-import numbers released by the Commerce Ministry: आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली खबर है. मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों के दौरान देश के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट यानी दूसरे देशों को होने वाले निर्यात में 6.51 फीसदी की भारी गिरावट आई है. हालांकि इसी दौरान देश के इंपोर्ट यानी आयात में 8.67 फीसदी की गिरावट आई है, जो एक्सपोर्ट में हुई कमी से ज्यादा है. यही वजह है कि निर्यात घटने के बावजूद देश के व्यापार घाटे में कमी आई है. ये सारी जानकारी भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय (Commerce Ministry) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों से मिली है.
अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान इन सेक्टर्स में घटा एक्सपोर्ट
अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान एक्सपोर्ट के लिहाज से देश के सभी अहम सेक्टर्स में निगेटिव ग्रोथ यानी गिरावट देखने को मिली है. एक्सपोर्ट में कमी का सामना करने वाले इन सेक्टर्स में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स (petroleum products), जेम्स एंड ज्वैलरी (gems and jewellery), केमिकल्स (chemicals), गारमेंट्स (garments) और इंजीनियरिंग गुड्स (engineering goods) शामिल हैं. जिन कुछ क्षेत्रों में इस दौरान पॉजिटिव ग्रोथ दर्ज की गई वे हैं - इलेक्ट्रॉनिक्स (electronics), आयरन ओर (iron ore) और फार्मा (pharma).
ऑयल इंपोर्ट में गिरावट
कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष (FY2023-24) के पहले 8 महीनों यानी अप्रैल से नवंबर 2023 के दौरान देश का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 6.51 फीसदी घटकर 278.8 अरब अमेरिकी डॉलर पर आ गया. इसी दौरान देश का इंपोर्ट भी 8.67 फीसदी घटकर 445.15 अरब डॉलर रह गया. इंपोर्ट में इस गिरावट की बड़ी वजह देश के ऑयल इंपोर्ट में आई गिरावट है. अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान देश का ऑयल इंपोर्ट घटकर 113.65 अरब डॉलर के बराबर रह गया, जबकि अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान यह 139.29 अरब डॉलर था.
इन सेक्टर्स के इंपोर्ट में आई गिरावट
पेट्रोलियम के अलावा जिन और सेक्टर्स के इंपोर्ट में गिरावट आई है उनमें कोयला (coal), कोक (coke), पर्ल (pearls), बेशकीमती पत्थर एवं जवाहरात (precious and semi-precious stones) और उर्वरक (fertiliser) शामिल हैं. हालांकि इन्हीं 8 महीनों के दौरान गोल्ड यानी सोने का इंपोर्ट 21 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 32.93 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इंपोर्ट में एक्सपोर्ट से ज्यादा गिरावट आने की वजह से देश के व्यापार घाटे (trade deficit) में भी कमी आई है. अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान यह ट्रेड डेफिसिट घटकर 166.35 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 189.21 अरब डॉलर था. इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का इंपोर्ट भी अप्रैल-नवंबर 2023 में बढ़कर 57.83 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल के इन्हीं महीनों के दौरान 51.89 अरब डॉलर रहा था. नवंबर के महीने में गोल्ड इंपोर्ट 6.24 फीसदी बढ़कर 3.44 अरब डॉलर पर चला गया, जबकि इसी महीने में ऑयल इंपोर्ट 8.47 फीसदी घटकर 14.93 अरब डॉलर रह गया.
नवंबर में 2.83 फीसदी घटा एक्सपोर्ट
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर के महीने में देश का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट (merchandise export) 2.83 फीसदी घटकर 33.90 अरब अमेरिकी डॉलर पर आ गया. इसी दौरान भारत का इंपोर्ट भी 4.33 फीसदी की गिरावट के साथ 54.48 अरब डॉलर रह गया. इंपोर्ट में एक्सपोर्ट से ज्यादा गिरावट आने के कारण नवंबर में देश का व्यापार घाटा भी कम हुआ और 20.58 अरब डॉलर रह गया.
सर्विसेज के निर्यात में इजाफा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश से होने वाले सर्विसेज के निर्यात (services export) में इसी अवधि के दौरान इजाफा हुआ है. अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान देश का सर्विसेज का एक्सपोर्ट 220.66 अरब डॉलर रहा, जो अप्रैल-नवंबर 2022 की अवधि में 208.30 अरब डॉलर था. इसी तरह नवंबर 2023 में सर्विसेज का एक्सपोर्ट 28.69 अरब डॉलर रहा, जो नवंबर 2022 में 26.93 अरब डॉलर था.
भारत की स्थिति बाकी देशों से बेहतर
केंद्र सरकार के वाणिज्य सचिव (Commerce Secretary) सुनील बर्थवाल (Sunil Barthwal) ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि देश के एक्सपोर्ट में भले ही गिरावट आई हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय हालात को ध्यान में रखकर देखने पर हमारे आंकड़े बेहतर नजर आते हैं. बर्थवाल ने दावा किया कि ग्लोबल ट्रेड में ज्यादा गिरावट आ रही है, जिसकी तुलना में भारत की स्थिति बेहतर है. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों की जीडीपी ग्रोथ रेट भी भारत की तरह ऊंची नहीं है. विश्व व्यापर संगठन (WTO) का अनुमान है कि 2023 के साल में ग्लोबल ट्रेड की ग्रोथ रेट महज 0.8 फीसदी रहेगी. वहीं, UNCTAD की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में अंतरराष्ट्रीय समस्याओं और ट्रेडिंग के पैटर्न में हो रहे बदलावों की वजह से ग्लोबल ट्रेड में करीब 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है.